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Parashuram Temple: सदियों पुरानी विष्णुशिला और आयोध्या के रामलला की मूर्ति में मिली समानताएं, जानिए इस खास मंदिर के बारे में

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय के पौराणिक परशुराम मंदिर की विष्णुशिला को अयोध्या के रामलला की मूर्ति से जोड़ा जा रहा है. इन दोनों मूर्तियों में समानता देखी जा रही है.

Parashuram Temple Parashuram Temple
हाइलाइट्स
  • मंदिर में सदियों पुरानी हैं मूर्तियां 

  • पौराणिक किताबों में मिलता है जिक्र 

उत्तरकाशी जिला मुख्यालय में स्थापित पौराणिक परशुराम मंदिर इन दिनों खासी चर्चा में है. स्थानीय लोग इस मंदिर की विष्णु शिला को अयोध्या के रामलला की मूर्तिकला से जोड़ा जा रहा है. हाल ही में रामलला की मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा मंदिर में हुई है. जानकार और मंदिर के पुजारी बताते है कि परशुराम मंदिर में स्थापित विष्णु जी की मूर्ति 8वी-9वीं सदी में स्थापित की गई थी. 

परशुराम मंदिर की विष्णु भगवान की मूर्ति में उनके दस अवतारों की मूर्तियां शिला पर उकेरी गई हैं. कहा जा रहा है कि मूर्ति के मुंह का सजीव चित्रण अयोध्या में बनी श्री राम जी की मूर्ति से मिलता जुलता है. इसके साथ ही अयोध्या और यहां परशुराम मंदिर की मूर्तियों में कमलासन बना हुआ है. जिस पर दोनों भगवान की मूर्तियां खड़े में विराजमान है. 

सदियों पुरानी हैं मूर्तियां 
परशुराम मंदिर के पुजारी शैलेंद्र नौटियाल का कहना है कि परशुराम मंदिर में स्थित विष्णु भगवान की मूर्ति सदियों पुरानी है और पुरातत्व विभाग ने भी यही जानकारी दी है. यहां पर परशुराम जी को भगवान विष्णु के रूप में पूजा जाता है. क्योंकि परशुराम विष्णु जी के अवतार माने गए हैं. इसके साथ ही इस मंदिर के द्वार पर विक्रम संवत 1742 वर्ष का कॉपर प्लेट स्थापित है, जिस पर पांडवों की मूर्तियां उकेरी गई हैं. वहीं एक 181 वर्ष पुराना संस्कृत में लिखा गया शिलापट्ट है. 

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स्कन्द पुराण के केदारखंड में वर्णित है कि जब विष्णु जी के अवतार परशुराम ने क्षत्रियों का नाश करने के बाद उनका क्रोध शांत नहीं हुआ था तो भगवान शिव ने उन्हें हिमालय की उत्तरकाशी में तपस्या करने के लिए कहा था. उन्होंने वरुणावत पर्वत के विमलेश्वर मंदिर में तपस्या की थी. जिसके बाद उनका क्रोध शांत हुआ और वह सौम्य हो गए थे. तब उन्हें भगवान काशी विश्वनाथ ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि जिस स्थान पर तुम्हारा क्रोध शांत हुआ है, उस उत्तरकाशी को सौम्यकाशी के नाम से जाना जाएगा. 

पौराणिक किताबों में मिलता है जिक्र 
सामाजिक सरोकारों से जुड़े और वरिष्ठ पत्रकार शैलेंद्र गोदियाल बताते है कि उत्तरकाशी के पौराणिक मंदिरों में परशुराम मंदिर प्रमुख है. इतिहास की पुस्तकों और केदार खंड में भी इस मंदिर का उल्लेख मिलता है. गढ़वाल राजशाही के दौरान भी उत्तरकाशी के परशुराम मंदिर को श्रेणी तीन में रखा गया था.

मंदिर में भगवान विष्णु की कमल रूपी पाषाण मूर्ति है, जो इस मंदिर की पौराणिकता का हस्ताक्षर है. परंतु वर्तमान में मंदिर का स्वरूप प्राचीन स्वरूप से भिन्न हो गया है. हालांकि, उनका कहना है कि मंदिरों के प्राचीन स्वरूप से छेड़छाड़ किया जाना उचित नहीं है, क्योंकि अधिकांश पौराणिक मंदिरों का सौंदर्यकरण के नाम पर सीमेंट और कंक्रीट का प्रयोग करके स्वरूप को बिगाड़ा जा रहा है. 

(ओंकार बहुगुणा की रिपोर्ट)