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Jehovah Witness: 153 साल पहले हुई थी शुरुआत, मंडली बनाकर करते हैं प्रचार, यहोवा साक्षी संप्रदाय की पूरी कहानी

यहोवा साक्षी एक ईसाई संप्रदाय है. ये दुनिया के 239 देशों में फैले हुए हैं. इसकी संख्या करीब 87 लाख है. दुनियाभर में यहोवा के साक्षियों की एक लाख 17 हजार 960 मंडलियां हैं. जो इस संप्रदाय के मान्यताओं का प्रचार-प्रसार करती हैं.

यहोवा के साक्षी की शुरुआत 1870 में हुई थी (Photo/jw.org) यहोवा के साक्षी की शुरुआत 1870 में हुई थी (Photo/jw.org)

केरल के एर्नाकुलम जिले के कलामासेरी इलाके में यहोवा साक्षियों की प्रार्थना सभा में कई विस्फोट हुए. इस सभी में करीब 2 हजार लोग प्रार्थना के लिए इकट्ठा हुए थे. केरल में यहोवा साक्षी बड़ी संख्या में हैं. यहोवा साक्षी एक ईसाई संप्रदाय है. इसकी शुरुआत 19वीं सदी के अंत में हुई थी. इसकी मान्यताएं और प्रथाएं ईसाई धर्म जैसी ही हैं. यहोवा का साक्षी यीशु की शिक्षाओं को मानते हैं. ये वैसे ही करने की कोशिश करते हैं, जैसे यीशु ने बताया था, ठीक जैसे शुरू में उनके शिष्य करते थे. चलिए आपको यहोवा साक्षी के बारे में बताते हैं.

किसे मानते हैं यहोवा के साक्षी-
यहोवा के साक्षी यहोवा ईश्वर को मानते हैं. इसका जिक्र बाइबिल में भी है. यहोवा का साक्षियों का मानना है कि धरती पर सबकुछ यहोवा ने ही बनाई है. यहोवा यीशु के नक्शे-कदम पर चलने की कोशिश करते हैं. यहोवा के साक्षी खुद को मसीही कहते हैं. इनका मानना है कि बाइबिल में लिखा है कि अब्राहम, मूसा और यीशू भी यहोवा की उपासना करते थे. यहोवा सिर्फ एक राष्ट्र का परमेश्वर नहीं है, बल्कि पूरी धरती के महाराजा हैं.

यहोवा के साक्षियों की मान्यताएं-
यहोवा के साक्षी विवाह को पवित्र अनुबंध मानते हैं. इस संप्रदाय में तलाक अस्वीकार्य है. हालांकि व्याभिचार के मामले में तलाक संभव है. साक्षियों की शिक्षाएं धर्मनिरपेक्ष सरकार से अलगाव में जोर देती हैं. साक्षी मानते हैं कि भगवान ने शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए सरकारें स्थापित की है. साक्षी किसी भी राष्ट्र के झंडे को सलामी नहीं देते हैं. वे इसे झूठी पूजा मानते हैं. यहोवा के साक्षी सैन्य सेवा करने से इनकार करते हैं. इतना ही नहीं, साक्षी चुनावों में हिस्सा नहीं लेते हैं.

यहोवा साक्षी की शुरुआत-
यहोवा के साक्षी की उत्पत्ति साल 1870 में चार्ल्स टेज रसेल ने की थी. उन्होंने अमेरिका में बाइबिल स्टूडेंट मूवमेंट की एक ब्रांच की स्थापना की थी. उस दौरान कई मान्यताएं विकसित की. साल 1916 में चार्ल्स टेज रसेल का निधन हो गया. जोसेफ फ्रैंकलिन रदरफोर्ड ग्रुप के लीडर बने. साल 1931 में इस ग्रुप ने खुद को यहोवा का साक्षी नाम दिया. उसके बाद से ये यहोवा साक्षी के नाम से ही जाने जाते हैं. रदरफोर्ड की अगुवाई में यहोवा के साक्षियों का खूब विकास हुआ.

कहां-कहां हैं यहोवा के साक्षी-
यहोवा के साक्षी दुनियाभर में फैले हुए हैं. ये अलग-अलग सबके से हैं और इनकी परवरिश अलग-अलग माहौल में हुई है. ये 239 देशों में अपनी गतिविधियां चलाते हैं. इसकी संख्या करीब 87 लाख है. दुनियाभर में यहोवा के साक्षियों की एक लाख 17 हजार 960 मंडलियां हैं. 

भारत में यहोवा के साक्षी-
भारत में भी बड़ी संख्या में यहोवा के साक्षी रहते हैं. भारत में करीब 56747 साक्षी बाइबल पढ़ाते हैं. अभी भारत में इस ग्रुप की 947 मंडलियां हैं. भारत में भी यहोवा के साक्षी सार्वजनिक गतिविधियों में हिस्सा लेते हैं. ये सार्वजनिक जगहों पर साहित्य स्टैंड स्थापित करते हैं और अपने ग्रुप की किताबें मुफ्त में देते हैं. जगह-जगह सम्मेलनों और सभाओं का आयोजन करते हैं.

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