सनातन संस्कृति में एकादशी का बहुत महत्व है. इस दिन भगवान विष्णु की पूजा होती है. हर महीने में दो बार एकादशी मनाई जाती है. एक शुक्ल पक्ष और एक कृष्ण पक्ष में एकादशी मनाई जाती है. चैत्र महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को पापमोचनी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इस दिन व्रत रखने से सारे पापों से मुक्ति मिलती है. सारे संताप दूर हो जाते हैं. इस एकादशी को पाप को हरने वाली एकादशी भी कहा जाता है.
पापमोचनी एकादशी का महत्व-
सनातन संस्कृति में सबसे फलदायी व्रत एकादशी का माना गया है. जिसको करने से श्री मन नारायण की कृपा बरसती है. पद्मपुराण कहता है कि एकादशी को भगवान विष्णु का ही स्वरूप माना जाता है. माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से व्यक्ति को हर तरह के पापों से मुक्ति मिल जाती है. चलिए आपको बताते हैं कि पापमोचनी एकादशी की महिमा और महत्व क्या है.
पापमोचनी एकादशी का पूजन-
सालभर में कुल चौबीस एकादशियां आती हैं और हर एकादशी का अपना अलग महत्व है. ज्योतिष विशेषज्ञों के अनुसार एकादशी के व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर पर पड़ता है. पापमोचनी एकादशी के दिन आप शीघ्र ही नारायण की विशेष कृपा पा सकते हैं. लेकिन इसके लिए आपको विधि विधान से पूजन करना होगा. आपको बताते हैं कि कैसे पूजा करनी है.
पापमोचनी एकादशी की सावधानियां-
ज्योतिष के जानकारों की मानें तो इस दिन श्रीहरि की उपासना से असंभव को भी संभव किया जा सकता है. ज्योतिष के जानकारों का कहना है कि ये उपाय छोटे हैं, लेकिन बेहद ही कारगर हैं. सच्चे मन से अगर इन उपायों को अपनाया जाए तो सहजता से श्री हरि की कृपा मिल सकती है. लेकिन भगवान नारायण की उपासना और पापमोचनी एकादशी व्रत की कुछ सावधानियां भी हैं.
पापमोचिनी एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति और प्रायश्चित के लिए भी किया जाता है. इस व्रत को करने से सभी प्रकार की मानसिक समस्या दूर हो जाती है. मान्यता है कि पापमोचनी एकादशी के दिन हर समस्या का समाधान किया जा सकता है. ऐसे में अगर आप बीमारी और धन खर्च से परेशान हैं. तो पापमोचनी एकादशी पर ये उपाय करें, जिससे आपकी हर मुश्किल आसान हो जाएगी. एकादशी का व्रत रखने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति तो होती ही है. तन, मन और विचारों की शुद्धता भी आती है.
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