हिंदू कैलेंडर का छठा और चातुर्मास का दूसरा महीना भाद्रपद मास कहलाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस महीने को बहुत खास माना जाता है. वैसे तो हर माह में पूर्णिमा और अमावस्या पड़ती है लेकिन भाद्रपद की अमावस्या का विशेष महत्व है. पूर्णिमा और अमावस्या के दिन दान-पुण्य और पवित्र नदी में स्नान करने का विशेष महत्व है. इस बार ये अमावस्या 27 अगस्त को पड़ेगी. भाद्रपद में भगवान कृष्ण की पूजा की जाती है. भाद्रपद महीने की शुरुआत 13 अगस्त 2022 से हो रही है जो 10 सितंबर 2022 तक चलेगी. इस महीने में कजरी तीज, जन्माष्टमी और गणेश चतुर्थी जैसे त्योहार पड़ेंगे.
कहा जाता है कि इस महीने भगवान सो जाते हैं इसलिए इस दौरान कोई शुभ काम नहीं होता है. लेकिन पूजा-पाठ और व्रत की दृष्टि से ये महीना बहुत शुभ माना जाता है. वहीं इस महीने में कुछ खास बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है और इस दौरान कुछ कार्यों को करने से मना भी किया जाता है.
क्या है शुभ मुहूर्त?
अमावस्या प्रारंभ तिथि और समय: 26 अगस्त 2022, शुक्रवार को दोपहर 12:24 से
अमावस्या समापन तिथि और समय: 27 अगस्त 2022, शनिवार को दोपहर 01:47 बजे तक
भाद्रपद पूर्णिमा और अमावस्या
हिंदू पंचाग के अनुसार भाद्र माह में आने वाली पूर्णिमा को भाद्रपद पूर्णिमा कहते हैं. इस दिन भगवान विष्णु के सत्यनारायण रूप की पूजा की जाती है. यह पूर्णिमा इसलिए भी महत्व रखती है क्योंकि इस दिन से पितृ पक्ष शुरू होते हैं, जो अश्विन अमावस्या को खत्म होते हैं. भाद्रपद की पूर्णिमा 10 सितंबर को पड़ेगी.
वहीं इस महीने की भाद्रपद अमावस्या को पिथौरा अमावस्या के नाम से भी जाना जाता है. मान्यता के अनुसार इस दिन इन्द्राणी कों मां पार्वती ने व्रत करने कों कहां था. इस व्रत को करने सें संतान की प्राप्ति होती है.
क्या न करें?
शास्त्रों के अनुसार भाद्रपद मास में गुड़, दही और उससे बनी चीजों का सेवन नुकसानदायक माना गया है क्योंकि इससे पेट संबंधी समस्याएं हो सकती हैं. वहीं इस महीने लहसुन, प्याज, मांस, मछली और दूसरे तामसिक भोजन को करने से सख्त मनाही होती है. ऐसा माना जाता है कि इस महीने दूसरों को दिया हुआ चावल खाने या नारियल तेल का इस्तेमाल करने से घर में दरिद्रता आती है.
वहीं पूजा करते समय भगवान कृष्ण को तुलसीदल जरूर अर्पित करें. जितना हो सके शाकाहारी भोजन खाएं.