उत्पन्ना एकादशी का व्रत मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को रखा जाता है. इस बार उत्पन्ना एकादशी 20 नवंबर को होगी. मान्यता है कि उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने से इंसानों के पिछले जन्म के पाप भी नष्ट हो जाते हैं. उत्पन्ना एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को संतान सुख, आरोग्य और जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिलती है.
क्यों महत्वपूर्ण है एकादशी का व्रत-
एकादशी का व्रत सभी व्रतों में सबसे महत्वपूर्ण होता है. एकादशी का नियमित व्रत रखने से मन कि चंचलता समाप्त होती है. इस व्रत से धन और आरोग्य की प्राप्ति होती है. हारमोन की समस्या भी ठीक होती है और मनोरोग दूर होते हैं. उत्पन्ना एकादशी का व्रत आरोग्य,संतान प्राप्ति और मोक्ष के लिए किया जाने वाला व्रत है. किसी भी तरह की मानसिक समस्या को इस व्रत से दूर किया जा सकता है. यह मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की एकादशी को रक्खा जाता है. मौसम और स्वास्थ्य के दृष्टि से इस माह में फल खाना अनुकूल होता है. इसलिए इस व्रत में फल को शामिल किया गया है.
उत्पन्ना एकादशी व्रत की पूजा विधि-
उत्पन्ना एकादशी का व्रत श्रीहरि विष्णु से मनोकामना पूरी करवाने की शक्ति रखता है. इसलिए पूरे विधि विधान से व्रत और पूजा करें. सात्विक तौर-तरीकों का पालन करें और इस पावन दिन का लाभ लें.
उत्पन्ना एकादशी व्रत के नियम-
उत्पन्ना एकादशी का व्रत करते हुए भी कई बातों का ध्यान रखना चाहिए. मन की शक्ति के साथ जब भक्ति का मेल हो जाता है. तो भगवान भी भक्त की सुनने को मजबूर हो जाते हैं.
ये व्रत दो तरह से रखा जाता है
उत्पन्ना एकादशी का व्रत करने से हर तरह की मनोकामनाएं पूरी होती है. चलिए आपको बताते हैं कि क्या करने से क्या फायदा होगा.
संतान की कामना है तो ये करें-
अगर आप संतान प्राप्ति की इच्छा रखते हैं या जीवन में कोई कमी आपको परेशान कर रही है. तो इस पावन वेला का लाभ लें. भगवान विष्णु आपको हर वरदान देंगे. बस पूरे मन से प्रभु की भक्ति और कुछ उपाय करें.
इच्छा पूर्ति के लिए क्या करें आप-
अगर आप इच्छा पूर्ति के लिए उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखना चाहते हैं तो इसका नियम जान लीजिए.
महीने में दो बार होता है एकादशी व्रत-
हर माह में दो बार एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस व्रत को श्रेष्ठ व्रतों में से एक माना गया है. एकादशी भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि जो भक्ति भाव और सच्ची श्रद्धा के साथ उत्पन्ना एकादशी का व्रत करता है, उसे अश्वमेघ यज्ञ करने के समान फल प्राप्त होता है. हालांकि इस व्रत के दौरान कई सावधानियों का ध्यान रखना चाहिए.
उत्पन्ना एकादशी से जुड़ी सावधानियां-
लोगों का मानना है कि उत्पन्ना एकादशी की महिमा 1000 गायों का दान करने से भी अधिक है. उत्पन्ना एकादशी का व्रत रखने वाले लोग देवताओं की त्रिमूर्ति भगवान ब्रह्मा, भगवान विष्णु और भगवान महेश को भी प्रसन्न कर सकते हैं. इसके अलावा, लोग विष्णु पूजा के दौरान देवी एकादशी की पूजा करते समय एक विशेष विष्णु मंत्र का जाप करते हैं. हालांकि पूजा के दौरान आपको कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए.
एकादशी तिथि भगवान विष्णु को अति प्रिय है. इस दिन भगवान विष्णु की शक्ति से देवी एकादशी ने जन्म लिया था और असुर का नाश किया था. इसलिए उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजन-मंत्रों का जाप कर हर अधर्म का नाश किया जा सकता है. साथ ही उत्पन्ना एकादशी का व्रत पूरे नियम, भक्ति भाव और विश्वास के साथ रखा जाता है. इस व्रत को रखने से धर्म और मोक्ष फलों की प्राप्ति होती है.
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