उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर है जहां पुजारी भी आंख और मुंह पर पट्टी बांधकर पूजा करते हैं. चमोली मां नंदा के धर्म भाई वाण गांव स्थित लाटू देवता मंदिर के कपाट खुल गए हैं. आगामी 6 महीने के लिए भक्त यहां आकर दर्शन करने वाले हैं. मंगलवार को वैदिक मंत्रोच्चार के साथ लाटू मंदिर के दोपहर बाद 2 बजकर 10 मिनट पर श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए. अब अगले 6 महीनों तक श्रद्धालु मंदिर तरफ 50 से 75 मीटर की दूरी से पूजा अर्चना कर सकेंगे.
इस अवसर पर उपस्थित श्रद्धालुओं ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ पारंपरिक ढोल और दमाऊ की थाप पर जागरों के साथ झोडा, झुमेला लोक नृत्य कर खुशी जताई. कपाट खुलने के मौके पर मंदिर परिसर लाटू देवता के जयकारों से गुंजायमान हो उठा.
पुजारी भी आंख बंद करके करते हैं पूजा
बताते चलें इस मंदिर की खासियत है कि यहां पर पुजारी द्वारा आंखों पर पट्टी लगाने के बाद इस मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं. फिर पुजारी गर्भगृह में प्रवेश करते हैं. करीब आधे घंटे तक आंख और मुंह में पट्टी बांधकर मुख्य पुजारी मंदिर के अंदर पूजा अर्चना और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करते हैं. इस बार प्रदेश की खुशहाली सुख समृद्धि की कामना की गई है.
रहस्यमयी मंदिर भी कहते हैं इसे
इसे रहस्यमयी मंदिर भी कहते हैं. यहां महिलाओं और पुरुष किसी भी श्रद्धालु को मंदिर के अंदर जाने की इजाजत नहीं होती है. यहां भक्त तो क्या मंदिर का पुजारी भी भगवान के दर्शन नहीं कर पाता है. पुजारी जब भी मंदिर के गर्भगृह में प्रवेश करता है तो अपनी आंखों पर पट्टी बांधकर यहां पर पूजा-अर्चना करता है. सबसे बड़ी बात यह है कि यहां पुजारी के अलावा मंदिर के अंदर कोई भी प्रवेश नहीं कर सकता है. बताया यह भी जाता है कि इस मंदिर में नागराज और उनकी अद्भुत मणि भी विराजमान है. भक्त भी मंदिर से 50 मीटर की दूरी से ही दर्शन व पूजा अर्चना करते हैं.
चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के वाण में है मंदिर
यह मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले के देवाल ब्लॉक के वाण में स्थापित है. यह देवस्थल लाटु मंदिर के नाम से विख्यात है. लोक मान्यताओं के अनुसार लाटू देवता उत्तराखंड की आराध्य देवी नंदा देवी के धर्म भाई हैं. वाण गांव में प्रत्येक 12 वर्षों में होने वाली उत्तराखंड की सबसे लंबी पैदल यात्रा नंदा देवी राजजात का 12वां पड़ाव है. लाटू देवता वाण से लेकर होमकुंड तक अपनी बहन नंदा की अगवानी नंदा देवी राजजात के दौरान करते हैं. लाटू देवता वाण गांव से होमकुंड अंतिम पड़ाव तक नंदा देवी के अभिनंदन करते हैं. मंदिर का द्वार वर्ष के एक ही दिन वैशाख मास की पूर्णिमा के दिन खुलता है. इस दिन पुजारी इस मंदिर के कपाट अपने आंख मुंह में पट्टी बांधकर खोलते हैं. देवता के दर्शन भक्त दूर से ही करते हैं जब मंदिर के कपाट खुलते हैं, तब विष्णु सहस्त्रनाम और भगवती चंडिका का पाठ आयोजन किया जाता है.
(कमल नयन सिलोड़ी की रिपोर्ट)