इस साल रक्षाबंधन का पर्व 30 को मनाया जाएगा या 31 अगस्त को, इसको लेकर सभी के मन में कंफ्यूजन है. दरअसल भद्रा के समय के कारण ऐसा हो रहा है. 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि है लेकिन इस दिन पूरे समय भद्रा है. शास्त्रों के अनुसार रक्षाबंधन में भद्रा का समय जरूर देखा जाता है. इस समय राखी नहीं बांधी जाती है. आइए जानते हैं क्या भद्राकाल, इस समय क्यों नहीं बांधी जाती है राखी और रक्षाबंधन का शुभ मुहूर्त क्या है?
कौन है भद्रा
भद्राकाल के दौरान किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है. भद्रा भगवान सूर्य और माता छाया की पुत्री हैं और शनिदेव इनके भाई हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार भद्रा का जन्म दैत्यों के विनाश के लिए हुआ था. जब भद्रा का जन्म हुआ तो वह जन्म लेने के फौरन बाद ही पूरे सृष्टि को अपना निवाला बनाने लगी थी. इस तरह से भद्रा के कारण जहां भी शुभ और मांगलिक कार्य, यज्ञ और अनुष्ठान होते वहां विध्न आने लगता है. इस कारण से जब भद्रा लगती है तब किसी भी तरह का शुभ कार्य नहीं किया जाता है.
वैदिक पंचांग की गणना के मुताबिक भद्रा का वास तीन लोकों में होता है. यानी भद्रा स्वर्ग, पाताल और पृथ्वी लोक में वास करती हैं. जब चंद्रमा कर्क, सिंह, कुंभ और मीन राशि में मौजूद होते हैं, तब भद्रा का वास पृथ्वी लोक पर होता है. पृथ्वीलोक में भद्रा का वास होने पर भद्रा का मुख सामने की तरफ होता है. ऐसे में इस दौरान किसी भी तरह का शुभ और मांगलिक कार्य करना वर्जित होता है. भद्रा में किया गया शुभ कार्य कभी भी सफल नहीं होता है.
क्या होता है भद्राकाल
शास्त्रों के अनुसार जब भद्रा काल प्रारंभ होता है तो इसमें शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं. यहां तक कि यात्रा भी नहीं करनी चाहिए. इसके साथ ही भद्रा काल में राखी बांधना भी शुभ नहीं माना गया है. मान्यता के अनुसार चंद्रमा की राशि से भद्रा का वास तय किया जाता है. गणना के अनुसार चंद्रमा जब कर्क राशि, सिंह राशि, कुंभ राशि या मीन राशि में होता है, तब भद्रा का वास पृथ्वी में निवास करके मनुष्यों को क्षति पहुंचाती है.
मेष राशि, वृष राशि, मिथुन राशि और वृश्चिक राशि में जब चंद्रमा रहता है तब भद्रा स्वर्गलोक में रहती है एवं देवताओं के कार्यों में विघ्न डालती है. जब चंद्रमा कन्या राशि, तुला राशि, धनु राशि या मकर राशि में होता है तो भद्रा का वास पाताल लोक में माना गया है. भद्रा जिस लोक में रहती है वहीं प्रभावी रहती है.
भद्रा में क्यों नहीं बांधी जाती राखी
रक्षाबंधन पर भद्राकाल में राखी नहीं बांधनी चाहिए. इसके पीछे एक पौराणिक कथा भी है. ऐसा कहा जाता है कि लंकापति रावण की बहन ने भद्राकाल में ही उनकी कलाई पर राखी बांधी थी और एक वर्ष के अंदर उसका विनाश हो गया था. ऐसा कहा जाता है कि भद्रा को ब्रह्मा जी से यह श्राप मिला था कि जो भी भद्रा में शुभ या मांगलिक कार्य करेगा, उसका परिणाम अशुभ ही होगा.
30 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुर्हूत
ज्योतिषियों के मुताबिक, 30 अगस्त 2023 को पूर्णिमा तिथि के साथ सुबह 10 बजकर 59 मिनट पर भद्रा काल की शुरुआत हो जाएगी और भद्रा काल का समापन रात 9 बजकर 2 मिनट पर होगा. इस काल में कोई शुभ कार्य करने की मनाही होती है. इसलिए, 30 अगस्त को रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद से राखी बांधी जा सकती है. पौराणिक मान्यता के अनुसार, राखी बांधने के लिए दोपहर का समय शुभ होता है. लेकिन यदि दोपहर के समय भद्रा काल है तो फिर प्रदोष काल में राखी बांधना शुभ होता है. ऐसे में 30 अगस्त के दिन भद्रा काल के कारण राखी बांधने का मुहूर्त सुबह के समय नहीं होगा. उस दिन रात में ही राखी बांधने का मुहूर्त है.
31 अगस्त को राखी बांधने का शुभ मुर्हूत
31 अगस्त को श्रावण पूर्णिमा सुबह 07 बजकर 05 मिनट तक है, इस समय में भद्रा का साया भी नहीं है. इस वजह से 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट तक के शुभ मुहूर्त में आप राखी बंधवा सकते हैं. ऐसे में रक्षाबंधन का त्योहार 30 और 31 अगस्त दोनों दिन मनाया जा सकता है. राखी बांधने के लिए कुल 10 घंटे का शुभ मुहूर्त मिलेगा, जिसमें राखी बांधना सबसे शुभ माना जा रहा है. यानी 30 अगस्त को रात 9 बजकर 2 मिनट के बाद बहनें अपने भाई को राखी बांध सकती हैं और फिर 31 अगस्त को सुबह 7 बजकर 5 मिनट से पहले राखी बांध सकती हैं.
कैसे मनाएं रक्षाबंधन
1. थाल में रोली, चंदन, अक्षत, दही, रक्षासूत्र और मिठाई रखें. घी का एक दीपक भी रखें, जिससे भाई की आरती कर सकें.
2. रक्षासूत्र और पूजा की थाल सबसे पहले भगवान को समर्पित करें.
3. भाई को पूर्व या उत्तर की तरफ मुंह करके बैठाएं.
4. पहले भाई को कनिष्ठा उंगली से टिका लगाएं फिर अंगूठे से तिलक लगाएं, रक्षा सूत्र बांधे, फिर आरती करें.
5. रक्षासूत्र बांधते समय ध्यान रखें भाई-बहन का सिर खुला न हो.
6. रक्षासूत्र बंधवाने के बाद माता-पिता का आशीर्वाद लें.
7. मन में भगवान का स्मरण कर यह निवेदन करें रक्षाबंधन का यह सूत्र दोनों के लिए मंगलकारी हो.
8. अपने सामर्थ्य के अनुसार इस दिन बहन को कोई न कोई उपहार अवश्य देना चाहिए.