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Ayodhya 84 Kosi Parikrama: क्या है अयोध्या की 84 कोसी परिक्रमा और इसका महत्व, कैसे हुई इसकी शुरुआत... जानिए सबकुछ

Ayodhya 84 Kosi Parikrama: आज से 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत हो गई. ये परिक्रमा 21 दिनों तक चलेगी और इसका समापन 14 मई को होगी. बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं इस परिक्रमा यात्रा में शामिल हो रहे हैं.

84 Kosi Parikrama Marg  (File Photo) 84 Kosi Parikrama Marg (File Photo)

अवधपुरी में आज से 84 कोसी परिक्रमा शुरू हो गई. मान्यता है कि इस परिक्रमा यात्रा में शामिल होने वाले मनुष्य को 84 लाख योनियों के चक्र से मुक्ति मिल जाती है. बता दें कि बस्ती जिले के मखभूमि से 84 कोसी परिक्रमा की शुरुआत हुई. ये परिक्रमा 21 दिनों तक चलने के बाद 14 मई को संपन्न होगी. इस परिक्रमा में श्रद्धालुओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में साधु-संत भी शामिल हो रहे हैं. 21 दिनों की इस धार्मिक परिक्रमा में जगह-जगह कीर्तन, हनुमान चालीसा और सुंदरकांड पाठ किए जाएंगे. चलिए आपको विस्तार से बताते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई थी और इसका महत्व क्या है.

क्या है 84 कोसी परिक्रमा ?

अयोध्या में तीन तरह की परिक्रमा होती है. सबसे छोटी परिक्रमा 5 कोस की है जो करीब 15 किमी की होती है. इसके अलावा 14 कोसी परिक्रमा भी होती है जो करीब 42 किमी की होती है. तीसरी 84 कोसी परिक्रमा है जो करीब 275 किमी की होती है. बात 84 कोसी परिक्रमा मार्ग की करें तो ये  मार्ग पांच जिलों में 275.35 किमी तक फैला हुआ है. इसकी शुरुआत बस्ती जिले से होती है. फिर आंबेडकर नगर, बाराबंकी और गोंडा से होते हुए राम भक्त अयोध्या पहुंचते हैं. 84 कोस की परिक्रमा उन सभी महत्वपूर्ण स्थानों से होकर गुजरती है, जो भगवान राम के राज्य से जुड़े हुए हैं. यानी ये अवध क्षेत्र की परिक्रमा है. 

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कैसे हुई शुरुआत और क्या है महत्व

84 कोस की परिक्रमा, मनुष्य को 84 योनियों से मुक्ति दिलाती है. मान्यता है कि इसकी शुरुआत त्रेता युग में हुई थी. धार्मिक ग्रंथों और पुराणों के मुताबिक, राजा दशरथ ने देवताओं से पुत्र प्राप्ति के लिए अयोध्या से लगभग 20 किमी दूर मनोरमा नदी के तट पर पुत्रेष्ठी यज्ञ किया था. 84 कोस परिक्रमा उसी स्थान से शुरू होती है, जहां यज्ञ किया गया था. यानी बस्ती में मखौड़ा गांव से यात्रा की शुरुआत होती है. पुत्र यज्ञ के लिए दशरथ जी ने करीब 22 दिनों में पैदल ही यात्रा पूरी की थी. इसमें करीब 25 पड़ाव के साथ विश्राम के लिए कई जगहें हैं. 

84 कोसी परिक्रमा का बड़ा महत्व है माना जाता है कि इस परिक्रमा से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है. ऐसी मान्यता है कि इस परिक्रमा को करने वाले लोगों को प्राप्त हुआ पुण्य अक्षुण रहता है, मनोकामना की पूर्ति होती है.