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Yogini Ekadashi 2024: योगिनी एकादशी... वो दिव्य दिन... जब सारे पाप... भगवान विष्णु की कृपा से हो जाते हैं दूर... जानें क्या है पूजा-पाठ के लिए उत्तम मुहूर्त

Yogini Ekadashi 2024 Shubh Yoga: इस बार योगिनी एकादशी का व्रत दो शुभ योग में पड़ रहा है. इस दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में​ किया गया कोई भी कार्य सफल होता है.

Yogini Ekadashi 2024 Yogini Ekadashi 2024
हाइलाइट्स
  • सुबह 5:27 बजे के बाद से दिन में किसी भी समय कर सकते हैं भगवान विष्णु की पूजा 

  • योगिनी एकादशी के दिन दान करें अवश्य

Yogini Ekadashi 2 July 2024: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि बेहद खास मानी गई है. साल में कुल 24 एकादशी व्रत रखे जाते हैं. इस दिन भगवान विष्णु की आराधना की जाती है.

आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष तिथि के दिन योगिनी एकादशी मनाई जाती है. योगिनी एकादशी, वो दिव्य दिन है जब सारे पाप और अभिशाप हरि की कृपा से दूर हो जाते हैं. इस दिव्य और परमकल्याणकारी दिन की महिमा का बखान पुराणों और धर्म ग्रंथों में भी है. 

क्या है शुभ मुहूर्त
हिंदू पंचांग के अनुसार 1 जुलाई 2024 दिन सोमवार को सुबह 10 बजकर 26 मिनट से आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत हो गई है. यह तिथि 2 जुलाई दिन मंगलवार को सुबह 8 बजकर 44 मिनट तक रहेगी. ऐसे में उदयातिथि के अनुसार योगिनी एकादशी व्रत 2 जुलाई को रखा जाएगा. जो लोग योगिनी एकादशी का व्रत रखेंगे, वे 2 जुलाई को सुबह में स्नान आदि के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करके उपवास शुरू करें. 

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फिर सुबह 5:27 बजे के बाद से दिन में किसी भी समय भगवान विष्णु की पूजा कर सकते हैं. सुबह 08:42 से विष्णु पूजा के लिए शुभ फलदायी समय रहेगा. योगिनी एकादशी व्रत रखने वाले 3 जुलाई को व्रत का पारण करेंगे. योगिनी एकादशी व्रत का पारण 3 जुलाई सुबह 5:28 बजे से लेकर सुबह 7:10 बजे के बीच है. उस दिन द्वादशी तिथि का समापन सुबह 7:10 पर होगा.

बन रहे इतने शुभ योग
इस बार योगिनी एकादशी का व्रत दो शुभ योग में पड़ रहा है. योगिनी एकादशी के दिन त्रिपुष्कर योग और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है. त्रिपुष्कर योग का निर्माण सुबह 08:37 बजे से हो रहा है, जो 3 जुलाई को सुबह  04:40 बजे तक रहेगा.

सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण 2 जुलाई को सुबह 05:27 बजे  से हो रहा है, जो 3 जुलाई को सुबह  04:40 बजे तक रहेगा. धार्मिक मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में​ किया गया कोई भी कार्य सफल होता है. त्रिपुष्कर योग में पूजा-पाठ, दान, यज्ञ या कोई और शुभ कार्य करने से उसका तीन गुना फल मिलता है. इस योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.

योगिनी एकादशी पूजा विधि
1. योगिनी एकादशी के दिन प्रातः काल उठकर स्नान करना चाहिए. इसके बाद पीले रंग के वस्त्र धारण करना शुभ होता है.
2. योगिनी एकादशी के दिन विष्णु जी की पूजा का विधान है. साथ ही पीपल के वृक्ष की पूजा भी करनी चाहिए.
3. इस दिन मंदिर की साफ-सफाई करें. इसके बाद भगवान विष्णु का जलाभिषेक करें.
4. भगवान विष्णु को पीला चंदन और पीले पुष्प अर्पित करें. संभव हो तो व्रत रखें और व्रत लेने का संकल्प करें.
5. भगवान विष्णु की पूजा तुलसी के बिना पूरी नहीं होती है, इसलिए एकादशी के दिन भगवान विष्णु को भोग में तुलसी का प्रयोग अवश्य करें.
6. योगिनी एकादशी की व्रत कथा का पाठ करें. ॐ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें.
7. अंत में भगवान विष्णु की आरती करें. इस दिन जरूरतमंद लोगों को भोजन व दान दक्षिणा दें. 
8. योगिनी एकादशी के दिन पीपल का पौधा लगाएं.

योगिनी एकादशी व्रत के दिन न करें ये काम
1. एकादशी का व्रत करने वाले व्यक्ति को लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए. 
2. इस दिन भूलकर भी मांसाहार का सेवन नहीं करना चाहिए. हर तरह के नशे से दूर रहें
3. मान्यता है कि एकादशी के दिन साबुन और तेल का प्रयोग नहीं करना चाहिए. 
4. इस दिन नाखून भी नहीं काटने चाहिए. 
5. एकादशी व्रत के दिन क्रोध या लड़ाई-झगड़ा से बचें. 

योगिनी एकादशी को लेकर क्या है मान्यता
धार्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि प्राचीन काल में हेममाली नाम का एक माली था, जो काम भाव में लीन होकर ऐसी गलती कर बैठा कि उसे राजा कुबेर का श्राप मिला. इससे उसे कुष्ठ रोग हो गया. तब एक ऋषि ने उसे योगिनी एकादशी का व्रत करने को कहा. मुनि के आदेश का पालन करते हुए हेममाली ने योगिनी एकादशी का व्रत किया. 

इस व्रत के प्रभाव और भगवान विष्णु के आशीर्वाद से वो पूरी तरह से रोगमुक्त हो गया और उसे शाप से मुक्ति मिल गई. तभी से इस एकादशी का इतना महत्व है. मान्यता ये भी है कि योगिनी एकादशी के दिन गीता का पाठ भगवान विष्णु की मूर्ति के समाने बठकर करने से पित्रों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. पौराणिक कथा के अनुसार योगिनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा और व्रत करने से व्यक्ति को मृत्यु के बाद स्वर्ग प्राप्त होता है. भगवान श्रीकृष्ण ने खुद युधिष्ठिर को योगिनी एकादशी के महत्व के बारे में बताया था. ऐसी मान्यता है कि जो इस व्रत को करता है, उसे पृथ्वी पर सभी तरह के सुख प्राप्त होते हैं.