सभी देवी-देवताओं में भगवान गणेश श्रेष्ठ माने जाते हैं. विनायक चतुर्थी को इनकी पूजा करने से व्यक्ति के जीवन में खुशियां ही खुशियां आतीं हैं. इस वर्ष 23 अप्रैल 2023 को वैशाख विनायक गणेश चतुर्थी व्रत मनाया जा रहा है. आइए शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और कथा के बारे में जानते हैं.
दोपहर में की जाती है पूजा
गणेश चतुर्थी हर महीने में दो बार आती है. पूर्णिमा के बाद आने वाली चतुर्थी को संकष्टी और अमावस्या के बाद आने वाली चतुर्थी को विनायकी कहा जाता है. शास्त्रों के अनुसार विनायकी चतुर्थी व्रत की पूजा दोपहर में ही की जाती हैं, क्योंकि इस दिन शाम के समय में चंद्रमा नहीं देखने की मान्यता है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन चंद्रमा को देखने से झूठा कलंक लगता है.
शुभ योग
इस बार विनायक चतुर्थी के दिन सौभाग्य और रवि योग का संयोग बन रहा है. सौभाग्य योग अपने नाम स्वरूप सौभाग्य में वृद्धि प्रदान करता है. रवि योग में सूर्य के जैसा तेज प्रताप मिलता है. गणपति की पूजा से शुभ फल की प्राप्ति होती है.
शुभ मुर्हूत
1. वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि शुरू : 23 अप्रैल 2023 को सुबह 07 बजकर 47 मिनट से.
2. वैशाख शुक्ल चतुर्थी तिथि समाप्त : 24 अप्रैल 2023 को सुबह 08 बजकर 24 मिनट पर.
3. गणेश जी की पूजा का मुहूर्त : 23 अप्रैल 2023 को सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 43 मिनट तक.
पूजन विधि
विनायक चतुर्थी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें. इसके बाद पूर्व की तरफ मुंह कर आसन पर बैठें. गणपति का ध्यान करते हुए एक चौकी पर साफ पीले रंग का कपड़ा बिछा दें. इसके बाद 'ॐ गं गणपतये नम:' मंत्र जाप के साथ गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें. गंगाजल छिड़क कर उक्त स्थान को पवित्र करें. इसके बाद श्री गणेश को पुष्प की मदद से जल अर्पण करें. फिर रोली, अक्षत, लाल रंग के पुष्प, जनेऊ, दूब, पान, सुपारी, लौंग और इलायची चढ़ा दें. श्रीफल और मोदक का भोग अर्पित करें. इसके बाद श्री गणेश जी की आरती करें.
सिंदूर का चढ़ाएं चोला
वैशाख विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को सिंदूर का चोला चढ़ाएं. मान्यता है इससे राहु कभी परेशान नहीं करता.
बुध ग्रह की शांति के लिए विनायक चतुर्थी पर किन्नर को हरी वस्तुएं जैसे इलायची, हरे वस्त्र, मूंग दाल का दान करें. इसके साथ ही 21 लड्डू गणपति को चढ़ाएं और ऊं ब्रां ब्रीं ब्रौं स: बुधाय नम: मंत्र का जाप करें. मान्यता है इससे बुध ग्रह से मिल रही पीड़ा से राहत मिलती है और बच्चों की बौद्धिक क्षमता तेज होती है.