इस सप्ताह कई सारे त्योहार है. नवंबर माह की शुरुआत आंवला नवमी के साथ हो रही है. इसके बाद देवोत्थान एकादशी (4 नवंबर) और फिर तुलसी विवाह पड़ेगा. अक्षय नवमी का पर्व आंवले से सम्बन्ध रखता है. कार्तिक शुक्ल नवमी तिथि को आंवला नवमी कहा जाता है. कल यानी 2 नवंबर को आंवला नवमी है. माना जाता है कि इसी दिन से द्वापर युग का आरम्भ हुआ था. इसी दिन कृष्ण ने कंस का वध भी किया था और धर्म की स्थापना की थी.
आयुर्वेदिक महत्व के आलावा आंवले का धार्मिक महत्व भी है. आंवले को अमरता का फल भी कहा जाता है. इस दिन आंवले का सेवन करने से सेहत का वरदान मिलता है. कहते हैं कि आंवले के वृक्ष के नीचे भोजन करने से उत्तम स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है.इस दिन आंवले के वृक्ष के पास विशेष तरह की पूजा उपासना भी की जाती है.
कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को यह पर्व मनाया जाता है.. ऋग वेद में बताया गया है कि इसी दिन सतयुग आरम्भ हुआ था. इसलिए इस दिन व्रत, पूजा, तर्पण और दान का विशेष महत्व माना जाता है.आंवला नवमी के लिए ही माना जाता है कि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने वृंदावन-गोकुल की गलियां छोड़कर मथुरा प्रस्थान किया था. इसी दिन से वृंदावन की परिक्रमा भी प्रारंभ होती है
आंवले का आयुर्वेदिक महत्व
पौराणिक दृष्टिकोण से आंवले को रत्नों के सामान मूल्यवान माना जाता है. शंकराचार्य ने इसी फल को स्वर्ण में परिवर्तित कर दिया था. इस फल का प्रयोग कार्तिक मास से आरम्भ करना अनुकूल माना जाता है. अगर हम आंवले का अच्छे से लाभ उठाए तो इससे लंबी आयु, सौन्दर्य और अच्छे स्वस्थ्य की प्राप्ति होती है. यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ा देता है. इसके नियमित सेवन से सामान्यतः रोग नहीं होते जैसे कि सर्दी जुकाम. आंवला खाने से बाल लम्बे और घने होते हैं और त्वचा चमकदार और सुन्दर हो जाती है.
प्रकृति का अनमोल रत्न है आंवला
आंवला कितना गुणकारी और कल्याणकारी है ये तो आपने जान लिया,लेकिन अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा का भी विशेष विधान है. इस अमर फल की पूजा आपका कल्याण होगा. अक्षय नवमी का अक्षय फल अगर आप भी अपनी झोली में डालना चाहते हैं तो नोट कर लीजिए वो विशेष विधान जो हम आपको आगे बताने जा रहे हैं. कुदरत ने जो कुछ भी इस संसार में बनाया है उन सबका अपना महत्व है. आंवला कुदरत के दिए उन रत्नों में से सबसे अनमोल रत्न है. ऐसा माना जाता है कि अक्षय नवमी के दिन आंवले की पूजा से सुख,संपत्ति और उत्तम सेहत और सुखद जीवन का वरदान मिलता है.
अक्षय नवमी के दिन क्या है आंवले की विशेष पूजा विधि चलिए आपको बताते हैं.
दिन में स्नान करके पूजा करने का संकल्प लें
प्रार्थना करें कि आंवले की पूजा से आपको सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य का वरदान मिले
आंवले के वृक्ष के निकट पूर्व मुख होकर उसमे जल डालें
वृक्ष की सात बार परिक्रमा करें और कपूर से आरती करें
वृक्ष के नीचे निर्धनों को भोजन कराएं स्वयं भी भोजन करें
आंवले का प्रयोग उत्तम सेहत, सौभाग्य और सफलता के लिए भी किया जाता है, कैसे? आइए आपको बताते हैं. ये तमाम उपाय आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर कर देंगे. अक्षय नवमी के दिन आंवले के पेड़ के पास की गई पूजा हर मनोकामना पूरी कर सकती है.
उत्तम सेहत के लिए आंवले का प्रयोग
आंवले का सेवन आरम्भ करें
च्यवनप्राश का सेवन आरम्भ करना भी उत्तम होगा
आंवले का वृक्ष लगाना भी शुभ परिणाम देता है
सौभाग्य के लिए आंवले का प्रयोग
आंवले की जड़ में दूध मिश्रित जल डालें
आंवले के नीचे दीपक जलाएं
हाथ में पुष्प और अक्षत लेकर वृक्ष की 7 बार परिक्रमा करें
कार्यों में सफलता के लिए
आंवले के वृक्ष के निकट केवल मीठा भोजन बनाएं
किसी निर्धन व्यक्ति को यह भोजन कराएं
फिर स्वयं वृक्ष के नीचे बैठकर यही मीठा भोजन ग्रहण करें