
प्रधानमंत्री मोदी ने आज केदारनाथ बाबा के दर्शन किए. इस दौरान उन्होंने बाबा के रुद्राभिषेक भी किया. हिमालय के केदार पर्वत पर स्थित केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में श्रेष्ठ स्थान रखने वाला धाम है. जहां भगवान से भक्तों के सीधे मिलन की मान्यता है. इस 11वें ज्योतिर्लिंग में भगवान शिव के पृष्ठ भाग के दर्शन होते हैं. इस पवित्र मंदिर में भगवान शिव की पूजा करने से तीर्थयात्रियों को मोक्ष की प्राप्ति की मान्यता है. एक मान्यता ये भी है कि बाबा केदार के दर्शन किये बिना बद्रीनाथ का दर्शन नहीं किया जा सकता.
क्या है केदारनाथ की पौराणिक मान्यता
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हिमालय के केदार श्रृंग पर भगवान विष्णु के अवतार नर और नारायण ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव प्रकट हुए और ज्योतिर्लिंग के रूप में सदा वास करने का वरदान दिया.
पांडवों ने कराया था मंदिर का निर्माण
मान्यता है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने कराया था. इसके पीछे एक कथा भगवान शिव के पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर उन्हें हत्या मुक्त करने की भी है. महाभारत युद्ध में विजय के बाद पांडव अपने भाइयों की हत्या के पाप से मुक्त होना चाहते थे. इसके लिए वो भगवान भोले शंकर को खोजते हुए केदार तक पहुंच गए. ये जानकर भगवान शिव ने बैल का रूप धारण कर लिया. ताकि उन्हें पहचाना नहीं जा सके. अंतर्ध्यान होने के समय भीम बैल के कूबड़ को पकड़ भोलेनाथ को पहचानने में सफल रहे. पांडवों की भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने उन्हें पाप मुक्त कर दिया. तभी से उन्हें बैल की पीठ की आकृति पिंड के रूप में केदारनाथ धाम में पूजा जाता है.
कपाट बंद होने के 6 महीने बाद जलता हुआ मिलता है दिया
केदारनाथ धाम में भगवान शिव, लिंग रूप में विराजमान हैं. केदारनाथ स्थित स्वयंभू शिवलिंग अति प्राचीन है. मंदिर के गर्भगृह में अनगढ़ पत्थर का स्वयंभू ज्योतिर्लिंग है. हर साल मई से अक्टूबर तक 6 महीने के लिए केदारनाथ के कपाट खुलते हैं. जिसमें श्रद्धालु दर्शन करते हैं. फिर नवंबर से अप्रैल तक 6 महीने के लिए शीतकाल में मंदिर के कपाट बंद कर दिये जाते हैं. बताया जाता है कि मंदिर के कपाट बंद करते समय एक दीप प्रज्वलित कर किया जाता है. 6 महीने बाद जब कपाट खोले जाते हैं तब ये दीप जलता हुआ मिलता है.
पहले भैरवनाथ की पूजा का है विधान
केदार बाबा की पूजा से पहले भैरवनाथ की पूजा का विधान है. भैरवनाथ जी के कपाट खुलने के बाद ही केदारनाथ मंदिर में पूजा-आरती होती है. मान्यता है कि केदारनाथ धाम में जब कपाट बंद होते हैं तो 6 माह तक भैरवनाथ ही मंदिर समेत संपूर्ण केदारपुरी की रक्षा करते हैं. भैरवनाथ की पूजा के बाद ही धाम की यात्रा शुरू होती है.
अद्भुत है बाबा केदार की महिमा
केदारनाथ पहुंचने के लिए अब हेलिकॉप्टर सर्विस भी उपलब्ध है. लेकिन काफी ऊंचाई पर मंदिर होने के चलते यहां यात्रियों को कठिन और सीधी चढ़ाई करनी होती है. ऊंचाई के चलते यहां ऑक्सीजन लेवल भी कम होने लगता है. जिससे यात्रियों को सांस लेने में तकलीफ होती है. यहां भू और हिमस्खलन का खतरा भी बना रहता है. जो यात्रियों की जान मुश्किल में डाल देता है. हालांकि बाबा केदार की महिमा ऐसी अपरंपार है कि जून 2013 में जब यहां कुदरत का भीषण कहर टूटा था. उस वक्त भी मंदिर का कुछ नहीं बिगड़ा.