ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को गायत्री जयंती मनाई जाती है. इस दिन वेद माता गायत्री का प्राकट्य हुआ था. इस दिन गायत्री मंत्र का जाप करने से विभिन्न मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं. बता दें कि मां गायत्री को सभी देवताओं की माता और देवी सरस्वती, पार्वती और देवी लक्ष्मी का अवतार माना जाता है. गायत्री मंत्र दुनिया का सबसे शक्तिशाली मंत्र माना जाता है.
क्या है गायत्री मंत्र ?
गायत्री मंत्र मुख्यतः वेदों की ऋचा है. यह मुख्यतः यजुर्वेद और ऋग्वेद के दो भागों से मिलकर बना है. इस ऋचा में मुख्यतः ईश्वरीय प्रकाश (सविता) की आराधना की गई है. इसलिए इसको सावित्री भी कहा जाता है. गायत्री मंत्र का अर्थ है कि उस प्राणस्वरूप, दुःखनाशक, सुखस्वरूप, श्रेष्ठ, तेजस्वी, पापनाशक, देवस्वरूप परमात्मा को हम अन्तःकरण में धारण करें, वह परमात्मा हमारी बुद्धि को सन्मार्ग में प्रेरित करें. इस मंत्र के जाप से भौतिक और आध्यात्मिक दोनों तरह की उपलब्धियां प्राप्त होती हैं. जिस तरह की प्रार्थना के साथ गायत्री मंत्र का जाप किया जाता है वैसी ही उपलब्धि प्राप्त होती है. शिक्षा एकाग्रता और ज्ञान के लिए गायत्री मंत्र सर्वश्रेष्ठ है.
गायत्री जयंती पर एकादशी तिथि 17 जून को सुबह 4:43 बजे से 18 जून सुबह 6:24 बजे तक है.
गायत्री जयंती के विशेष प्रयोग
प्रातःकाल स्नान करके पूर्व दिशा की ओर मुख करके बैठें. सामने तांबे के लोटे में शुद्ध जल भर लें. इसके बाद बोल बोलकर 108 बार गायत्री मंत्र का जाप करें. या 10 मिनट तक गायत्री मंत्र का जाप करें. मंत्र जाप के पांच मिनट बाद उस लोटे के जल को पूरे घर में छिड़क दें. बचा हुआ जल पौधे में डाल दें.
अगर बच्चा मानसिक रूप से कमजोर है तो क्या उपाय करें ?
एक भोजपत्र ले लें. उस पर लाल स्याही से गायत्री मंत्र लिखें. भोजपत्र को पीले कपडे में सी लें या ताबीज़ में बंद कर दें. इसे बच्चे को पीले धागे में गले में धारण कराएं.