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Vijaya Ekadashi 2024: कब है विजया एकादशी? भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए कैसे करें पूजा, यहां जानिए शुभ मुहूर्त से लेकर व्रत का महत्व

Vijaya Ekadashi 2024 Date: ऐसी मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध करने से पहले अपनी पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखा था. जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और प्रभु राम को विजय की प्राप्त हुई. विजया एकादशी पर जिस मनोकामना को लेकर आप व्रत का संकल्प लेंगे, उसमें आपको विजय मिलेगी.

Vijaya Ekadashi 2024 Vijaya Ekadashi 2024
हाइलाइट्स
  • विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु संग मां लक्ष्मी की होती है पूजा

  • पद्म और स्कंद पुराण में विजया एकादशी व्रत का बताया गया है महत्व 

हिंदू धर्म में सभी एकादशी का अपना-अपना महत्व बताया गया है. इसमें विजया एकादशी का विशेष महत्व. इसी दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की भक्त पर कृपा बनी रहती है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष एकादशी को विजया एकादशी मनाई जाती है.

क्या है शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार विजया एकादशी तिथि का आरंभ 6 मार्च 2024 को सुबह 6:31 बजे से होगा. विजया एकादशी की समाप्ति अगले दिन 7 मार्च को 4: 14 बजे होगी. उदया काल 6 मार्च है इसलिए विजया एकादशी का व्रत 6 मार्च को रखा जाएगा. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 6:41 बजे से सुबह 9:37 बजे तक रहेगा. व्रती पारण 7 मार्च को सुबह 6 बजकर 38 मिनट के बीच कर सकते हैं.

हर बाधा पर विजय पाने की मिलती है शक्ति 
विजया एकादशी, नाम के अनुसार ही इस एकादशी का व्रत करने वाले को जीवन की हर बाधा पर विजय पाने की शक्ति मिलती है. ये एकादशी आपका आत्मबल बढ़ाएगी साथ ही आपको सशक्त बना सकती है.पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी इस व्रत का महत्व बताया गया है. पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इसी व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को जीत में बदल लेते थे. कहा जाता है कि विकट से विकट परिस्थिति में भी विजया एकादशी के व्रत से जीत पाई जा सकती है.ऐसा इसलिए भी क्योंकि व्रतों में सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इससे आप चन्द्रमा के हर ख़राब प्रभाव को रोक सकते हैं, ग्रहों के बुरे प्रभाव को भी काफी हद तक कम कर सकते हैं.

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विजया एकादशी का महत्व
मान्यता है कि विजया एकादशी के दिन व्रत रखने से हर समस्या का निदान हो जाता है. लंका पर विजय प्राप्त करने के लिए भगवान श्रीराम ने समुद्र के तट पर अपनी पूरी सेना के साथ विजया एकादशी का व्रत रखा था. जिसके प्रभाव से रावण का वध हुआ और भगवान राम को विजय प्राप्त हुई. इस व्रत को सभी पापों का नाश करने वाला माना जाता है. इस एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है. इस व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.ज्योतिष के जानकारों की मानें तो विजया एकादशी पर जिस मनोकामना को लेकर आप व्रत का संकल्प लेंगे उसमें आपको विजय मिलेगी.

पूजा विधि
1. विजया एकादशी का दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी को समर्पित है. 
2. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें. 
3. पीले या लाल रंग के वस्त्र को धारण करें. 
4. पूजा का मंदिर अच्छे से स्वच्छ कर लें. फिर उसपर सप्त अनाज रखें. 
5. इसके बाद वहां पर कलश स्थापित करें. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें. 
6. फल, फूल, दीपक, चंदन और तुलसी से भगवान विष्णु की पूजा करें.
7. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें.व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
8. रात में श्री हरि के नाम का जाप करते हुए जागरण करें.
9. अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान दक्षिणा दें.

विजया एकादशी पर क्या करें और क्या नहीं
तामसिक आहार इस दिन नहीं करें. भगवान विष्णु का ध्यान करके ही दिन की शुरुआत करें. इस दिन मन को ज्यादा से ज्यादा भगवान विष्णु में लगाए रखें. सेहत ठीक ना हो तो उपवास न रखें. केवल व्रत के नियमों का पालन करें. एकादशी के दिन चावल और भारी भोजन न खाएं. विजया एकादशी के दिन रात की पूजा उपासना का विशेष महत्व होता है. इस दिन क्रोध नहीं करें, कम बोलें और आचरण पर नियंत्रण रखें.