भारतीय दुल्हनों के गहने की अपनी अलग खासियत होती है. हर जेवर अपनी एक खास अहमियत भी रखता है. ऐसी ही कुछ खासियत है मांग के बीच पहने जाने वाले मांग टीके की. मांग टीके का सभी धर्मों में खास महत्तव होता है. साथ ही ये टीका दुल्हन के लिए भी खास माना जाता है.
मांग टीका मांग के बीचो बीच पहना जाता है. मांग के बीचो-बीच वाली जगह को 'आत्मा की शक्ति' का प्रतिनिधित्व करने वाली जगह माना जाता है. हिंदू धर्म में तीसरी आंख का कॉन्सेप्ट है , जिससे दुल्हन को एकाग्रता महसूस होती है. वहीं दूसरी तरफ मांग टीका आध्यात्म, शारीरिक और भावनात्मक रूप से दो लोगों के एक साथ आने का प्रतीक है. मांग टीके का मतलब ये होता है कि दो लोग एक साथ जुड़ गए हैं.
सोलह श्रृंगार का है हिस्सा
दुल्हन को शादी के दिन सोलह श्रृंगार किये जाते हैं. मांग टीका सोलह श्रृंगार का हिस्सा है. इसी वजह से शादी के दिन दुल्हन को मांगटीका पहनाया जाता है. बता दें कि सभी धर्मों में दुल्हा अपनी होने वाली दुल्हन को मांग टीका देता है. इसे सुहाग की निशानी भी माना जाता है.
क्या कहता है मांग टीके का डिजाइन
मांग टीका अलग-अलग डिजाइन, पैर्टन में मिलते हैं. वहीं संस्कृती का भी इसके डिजाइन में खास योगदान होता है. जैसे राजस्थान में मांग टीका को बोरला (एक गोलाकार आकार का हेडपीस) कहा जाता है, इसे झूमर टिक्का के नाम से भी जाना जाता है.
भगवान शिव है नाता
माथे की बीचो बीच पहने जाने वाला मांग टीका को हिंदू धर्म में छठा चक्र कहा जाता है. छठा चक्र ही तीसरी आंख है यह वह बिंदु है जहां शिव-शक्ति मिलकर 'अर्धनारीश्वर' बनाती है, 'अर्धनारीश्वरआधे पुरुष और आधी महिला का प्रतीक है.
वैज्ञानिक कारण
मांग टीका के बारे में धारणा है कि इसे पहनने से कई तरह की बीमारियों से बचाव होता है. मांग टीका मानसिक तनाव, सिर दर्द और कई तरह की मानसिक समस्याओं को दूर करता है. माना जाता है कि टीका पहनने से महिलाओं के शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है और उनकी सूझ-बूझ और सोचने समझने की क्षमता बढ़ती है.
बता दें कि मुस्लिम दुल्हनें भी अपने निकाह के वक्त टीका पहनती हैं. मुस्लिम में भी टीका सुहाग की निशानियों में से एक निशानी माना गया है. निकाह के बाद पति अपनी होने वाली पत्नी के मांग में अंगूठी में भरकर चन्दन भी लगाता है.