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Vijaya Ekadashi 2025: 23 या 24 फरवरी… विजया एकादशी कब? लंका पर जीत के लिए भगवान राम ने रखा था यह व्रत, इस मुहूर्त में श्रीहरि की पूजा करने से बरसेगी कृपा 

Vijaya Ekadashi 2025 Date and time: पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी विजया एकादशी व्रत का महत्व बताया गया है. विजया एकादशी का मतलब है विजय दिलाने वाली एकादशी. लंका पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने भी विजया एकादशी का व्रत रखा था. आइए जानते इस बार विजया एकादशी किस दिन मनाई जाएगी और शुभ मुहूर्त व पूजा की क्या विधि है?

Vijaya Ekadashi 2025 Vijaya Ekadashi 2025
हाइलाइट्स
  • विजया एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ की जाती है मां लक्ष्मी की आराधना 

  • इस दिन व्रत रखने से शत्रुओं पर मिलती है जीत

Vijaya Ekadashi Kab hai: हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत भगवान विष्णु का आशीर्वाद पाने के लिए किया जाता है. महीने में दो एकादशी यानी पूरे साल में 24 एकादशी पड़ती है. इसमें से विजया एकादशी (Vijaya Ekadashi) का विशेष महत्व है. फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि पर विजया एकादशी का व्रत रखा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु के साथ मां लक्ष्मी की आराधना की जाती है. 

भगवान विष्णु की बनी रहती है कृपा
पद्म पुराण और स्कंद पुराण में भी इस व्रत का महत्व बताया गया है. विजया एकादशी का मतलब है विजय दिलाने वाली एकादशी. लंका पर विजय पाने के लिए भगवान राम ने भी विजया एकादशी का व्रत रखा था. जो लोग शत्रुओं पर विजय पाना चाहते हैं, वो इस दिन व्रत रख सकते हैं. पौराणिक मान्यता है कि प्राचीन काल में कई राजा-महाराजा इसी व्रत के प्रभाव से अपनी निश्चित हार को जीत में बदल लेते थे. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से भगवान विष्णु की भक्त पर कृपा बनी रहती है. मोक्ष की प्राप्ति होती है. यदि आपको जीवन में सुख-समृद्धि चाहिए तो आप इस व्रत को रख सकते हैं. विजया एकादशी के दिन व्रत रखने और भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना करने से भक्त की सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.

इस बार कब रखा जाएगा विजया एकादशी का व्रत
विजया एकादशी की तिथि की शुरुआत 23 फरवरी को दोपहर 1 बजकर 55 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 24 फरवरी 2025 को दोपहर 1 बजकर 44 मिनट पर होगा. उदया तिथि के मुताबिक 24 फरवरी 2025 दिन सोमवार को ही विजया एकादशी मनाई जाएगी. इसी दिन व्रत रखा जाएगा. आप विजया एकादशी व्रत का पारण 25 फरवरी को सुबह 6 बजकर 50 मिनट से लेकर 9 बजकर 8 मिनट तक कर सकते हैं. 

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24 फरवरी को विजया एकादशी पूजा का शुभ मुहूर्त 
1. ब्रह्म मुहूर्त सुबह 05 बजकर 11 मिनट से 06 बजकर 01 मिनट तक.
2. विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 29 मिनट से 03 बजकर 15 मिनट तक.
3. गोधूलि मुहूर्त शाम 06 बजकर 15 मिनट से 06 बजकर 40 मिनट तक.
4. निशिता मुहूर्त रात्रि 12 बजकर 09 मिनट से 12 बजकर 59 मिनट तक.

विजया एकादशी पूजन विधि 
1. विजया एकादशी का दिन भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करनी चाहिए.
2. इस दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें.
3. पीले या लाल रंग के वस्त्र को धारण करें.
4. पूजा का मंदिर अच्छे से स्वच्छ कर लें. फिर उसपर सप्त अनाज रखें.
5. इसके बाद वहां पर कलश स्थापित करें. फिर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें.
6. फल, फूल, दीपक, चंदन और तुलसी से भगवान विष्णु की पूजा करें.
7. इसके बाद भगवान विष्णु की आरती करें. व्रत कथा पढ़ें या सुनें.
8. रात में श्री हरि के नाम का जाप करते हुए जागरण करें.
9. अगले दिन ब्राह्मणों को भोजन और दान दक्षिणा दें.

विजया एकादशी कथा
धार्मिक मान्यता के अनुसार विजया एकदाशी का व्रत रखने से भक्त को हर काम में विजय मिलती है. मान्यता है कि त्रेता युग में जब भगवान श्री राम लंका पर चढ़ाई करने के लिए समुद्र तट पर पहुंचे, तब मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने समुद्र देवता से मार्ग देने की प्रार्थना की लेकिन समुद्र देव ने श्री राम को लंका जाने का मार्ग नहीं दिया. इसके बाद भगवान राम ने वकदालभ्य मुनि के कहने पर अपनी पूरी सेना के साथ विजय एकादशी का व्रत रखा था. इस व्रत के प्रभाव से जहां समुद्र देव ने प्रभु राम को मार्ग प्रदान किया, वहीं रावण का वध हुआ और भगवान राम को विजय प्राप्त हुई. उसी समय से इस तिथि को विजया एकादशी के नाम से जाना जाता है.