हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत खास माना जाता है. यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. जो भी भक्त इस व्रत को पूरे विधि विधान से करते हैं, उनके सारे कष्ट दूर होते हैं. इस बार एकादशी आज यानी 8 दिसंबर को मनाई जा रही है. इस एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है.
उत्पन्ना एकादशी-
पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी तिथि को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है. इसको लेकर ये मान्यता है कि इस महीने के 11वें दिन भगवान विष्णु के शरीर से एक देवी उत्पन्न हुई थी. इसलिए इसका नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा.
उत्पन्ना एकादशी का महत्व-
ऐसी मान्यता है कि इस तिथि पर भगवान विष्णु के शरीर से देवी एकादशी उत्पन्न हुईं और उन्होंने मुर नाम के राक्षस का वध किया था. इसलिए इस दिन भगवान विष्णु के साथ देवी एकादशी की भी पूजा की जाती है. माना जाता है ये कि व्रत या पूजन तभी सफल होगा, जब आप इससे संबंधित व्रत को सुनते हैं. इस दिन व्रत रखने और व्रत-पूजन करने से भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और भक्त के समस्त दुख और दरिद्रता दूर होती है.
क्या है उत्पन्ना एकादशी कथा-
भगवान श्रीकृष्ण ने खुद एकादशी माता के जन्म और इस व्रत की कथा युधिष्ठिर को सुनाई थी. सतयुग में मर नाम का एक राक्षस था. उस राक्षस ने स्वर्ग को जीत लिया था. इसके बाद इंद्र देव, वायु देव और अग्नि देव को मृत्युलोक जाना पड़ा. इसके बाद इंद्र भगवान शिव के पास गए और अपना दुख बताया. इसपर भगवान शिव ने इंद्र को भगवान विष्णु के पास जाने को कहा. इसके बाद इद्र भगवान विष्णु के पास पहुंचे और राक्षस मुर से अपनी रक्षा की गुहार लगाई. इसके बाद भगवान विष्णु राक्षस से युद्ध करते हैं. इस दौरान भगवान विष्णु को नींद आने लगती है और वो आराम करने के लिए एक गुफा में सो जाते हैं. इस दौरान राक्षस उनपर आक्रमण कर देता है. लेकिन इसी दौरान विष्णु के शरीर से कन्या उत्पन्ना होती है. कन्या से राक्षस का युद्ध होता है. कन्या ने राक्षस की हत्या कर दी. जब भगवान विष्णु नींद से जगते हैं तो उनको कन्या के बारे में पता चलता है. तब भगवान विष्णु कन्या को वरदान देते हैं कि तु्म्हारी पूजा करने वालों के सारे पाप नष्ट हो जाएंगे.
उत्पन्ना एकादशी की पूजा विधि-
उत्पना एकादशी की पूजा करने के लिए सबसे पहले सुबह जल्दी उठना चाहिए. इसके बाद स्नान करना चाहिए. घर या मंदिर में दीप जलाना चाहिए. भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करना चाहिए. इसके बाद नारियल, फल, सुपारी, धूप, लौंग, पंचामृत, चंदन और मिष्ठान से पूजा करनी चाहिए. भगवान विष्णु की आरती भी करें.
भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि बिना तुलसी के भगवान विष्णु भोग ग्रहण नहीं करते हैं. पूरे विधि विधान से उत्पन्ना एकादशी के दिन पूजा करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और सारे कष्ट दूर होते हैं.
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