scorecardresearch

Chhath 2023: 17 या 18 नवंबर, कब से शुरू हो रहा आस्था का महापर्व छठ, जानें नहाय-खाय, खरना सहित अर्घ्य देने का शुभ समय और पूजा का महत्व

छठ महापर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय-खाय से शुरू होता है. पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते भगवान सूर्य को अर्घ्य और सप्तमी को उगते सूर्य को जल अर्पित कर व्रत संपन्न किया जाता है. चार दिनों तक चलने वाले इस पर्व में भगवान भास्कर और छठी मैया की पूजा की जाती है. 

छठ पूजा (फाइल फोटो) छठ पूजा (फाइल फोटो)
हाइलाइट्स
  • व्रत रखने वाले 24 घंटे से अधिक समय तक रखते हैं निर्जला उपवास 

  • छठी मैया और सूर्य देव की उपासना की जाती है

लोक आस्था का महापर्व छठ बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में धूमधाम से मनाया जाता है. इसके अलावा देश के कई अन्य राज्यों में भी छठ पूजा संतान के स्वास्थ्य, सफलता और दीर्घायु के लिए की जाती है. यह व्रत केवल महिलाएं ही नहीं बल्कि घर के पुरुष भी रखते हैं. छठ पर्व कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि पर नहाय खाय से शुरू होता है. यह पर्व चार दिनों तक चलता है. पंचमी को खरना, षष्ठी को डूबते सूर्य और सप्तमी को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है.

नहाय-खाय 
छठ महापर्व नहाय-खाय शुरू होता है. इस साल नहाय-खाय 17 नवंबर को है. इस दिन सूर्योदय 06:45 बजे होगा. वहीं, सूर्यास्त शाम 05:27 बजे होगा. बता दें कि, छठ पूजा की नहाय खाय परंपरा में व्रती नदी में स्नान के बाद नए वस्त्र धारण कर शाकाहारी भोजन ग्रहण करते हैं. इस दिन व्रती के भोजन ग्रहण करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.

खरना 
खरना छठ पूजा का दूसरा दिन होता है. इस साल खरना 18 नवंबर को है. इस दिन का सूर्योदय सुबह 06:46 बजे और सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा. बता दें कि, खरना के दिन व्रती एक समय मीठा भोजन करते हैं. इस दिन गुड़ से बनी चावल की खीर खाई जाती है. इस प्रसाद को मिट्टी के नए चूल्हे पर आम की लकड़ी से आग जलाकर बनाया जाता है. इस प्रसाद को खाने के बाद व्रत शुरू हो जाता है. हालांकि, इस दिन नमक नहीं खाया जाता हैं.

संध्या अर्घ्य का समय
छठ पूजा का सबसे महत्वपूर्ण तीसरा दिन संध्या अर्घ्य का होता है. इस दिन व्रती घाट पर आकर डूबते सूर्य को अर्घ्य देते हैं. इस साल छठ पूजा का संध्या अर्घ्य 19 नवंबर को दिया जाएगा. 19 नवंबर को सूर्यास्त शाम 05:26 बजे होगा. बता दें कि, छठ पूजा का तीसरा दिन बहुत खास होता है. इस दिन टोकरी में फल, ठेकुआ, चावल के लड्‌डू आदि अर्घ्य के सूप को सजाया जाता है. इसके बाद नदी या तालाब में कमर तक पानी में रहकर अर्घ्य दिया जाता है.

उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य देने का समय
चौथा दिन यानी सप्तमी तिथि छठ महापर्व का अंतिम दिन होता है. इस दिन उगते भगवान सूर्य को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण का होता है. इस साल 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा. इस दिन सूर्योदय सुबह 06:47 बजे होगा. इसके बाद ही 36 घंटे का व्रत समाप्त होता है. माना जाता है कि, छठ पूजा में मन-तन की शुद्धता बहुत जरूरी है. अर्घ्य देने के बाद व्रती प्रसाद का सेवन करके व्रत का पारण करती हैं.

छठ पूजा सामग्री
प्रसाद रखने के लिए बांस की दो बड़ी टोकरियां, सूर्य को अर्घ्य देने के लिए बांस या पीतल से बने बर्तन, दूध और गंगाजल के अर्घ्य के लिए एक गिलास, लोटा और थाली सेट, पानी वाला नारियल, पांच  पत्तेदार गन्ने के तने, चावल, बारह दीये, रोशनी, कुमकुम, अगरबत्ती, सिन्दूर, केले का पत्ता, केला, सेब, सिंघाड़ा, हल्दी, मूली और अदरक के पौधे, शकरकंद और सुथनी (रतालू प्रजाति), सुपारी, शहद और मिठाई, गुड़, गेहूं और चावल का आटा, गंगाजल और दूध, ठेकुआ.

छठ पूजा का महत्व
छठ पर्व को महापर्व कहा जाता है. क्योंकि इस पर्व को आस्था और श्रद्धापूर्वक किया जाता है. यही कारण है कि आज देश से लेकर विदेशों में भी छठ पूजा मनाई जाती है. छठ पर्व में साफ-सफाई के नियमों का विशेष पालन करन होता है. छठी माई की पूजा में घर पर मांस-मंदिरा, लहसुन-प्याज और जूठन करना वर्जित होता है. छठ व्रत करने से घर पर सुख-शांति आती है. इस व्रत से संतान और सुहाग की आयु लंबी होती है. मान्यता है कि आप जिस मनोकामना के साथ छठ व्रत रखेंगे, आपकी वह मनोकामना जरूर पूरी होगी. 

व्रतियों को कैसे कपड़े पहनने चाहिए 
सूर्य पूजा के समय कोरे और बिना सिले कपड़े पहनें. छठ पूजा में महिलाओं को सूती साड़ी पहननी चाहिए और पुरुषों को धोती पहनने की सलाह दी जाती है. छठ पूजा के दिन सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए सर्वोत्तम पात्र तांबे का कलश माना गया है. तांबे के कलश से अर्घ्य देना लाभदायक होता है. सूर्य को अर्घ्य देते समय सूर्य देव को सीधे नहीं देखना चाहिए. गिरते हुए जल की धारा को देखकर सूर्य को अर्घ्य दें और मन ही मन अपनी इच्छा से कामना करें. छठ पूजा के बाद भी सूर्य देव को नियमित रूप से प्रतिदिन जल अर्पित करें. इससे आपके सूर्य दोष दूर हो जाते हैं.