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Purnima 2023 List: साल 2023 में कब-कब पड़ रही है कौन सी पूर्णिमा, जानिए तिथि और समय

साल में कुल 12 पूर्णिमा पड़ती है. इस दिन चंद्र देव, मां लक्ष्मी के साथ-साथ  सत्यनारायण की कथा करना शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पूर्णिमा के दिन चंद्र संबंधित उपाय करने से कुंडली में चंद्र दोष से छुटकारा मिलता है.

पूर्णिमा मां लक्ष्मी को विशेष प्रिय पूर्णिमा मां लक्ष्मी को विशेष प्रिय
हाइलाइट्स
  • चंद्र देव, मां लक्ष्मी के साथ भगवान सत्यनारायण की कथा करना शुभ माना जाता है

  • पूर्णिमा के दिन चंद्र संबंधित उपाय करने से कुंडली में चंद्र दोष से छुटकारा मिलता है

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर माह के 30 दिन को चन्द्र कला के आधार पर 15-15 दिन के दो पक्षों में बांटा गया है- शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष. हिंदू माह के 15 वें दिवस शुक्ल पक्ष के अंतिम दिन को पूर्णिमा कहते हैं इस दिन चन्द्रमा अपने पूरे आकार में नजर आता है. इस दिन का भारतीय जनजीवन में बहुत ही महत्व हैं. सामान्यता हर माह की पूर्णिमा को कोई न कोई पर्व अथवा व्रत अवश्य ही मनाया जाता हैं. इस दिन चंद्र देव, मां लक्ष्मी के साथ-साथ  सत्यनारायण की कथा करना शुभ माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, पूर्णिमा के दिन चंद्र संबंधित उपाय करने से कुंडली में चंद्र दोष से छुटकारा मिलता है.इसके साथ ही सुख-समृद्धि, खुशहाली की प्राप्ति होती है. पूर्णिमा को कई जगहों पर पूर्णमासी, पौर्णिसी जैसे नामों से जाना जाता है. इस दिन स्नान दान का भी काफी महत्व है. साल में कुल 12 पूर्णिमा पड़ती है. आइए जानते हैं कि साल 2023 में कब-कब कौन सी पड़ने वाली है पूर्णिमा.

प्रारम्भ 5 जनवरी 2023 को रात 2 बजकर 14 मिनट से, 6  जनवरी रात 4 बजरर 37 मिनट पर समाप्तमाघ पूर्णिमा व्रत. माघ पूर्णिमा प्रारम्भ 4 फरवरी को 9 बजकर 29  मिनट और समाप्त 5 फरवरी को रात 11 बजकर 58 मिनट पर.

5 फरवरी को रात 11 बजकर 58 मिनट तक फाल्गुन पूर्णिमा व्रत, फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 6 मार्च को शाम 4:17 बजे से समाप्त 7 मार्च को शाम 6:09 बजे तक. चैत्र शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 5 अप्रैल को सुबह 09:19 बजे से समाप्त 6 अप्रैल को सुबह 10: 04 बजे. चैत्र शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 5 अप्रैल को सुबह 09:19 बजे से, 6 अप्रैल को सुबह 10:04 बजे तकवैशाख पूर्णिमा व्रत. वैशाख शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 4 मई को रात 11:44 बजे से. 5  मई  को रात 11:03 बजे तकज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत. ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा प्रारंभ 3 जून को 11:16 बजे से और 4 जून को सुबह 09:11 बजे तक समाप्त.

ज्येष्ठ शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 3 जून को सुबह 11:16 बजे, 4 जून को 09:11 बजेआषाढ़ पूर्णिमा व्रत, आषाढ़ शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 2 जुलाई को रात 8:21 बजे से और समाप्त 3 जुलाई को  शाम 5:08 बजे तक. श्रावण शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 31 जुलाई 3 बजकर 51 मिनट से, समाप्त 1 अगस्त को रात 12:01 बजे तकश्रावण पूर्णिमा व्रत. श्रावण शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 30 अगस्त को सुबह 10:58 बजे से. 31 अगस्त को सुबह 07:05 बजे तकभाद्रपद पूर्णिमा व्रत. भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ  28 सितम्बर को शाम 6:49 बजे से. आश्विन शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 27 अक्टूबर को रात 4:17ब जे से. कार्तिक शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 26 नवम्बर को शाम 3:53 बजे से, मार्गशीर्ष शुक्ल पूर्णिमा प्रारम्भ 25 दिसम्बर को रात 5:46 बजे से और समाप्त 26 दिसम्बर को रात 6:02 बजे तक.

पूर्णिमा मां लक्ष्मी को विशेष प्रिय
पूर्णिमा मां लक्ष्मी को विशेष प्रिय है.  इस दिन मां लक्ष्मी की आराधना करने से जातक को जीवन में किसी भी चीज की कमी नहीं रहती है. शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह लगभग 10 बजे पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है. कहते है कि जो व्यक्ति इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ पर कुछ मीठा रखकर मीठा जल अर्पण करके धूप अगरबत्ती जला कर मां लक्ष्मी का पूजन करें और माता लक्ष्मी को अपने घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें तो उस जातक पर लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है।