हिंदू धर्म में देवी दुर्गा की पूजा के लिए नवरात्रि के नौ दिनों को बहुत शुभ माना गया है. देवी पूजा का यह पर्व साल में कुल चार बार आता है. हिंदू मान्यता के अनुसार इन चार नवरात्रि में दो नवरात्रि में देवी दुर्गा की पूजा सार्वजनिक रूप से और दो की पूजा गुप्त रूप से की जाती है. आइए जानते हैं आषाढ़ मास में पड़ने वाली गुप्त नवरात्रि कब से शुरू होगी और क्या है पूजा विधि?
इस साल गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 19 जून से हो रही है और इसका समापन 28 जून 2023 को होगा. गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की पूजा की जाती है. तंत्र-मंत्र सीखने वाले साधकों के लिए गुप्त नवरात्रि बेहद खास होती है.
कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
ज्योतिष शास्त्र के हिसाब से गुप्त नवरात्र के दिन कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 19 जून को प्रातःकाल 5 बजकर 30 मिनट से लेकर 7 बजकर 27 बजे तक रहेगा. इसके अलावा, इस दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 55 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा. इस मुहूर्त में भी आप कलश स्थापना कर सकते हैं.
पूजा विधि
आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि पर देवी की पूजा करने के लिए साधक को सूर्योदय से पहले उठना चाहिए. इसके बाद तन और मन से पवित्र होकर शुभ मुहूर्त में पवित्र स्थान पर देवी की मूर्ति या चित्र को एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर रखें और उसे गंगा जल से पवित्र करें. देवी की विधि-विधान से पूजा प्रारंभ करने से पहले मिट्टी के पात्र में जौ के बीज बो दें और पूरी नवरात्रि जल का उचित मात्रा में छिड़काव करते रहें. इसके बाद माता की पूजा के लिए कलश स्थापित करें और अखंड ज्योति जलाकर दुर्गासप्तशती का पाठ और उनके मंत्रों का पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ जप करें.
देवी की पूजा का महत्व
हिंदू मान्यता के अनुसार चैत्र और अश्विन नवरात्रि में जहां शक्ति के 09 पावन स्वरूपों की पूजा का विधान है, वहीं गुप्त नवरात्रि में देवी दुर्गा के 10 दिव्य स्वरूप यानि मां काली, मां तारा, मां त्रिपुर सुंदरी, मां भुवनेश्वरी, मां छिन्नमस्ता, मां त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मां मातंगी और मां कमला की पूजा की जाती है. शक्ति की साधना में इन सभी 10 महाविद्या की पूजा का बहुत ज्यादा महत्व बताया गया है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में इन देवियों की गुप्त रूप से साधना करने पर साधक की बड़ी से बड़ी मनोकामना पलक झपकते पूरी होती है.