रोजाना हम सुब शाम की पूजा में दीपक जलाते हैं. किसी भी पूजा आराधना में बिना दीपक के पूजा उपासना संपन्न नहीं होती है. हम तीर्थ स्थानों पर जाते हैं तो दीपदान करते हैं. मंदिरों में रोजाना दीपक के जरिए ही भगवान की आरती और वंदना की जाती है.
दीपक जलाने का आध्यात्मिक महत्व-
हर शाम को घर की चौखट पर दीपक को जलाना हमारी पुरातन परंपरा का हिस्सा रहा है. संपूर्ण ब्रह्मांड में प्रकाश ही गति की ऊर्जा है. जिसका मुख्य स्रोत सूर्य देव हैं और दीपक की बाती से निकलने वाले प्रकाश को वेदों में अग्नि या सूर्य का तत्व ही माना गया है. देवी-देवताओं की पूजा में दीपक जलाने का विशेष महत्व है. जो लोग विधि-विधान से पूजा नहीं कर पाते हैं, वे भगवान के सामने सिर्फ दीपक जलाकर भी पूजा कर सकते हैं. दीपक से आरती की जाती है. आरती के बाद ही पूजन कर्म पूर्ण होते हैं.
दीपक जलाने का शास्त्रीय विधान-
दीपक के आध्यात्मिक महत्व को तो आपने समझ लिया. इसीलिए चलिए अब आपको बताते हैं कि आखिर दीपक को जलाने का शास्त्रीय विधान क्या है.
दीपक जलाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है. साथ ही वास्तु दोष खत्म होता है. इसीलिए हमें घर में नियमित रूप से दीपक जलाना चाहिए. शास्त्रीय मान्यता है कि घी का दीपक हमेशा भगवान के समर्पण के लिए जलाते हैं. जबकि तेल का दीपक हमेशा हम अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए जलाते हैं.
धातुओँ के दीपक जलाने का विधान-
वैसे तो वेदों में प्रकृति पूजा का विधान है. इसीलिए सनातन धर्म में मिट्टी के दीपक के जलाने की परंपरा बताई गई है. लेकिन अलग अलग कामना पूर्ति के लिए सोना, चांदी,पीतल,कांसा तांबा, जैसी धातुओं के दीपक जलाने का विधान भी बताया गया है.
किस दिशा में जलाएं दीपक-
वैसे तो दीपक के जलने से दसों दिशाओं का अंधकार खत्म होता है. लेकिन वास्तु शास्त्र के अनुसार घर की हर दिशा में दीपक जलाने के अलग अलग मायने होते हैं. अलग अलग दिशा में जलाया गया दीपक आपको अलग अलग फल देता है.
मन्नत का एक दीप जलाएं-
दीपक को ज्ञान का प्रतीक माना जाता है. घर के मंदिर से लेकर तीर्थों तक जलाया गया दीपक पुण्य फल दिलाती है. देवपूजा में दीपक का बड़ा महत्व माना गया है. पूजा के समय दीपक कैसा हो, उसमें कितनी बत्तियां हों यह जानना भी बेहद जरूरी है. यही जानकारी उस देवता की कृपा और अपने उद्देश्य की पूर्ति का कारण बनती है. तो चलिए सबसे पहले आपको बताते हैं कि अलग अलग कामना के लिए आपको दीपक में बाती के साथ किस तैलीय द्रव्य का इस्तेमाल करना है.
देव कृपा के लिए जलाएं दीपक-
जिस तरह अलग अलग कामनाओं के लिए अलग अलग धातु के दीपक का इस्तेमाल किया जाता है. अलग अलग मन्नतों के लिए अलग अलग तैलीय द्रव्य का प्रयोग किया जाता है. वैसे ही अलग अलग देवों की कृपा पाने के लिए अलग अलग बत्ती के दीपक को जलाने का शास्त्रीय विधान बताया गया है.
पुराणों में दीप जलाने का तरीका-
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दीपक का दान करना या दीप को जलाकर देव स्थान पर रखना ही दीपदान कहलाता है. वैसे हम जानते हैं कि किसी दीपक को उन्हें नदी में प्रवाहित करना दीपदान कहलाता है. कहा जाता है कि यह प्रभु के समक्ष निवेदन प्रकट करने का एक धार्मिक तरीका होता है. पद्म पुराण से लेकर अग्नि पुराण में दीपदान कैसे करें और कहां करें इस बात की व्याख्या मिलती है.
अग्निपुराण में बताया गया है कि जो मनुष्य देव मंदिर अथवा ब्राह्मण के गृह में दीपदान करता है, वह सबकुछ प्राप्त कर लेता है
पद्मपुराण के अनुसार मंदिरों में और नदी के किनारे दीपदान करने से लक्ष्मीजी प्रसन्न होती हैं
दुर्गम स्थान या भूमि पर दीपदान करने से व्यक्ति नरक जाने से बच जाता है
दीपदान की तिथियां-
चलिए आपको बताते हैं कि दीप दान कब कब करना चाहिए.
दीपदान का विधान-
आखिर आपको किसी भी पुण्यकारी तिथि पर दीपदान कैसे करना है, ये भी जान लीजिए.
दीपक जलाने का मंत्र-
हिंदू धर्म में हर मांगलिक कार्य के लिए मंत्र है...कोई भी शुभ कार्य करने के दौरान इन मंत्रों का उच्चारण किया जाता है. उसी प्रकार शाम के समय घर पर दीपक जलाते समय मंत्र का उच्चारण करना चाहिए. ऐसा करने से जीवन में कल्याण होगा और लाभ मिलेगा.
दीपो ज्योति परंब्रह्म दीपो ज्योतिर्जनार्दन:।
दीपो हरतु मे पापं संध्यादीप नमोस्तुते।।
शुभं करोति कल्याणम् आरोग्यम् धनसंपदा।
शत्रुबुद्धिविनाशाय दीपकाय नमोस्तुते।।
दीपक जलाते समय इस मंत्र का उच्चारण करने से कई विशेष लाभ मिलते हैं. तो आप भी शास्त्रीय विधान से दीपदान कीजिए और अपने जीवन को प्रकाशित कर लीजिए.
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