Acchi Baat: रामचरित मानस के अनुसार, त्रेतायुग में भगवान शंकर और माता सती कुंभज ऋषि के पास कथा सुनने गए. सती को संदेह हुआ जब कुंभज ऋषि ने शंकर जी की पूजा की. बाद में राम से मिलने पर सती का संदेह और बढ़ गया. यह कथा बताती है कि भगवान परीक्षा से नहीं, प्रतीक्षा से प्राप्त होते हैं. धीरेंद्र शास्त्री ने श्रोताओं के विभिन्न प्रकारों का भी वर्णन किया और कहा कि कथा सुनने से जीवन में परिवर्तन आ सकता है. देखिए अच्छी बात.