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Veni Madhav: माघ मेले के रक्षक हैं वेणी माधव, जानिए क्या है मंदिर की महिमा और मेले से जुड़ाव की कहानी

प्रयागराज में माघ मेला चल रहा है और मकर संक्रांति के मौके पर यहां महास्नान होगा. ऐसे में यहां के चर्चित वेणी माधव मंदिर में श्रद्धालुओं की भीड़ जुटने लगी है. इस मंदिर का माघ मेले से एक खास जुड़ाव है. वेणी माधव को नगर देवता का दर्जा हासिल है और उन्हें माघ मेले का रक्षक माना जाता है. क्या है मंदिर की महिमा और माघ मेले से जुड़ाव की कहानी.

माघ मेले के रक्षक हैं वेणी माधव माघ मेले के रक्षक हैं वेणी माधव
हाइलाइट्स
  • वेणी माधव करते हैं संगम की रक्षा

  • संसार की दुर्लभ प्रतिमा है वेणी माधव

प्रयागराज में माघ मेला आस्था का वो भव्यतम रूप है, जिसमें करोड़ों श्रद्धालु और साधु संत संगम में स्नान करते हैं. कल्पवासी संगम तट पर ही एक महीने तक रह कर कल्पवास करते हैं. लेकिन माघ मेले के रक्षक हैं ‘वेणी माधव’. कहते हैं इस समय वेणी माधव पूरे माघ मेला क्षेत्र में भ्रमण करते रहते हैं.
 
वेणी माधव करते हैं संगम की रक्षा
तीर्थराज प्रयाग में होने वाला माघ मेला सनातन संस्कृति और हिंदू धर्म का वो आयोजन है जो सदियों से लोगों की आस्था का केंद्र है. माघ मेले में त्रिवेणी में न सिर्फ़ मनुष्य स्नान करते हैं. बल्कि मान्यता है कि देवता और दानव भी यहां स्नान करने आते हैं. कल्पवासी यहाँ पूरे एक महीने तक रह कर नियम संयम का पालन कर कल्पवास करते हैं. पर यहाँ से कुछ ही दूर दारागंज इलाक़े में स्थापित है माघ मेले के रक्षक ‘वेणी माधव’. वेणी माधव यूँ तो प्रयागराज का वो प्राचीन मंदिर है, जहां साल भर दर्शनार्थियों की भीड़ रहती है पर माघ मेले के अवधि में वेणी माधव मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला रुकता ही नहीं. माघ मेले में संगम स्नान के बाद वेणी माधव जी का दर्शन करने की परम्परा है. स्वयं गोस्वामी तुलसीदास ने इसका वर्णन किया है. 
 
क्या है वेणी माधव की पौराणिक कथा
दरअसल वेणी माधव का माघ मेले से नाता उतना ही पुराना है, जितना प्राचीन है माघ मेले का इतिहास. प्रयाग में सृष्टि का पहला यज्ञ हुआ. सब लोग देवता, दानव, यक्ष, मानव यहाँ आने लगे. तब ब्रह्मा जी ने सृष्टि के पालनकर्ता विष्णु जी से कहा कि यहां इस क्षेत्र में मेले की रक्षा करें. तब से स्वयं विष्णु माधव के रूप में यहाँ स्थापित हो गए. इसीलिए यहाँ प्रयागराज में 'द्वादश माधव' विराजमान हैं. साल में एक बार द्वादश माधव यात्रा भी निकाली जाती है. इन्हीं में प्रमुख हैं 'वेणी माधव'. ये परम्परा है कि माघ मेले की शुरुआत में वेणी माधव के स्वरूप को नगर भ्रमण कराया जाता है. उसके बाद से पूरे माघ मेले के दौरान वेणी माधव माघ मेले में ही विचरण करते रहते हैं और माघ मेले की रक्षा करते हैं.
 
संसार की दुर्लभ प्रतिमा है वेणी माधव
माघ मेले में कल्पवासियों का नियम तभी पूरा होता है जब वो अपने कल्पवास के सम्पन्न होने पर वेणी माधव का दर्शन करें. शालिग्राम शिला से बनी वेणी माधव की प्रतिमा के साथ त्रिवेणी जी की प्रतिमा भी है. त्रिवेणी जी की प्रतिमा भी माधव की तरह ही शंख चक्र धारण लिए हुए है. माधव विष्णु रूप में खड़े हैं पर त्रिवेणी जी कमल पर विराजमान हैं. कहा जाता है कि ये इस रूप में संसार की दुर्लभ प्रतिमा है जो कहीं और नहीं है. 
 
वेणी माधव को रिझाने के लिए प्रस्तुति देते हैं कलाकार
पूरे माघ मेले के दौरान वेणी माधव मंदिर में श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला जारी रहता है, तो माधव जी को रिझाने के लिए कई कलाकार भी मंदिर में प्रस्तुति देते हैं. मंदिर में प्रभु के जयकारे के साथ उत्सव का माहौल रहता है. माघ मेले की परम्परा के साथ कई कथाएं जुड़ी हैं. लेकिन माघ मेले के रक्षक वेणी माधव पूरे मेला क्षेत्र पर अपनी कृपा सृष्टि रखते हैं. यानि भक्त अगर अपने प्रभु के दरबार में हैं तो स्वयं भगवान भी रक्षक की अपनी भूमिका निभाते हैं.