आषाढ़ माह से शेष शैया पर निद्रा मगन भगवान विष्णु अब भाद्रपद की शुक्ल पक्ष की एकादशी को करवट बदलेंगे. इस दिन भगवान श्री विष्णु के वामन रुप की पूजा की जाती है. श्री हरि की कृपा पाने की महाफलदायी पदमा एकादशी परिवर्तनी एकादशी भी कहलाती है.
एकादशी की महिमा ?
व्रतों में प्रमुख व्रत नवरात्रि, पूर्णिमा, अमावस्या तथा एकादशी के हैं. उसमे भी सबसे बड़ा व्रत एकादशी का माना जाता है. चन्द्रमा की स्थिति के कारण व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक स्थिति ख़राब और अच्छी होती है. ऐसी दशा में एकादशी व्रत से चन्द्रमा के हर ख़राब प्रभाव को रोका जा सकता है. ग्रहों के असर को भी काफी हद तक कम किया जा सकता है. एकादशी व्रत का सीधा प्रभाव मन और शरीर , दोनों पर पड़ता है. एकादशी के व्रत से अशुभ संस्कारों को भी नष्ट किया जा सकता है.
माना जाता है कि व्रतों में सबसे बडा व्रत एकादशी का है और ये व्रत इंसान की मानसिक और शारीरिक स्थिति पर विशेष सकारात्मक प्रभाव डालता है.
पद्मा एकादशी के जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें
भाद्रपद शुक्ल पक्ष की एकादशी को परिवर्तिनी एकादशी कहा जाता है.
इसको पद्मा एकादशी और जयंती एकादशी भी कहते हैं.
इस एकादशी का व्रत करने से जाने अनजाने किये गए सारे पाप नष्ट हो जाते हैं.
इस समय गणेश महोत्सव भी चल रहा होता है, यह व्रत गणेश जी और श्री हरि दोनों की कृपा दिलवा देता है.
इस एकादशी को भगवान् विष्णु के वामन स्वरुप की उपासना की जाती है.
जिन लोगों को संतान सुख या धन की प्राप्ति करनी हो, उनके लिए ये व्रत अत्यंत कल्याणकारी है.
इस बार पद्मा एकादशी का व्रत 6 सितंबर को है.
पद्मा एकादशी व्रत सब प्रकार से कल्याणकारी और शुभफलदायक है. कहते हैं पद्मा एकादशी के व्रत से मुक्ति और मोक्ष के प्रबल योग बनने लगते हैं. ज्योतिष के जानकारों के अनुसार इस एकादशी के दिन जो इंसान व्रत और उपासना करता है, उसे भूमि दान और गाय के दान से ज्यादा पुण्य फलों की प्राप्ति होती है.
पद्मा एकादशी व्रत की उत्तम विधि
प्रातःकाल स्नान करके सूर्य देवता को जल अर्पित करें .
पीले वस्त्र धारण करके भगवान विष्णु और गणेश जी की पूजा करें
श्री हरि को पीले फूल, पंचामृत और तुलसी दल अर्पित करें
गणेश जी को मोदक और दूर्वा अर्पित करें .
पहले गणेश जी और तब श्री हरि के मन्त्रों का जाप करें .
किसी निर्धन व्यक्ति को जल का, अन्न-वस्त्र का, या जूते छाते का दान करें.
अन्न का सेवन न करें, जलाहार या फलाहार ही ग्रहण करें.
मिल जाएगा सभी मुश्किलों का हल
कहते हैं कि जाने-अनजाने हुए पापों के नाश के लिए पद्मा एकादशी व्रत से उत्तम कोई दूजा व्रत नहीं है. दरअसल, भगवान विष्णु के शयन के चार मास चतुर्मास कहलाते हैं और भाद्रपाद के शुक्लपक्ष के दिन भगवान विष्णु करवट लेते हैं. इसलिए इसे परिवर्तिनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है. ये व्रत इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि श्री हरि के साथ आपको भगवान गणेश की भी विशेष कृपा मिल सकती है.
संतान प्राप्ति के लिए
भगवान गणेश को अपनी उम्र के बराबर मोदक अर्पित करें.
संतान गणपति स्तोत्र का पाठ करें.
या "ॐ उमापुत्राय नमः" का जप करें.
इन दिनों गणेशोत्सव चल रहा है. इसलिए गणपति की उपासना तो शीघ्र ही फलदायी होती है. अगर आपको धन या आर्थिक परेशानी है तो इसके लिए भी आप उपाय कर सकते हैं...
आर्थिक लाभ के लिए
भगवान् गणेश को एक मिटटी या धातु का चूहा अर्पित करें.
उन्हें पीले फूल और पीला प्रसाद अर्पित करें.
"ॐ श्रीं सौम्याय सौभाग्याय गं गणपतये नमः" का 108 बार जप करें.
व्यापार में सफलता के लिए
हल्दी से गणेश जी बनाएं.
इनको मोदक , दूर्वा और बेलपत्र अर्पित करें.
इन गणेश जी को व्यापार के स्थान पर स्थापित कर दें.
कहते हैं पद्मा एकादशी के दिन व्रत और उपवास से कहीं ज्यादा महत्व दान का होता है.ज्योतिष के जानकार कहते हैं कि इस दिन चावल, दही या चांदी का दान करना उत्तम फलदायी होता है. जो लोग किसी कारणवश पद्मा एकादशी का व्रत नहीं कर पाते हैं उन्हें पद्मा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के विभिन्न अवतारों की कथा का पाठ करना चाहिए. विष्णु सहस्रनाम या रामायण का पाठ करना भी इस दिन उत्तम फलदायी होता है.
पद्मा एकादशी पर दान का मंत्र
नमो नमस्ते गोविन्द बुधश्रवणसंज्ञक ॥
अघौघसंक्षयं कृत्वा सर्वसौख्यप्रदो भव ।
भुक्तिमुक्तिप्रदश्चैव लोकानां सुखदायकः ॥
इस एकादशी पर दान करते हुए इस मंत्र का केवल एक बार उच्चारण करने से आपको व्रत का सबसे उत्तम फल मिल सकता है.
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