उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड में श्राद्ध की अनोखी परंपरा आज भी कायम है. इस पंरपरा को महाबुलिया कहते हैं. इसमें छोटी-छोटी बच्चियां भाग लेती हैं. बार्डर पर फौजी जवानों की मौत, नवजात बच्चों की मौत और सड़क दुर्घटनाओं में अज्ञात लोगों की मौत के बाद उनका श्राद्ध करने के लिए बच्चियां काटों पर फूल सजाकर महाबुलिया (कांटे व फूल का गुलदस्ता) का पूजन करती हैं. फिर समूह में शाम के वक्त काटों से भरी फूल की झाड़ी को नदी या तालाबों में विसर्जित करती हैं. इस तरह से मृत आत्माओं के श्राद्ध के लिए तर्पण करती हैं.
पूरे साल पितृ पक्ष का करती हैं इंतजार
तर्पण करने वाली एक बालिका सुरभी ने बताया की वह पूरे साल पितृपक्ष का इंतजार करती है क्योंकि कांटों में फूल सजाकर तर्पण करने में उसे असीम शांति मिलती है और फूल सजाना उसे अच्छा लगता है. बुंदेलखंड स्थित हमीरपुर जिले के भैंसमरी गांव में अनोखी परंपरा के तहत गांव की ढेर सारी बच्चियों ने महाबुलिया निकाल कर आत्माओं की शांति के लिए तर्पण किया.
द्वापर युग से चली आ रही परंपरा
ये सभी बच्चियां पंचायत भवन से कांटों में फूल सजाकर समूह में निकलीं और अमृत सरोवर में जाकर पितृ का तर्पण किया. इसके बाद सभी बालिकाओं ने नृत्य किया और फिर प्रसाद वितरण किया गया. इस कार्यकर्म के आयोजक और ग्राम प्रधान धर्मेंद्र सिंह ने बताया की महाबुलिया द्वापर काल में श्रीकृष्ण भगवान के जमाने की प्राचीन परंपरा है. जब भगवान श्रीकृष्ण का जन्म हुआ तो कंस ने एक फरमान जारी कर सभी नवजात बच्चों की हत्या करवा दी थी. फिर जब श्रीकृष्ण जी द्वारका पहुंचे तो उन्होंने कंस द्वारा मरवा दिया गए सभी नवजात बच्चो का श्राद्ध कराकर उनका तर्पण किया था. तभी से बुंदेलखंड में महाबुलिया की परंपरा चल रही है.
हर गांव में मनाई जाती है महाबुलिया
बुंदेलखंड इलाके के सभी सातों जिलों हमीरपुर, महोबा, बांदा, चित्रकूट, जालौन, झांसी और ललितपुर जिले में पितृपक्ष के मौके पर हर गांव में महाबुलिया मनाई जाती है. इस इलाके के हर गांव में शाम के वक्त छोटी बालिकाएं कांटों में फूल सजाकर समूह में तर्पण करने जाती हैं. इस इलाके में बालिकाएं क्यों महाबुलिया मनाती हैं, इस पर एक बालिका शांति देवी ने बताया कि महाबुलिया में कांटों में फूल सजाकर वो नवजात बच्चों, सड़क दुर्घनाओं में मृत अज्ञात लोगों और शहीद हुए सेना के जवानों का श्राद्ध कर के उनका तर्पण करती हैं बुंदेलखंड के अपने अलग रीति-रिवाज और परंपराएं हैं, जिनकी चर्चा पूरे देश में होती रहती है. इसी कड़ी में पितृपक्ष में मनाया जाने वाला महाबुलिया भी है. यहां के लोगों ने कहा कि इसको मनाकर हम देश और दुनिया को बुंदेलखंड की इस प्राचीन परंपरा से अवगत करा रहे हैं.
(नाहिद अंसारी की रिपोर्ट)
(गुड न्यूज टुडे चैनल को WhatsApp पर फॉलो करें.)