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श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर में चढ़ने वाला महाप्रसाद बनाती हैं महिलाएं, इस समूह के पास है ये जिम्मेदारी

श्री काशी विश्वनाथ धाम मंदिर में बाबा को चढ़ाया जाने वाला ‘महाप्रसाद’ महिलाएं तैयार करती हैं. इसके लिए महिलाएं शिफ्ट में काम करती हैं तो वहीं महाप्रसाद बनाने का तरीका भी सबसे अलग है.

महिला सशक्तिकरण महिला सशक्तिकरण
हाइलाइट्स
  • पहले अलग थे नियम 

  • मंदिर परिसर के अंदर है महाप्रसाद का काउंटर 

दुनिया भर के लोगों की श्रद्धा का केंद्र श्री काशी विश्वनाथ धाम महिला सशक्तिकरण की मिसाल भी पेश कर रहा है. शायद कम ही लोगों को ये पता होगा कि मंदिर में बाबा को चढ़ाया जाने वाला ‘महाप्रसाद’ महिलाएं तैयार करती हैं. ग्रामीण महिलाओं के समूह को महाप्रसाद बनाने की जिम्मेदारी दी गई है. प्रसाद की खपत बहुत ज्यादा होने की वजह से दिन रात प्रसाद तैयार करने का काम होता है और इसके लिए महिलाएं शिफ्ट में काम करती हैं तो वहीं महाप्रसाद बनाने का तरीका भी सबसे अलग है.

पहले अलग थे नियम 

बताते चलें कि बाबा विश्वनाथ के ‘महाप्रसाद’ में चमत्कार होता है. बाबा न सिर्फ यहां आने वालों के सभी दुख हर लेते हैं बल्कि लोगों की किस्मत भी बदल देते हैं. पहले बाबा के मंदिर में चढ़ने वाला प्रसाद अलग अलग जगह से आता था. 2019 में महाप्रसाद बनाने की जिम्मेदारी एक महिला समूह को दी गई. महिलाएं प्रसाद बनाने का सारा काम करती हैं. खास बात ये है कि मंदिर प्रशासन और श्री काशी विश्वनाथ ट्रस्ट ने जिस समय ये फैसला किया था उस समय प्रसाद की खपत कुछ किलो थी. पर अब काशी कॉरिडोर का निर्माण होने के बाद श्रद्धालुओं की संख्या इतनी ज्यादा बढ़ गई है कि रोजाना 2 क्विंटल प्रसाद की खपत होती है. सोमवार और बाबा के विशेष दिनों में ये दुगुनी से ज्यादा हो जाती है. ऐसे में महाप्रसाद बनाने का काम लगातार चलता रहता है. यहां शिफ्ट में काम करने वाली महिलाएं पूरी शुद्धता से इसको तैयार करती हैं. कहती हैं कि ये सौभाग्य की बात है.

मंदिर परिसर के अंदर है महाप्रसाद का काउंटर 

वैसे तो बाबा को लोग अपने श्रद्धानुसार जल, दूध मेवा भी अर्पित करते हैं. पर विश्वनाथ मंदिर परिसर के अंदर इसी महाप्रसाद का काउंटर लगाया गया है. मंदिर प्रशासन भी बाबा को यही महाप्रसाद अर्पित करता है. महिलाएं इस बात से खुश हैं कि आम हो या खास उनके हाथों से तैयार प्रसाद बाबा के लिए ले जाता है. यहां तक कि काशी के सांसद और देश के प्रधानमंत्री और सभी गणमान्य लोगों के लिए भी यही प्रसाद जाता है. बाबा का महाप्रसाद आटा, सूजी, मेवा, चीनी को देशी घी के साथ मिलाकर तैयार किया गया वो लड्डू है जिसका स्वाद बिल्कुल अलग होता है. इसे बनाने से लेकर इसकी पैकिंग करने तक की जिम्मेदारी इन महिलाओं की ही है. यहां प्रसाद बनता रहता है और मंदिर में लगातार ये जाता रहता है.

बिक्री भी समूह की महिलाएं ही करती हैं

मंदिर के अंदर प्रसाद का काउंटर लगा कर बिक्री भी समूह की महिलाएं ही करती हैं. जाहिर है इससे महिलाओं को न सिर्फ रोजगार मिला है बल्कि इनकी किस्मत बदल गई है. समूह की एक महिला रोजाना 600 से 800 रुपए तक कमाती हैं. सावन और अन्य विशेष मौकों पर प्रसाद की खपत और बढ़ जाने पर महिलाओं की कमाई भी बढ़ जाती है. लोग कहते हैं कि ये फैसला इन महिलाओं के लिए वरदान साबित हुआ है. 

श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में पिछले से साल में 7.5 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालुओं ने दर्शन किए हैं. वहीं आगे इस संख्या के और ज्यादा बढ़ने की उम्मीद है. ऐसे में महाप्रसाद बनाने से इन महिलाओं के जीवन में आया बदलाव परम्परा को आधी आबादी की ताकत और उनको आगे बढ़ाने की मिसाल भी पेश कर रहा है.