
बुंदेलखंड का ऐतिहासिक नगर झांसी न केवल वीरांगना रानी लक्ष्मीबाई की धरती के रूप में प्रसिद्ध है, बल्कि यहां कई धार्मिक स्थल भी हैं, जिनकी मान्यताएं सदियों से चली आ रही हैं. इन्हीं में से एक है मां कामाख्या का अनोखा मंदिर, जिसे कैमासन के नाम से भी जाना जाता है. इस मंदिर की खासियत यह है कि यहां संतान प्राप्ति की मन्नतें मांगी जाती हैं, और मान्यता है कि जो महिलाएं यहां झूला और घंटा बांधती हैं, उनकी गोद अवश्य भरती है.
असम से झांसी तक की अनूठी विरासत
मां कामाख्या देवी का प्रमुख मंदिर असम के गुवाहाटी में स्थित है, जो शक्ति उपासना का एक प्रमुख केंद्र माना जाता है. मान्यता है कि जब माता सती ने अपने पति भगवान शिव के अपमान से आहत होकर योग अग्नि में स्वयं को समर्पित कर दिया था, तो भगवान शिव उनके मृत शरीर को लेकर तांडव करने लगे. इससे पूरे ब्रह्मांड में विनाश का खतरा मंडराने लगा. इस स्थिति को रोकने के लिए भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के शरीर को 51 भागों में विभाजित कर दिया. इन 51 स्थानों को शक्ति पीठ माना जाता है, जिनमें असम का कामाख्या मंदिर भी शामिल है.
लेकिन झांसी के इस मंदिर की विशेषता यह है कि यहां माता सती पूर्ण स्वरूप में विराजमान हैं. यही कारण है कि यह मंदिर न केवल झांसी बल्कि पूरे बुंदेलखंड के लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है.
कैसे पड़ा 'कैमासन' नाम? एक वीरांगनाओं की कथा
झांसी का यह मंदिर ‘कैमासन मंदिर’ के नाम से भी जाना जाता है, और इसके पीछे एक रोचक किंवदंती जुड़ी हुई है. इतिहासकार हरगोविंद कुशवाहा बताते हैं कि 12वीं सदी में जब बुंदेलखंड में चंदेल राजाओं का शासन था, तब कैमासन और मैमासन नाम की दो बहनें यहां रहती थीं. वे बेहद सुंदर थीं, और उनकी सुंदरता की चर्चा पूरे क्षेत्र में थी.
उस समय भारत पर मुस्लिम आक्रमणकारियों (मुगलों) के हमले बढ़ रहे थे. जब आक्रमणकारियों को कैमासन और मैमासन की सुंदरता के बारे में पता चला, तो उन्होंने इन दोनों बहनों को बलपूर्वक पाने का प्रयास किया. अपने सम्मान की रक्षा के लिए इन बहनों ने झांसी की सबसे ऊंची पहाड़ी से कूदकर अपनी जान दे दी, लेकिन वे आक्रमणकारियों के हाथ नहीं आईं.
कहा जाता है कि सन 1120 में महोबा के राजा परमार चंदेल जब शिकार के लिए इस क्षेत्र में आए, तो उन्हें इस घटना के बारे में पता चला. उन्होंने इन वीरांगनाओं की स्मृति में यहां एक मंदिर बनवाने का निर्णय लिया और यहां मां कामाख्या की मूर्ति स्थापित की.
झूला और घंटा चढ़ाने से संतान प्राप्ति
मंदिर के पुजारी रामबाबू सिरोठिया बताते हैं कि मां कामाख्या की विशेष कृपा उन दंपतियों पर होती है, जो संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं. यहां आने वाले श्रद्धालु मंदिर में झूला और घंटा चढ़ाते हैं. मान्यता है कि जो महिलाएं यहां सच्चे मन से मन्नत मांगती हैं, उन्हें संतान सुख प्राप्त होता है. संतान प्राप्ति के बाद वे वापस मंदिर आकर झूला और घंटा चढ़ाकर अपनी मन्नत पूरी होने की कृतज्ञता व्यक्त करती हैं.
मंदिर समिति के अध्यक्ष आनंद मिश्रा का कहना है कि "भारत में मां कामाख्या के केवल दो प्रमुख मंदिर हैं- एक असम में और दूसरा झांसी में. इस मंदिर का निर्माण 1120 ईस्वी में हुआ था, और तब से यह आस्था का केंद्र बना हुआ है."
यहां सबकी मन्नत होती है पूरी
मंदिर में आने वाली श्रद्धालु शोभा मिश्रा बताती हैं, "मैं पिछले 50 सालों से यहां आ रही हूँ. इस मंदिर की मान्यता है कि यहां संतान प्राप्ति की इच्छा रखने वाली महिलाओं की गोद भर जाती है. मेरी खुद की भी यहां मन्नत पूरी हुई थी, इसलिए मैं हर साल मां के दर्शन के लिए यहां आती हूँ."
महिला श्रद्धालु मंजू नामदेव कहती हैं, "मेरी मां ने यहां मन्नत मांगी थी कि अगर मेरी संतान होगी, तो वह मां के चरणों में झूला चढ़ाएंगी. आज मेरा बेटा सुरक्षित है, और मैं मां को धन्यवाद देने आई हूं."
टिंकल साहू, जो खुद मां बनने का आशीर्वाद प्राप्त कर चुकी हैं, कहती हैं, "यहां मां से मांगी गई हर मन्नत पूरी होती है. मुझे यही से बेटा मिला है."
मंदिर तक पहुंचने के लिए 176 सीढ़ियां
इस मंदिर तक पहुंचने के लिए श्रद्धालुओं को 176 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं. नवरात्रि के दौरान यहां विशेष पूजा-अर्चना होती है, और भक्तों की लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. पुजारी बताते हैं कि मां कामाख्या की दिन में तीन बार आरती होती है, और इस दौरान पूरा मंदिर भक्तों की भक्ति और आस्था से गूंज उठता है.
आस्था और इतिहास का संगम
झांसी का मां कामाख्या मंदिर सिर्फ एक धार्मिक स्थल ही नहीं, बल्कि इतिहास और आस्था का संगम भी है. यह मंदिर न केवल श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, बल्कि वीरांगना बहनों कैमासन और मैमासन की अद्वितीय बलिदान गाथा को भी जीवित रखता है.
जो भी श्रद्धालु यहां सच्चे मन से मां से प्रार्थना करता है, उसकी झोली खुशियों से भर जाती है. चाहे संतान प्राप्ति की कामना हो या जीवन में किसी अन्य संकट का समाधान, मां कामाख्या हर भक्त की मनोकामना पूरी करती हैं.
(अजय शर्मा की रिपोर्ट)