आज सनातन परंपरा और अधिक सुदृढ़ हुई है. ओंकारेश्वर में आदिगुरु शंकराचार्य की प्रतिमा के अनावरण के साथ ही पूरे देश में सनातन परंपरा की जड़ें और गहरी हो सकेंगी. प्रतिमा के अनावरण से पहले शिवराज सिंह चौहान अपनी पत्नी के साथ यज्ञ में शामिल हुए. पूरे भक्ति भाव से पूजा की. अनावरण समारोह में शामिल होने देशभर से 5000 के करीब साधु संत शामिल हुए. केरल की परंपारिक पद्धति के मुताबिक सभी साधु-संतों का स्वागत किया गया. इसके बाद मुख्यमंत्री और संतों के द्वारा वैदिक यज्ञ अनुष्ठान में आहूति दी गई. वेदोच्चार और शंखनाद के बीच मुख्यमंत्री और पूज्य संत एकात्मता की मूर्ति की चरणों में पुष्पांजलि अर्पित किया. ओंकारेश्वर आदि शंकराचार्य की ज्ञान स्थली है. लिहाजा यहां उनकी भव्य प्रतिमा स्थापित की गई है. आठवीं शताब्दी के दार्शनिक और हिंदू धर्म में प्रतिष्ठित शंकराचार्य की इस 108 फुट ऊंची प्रतिमा का नाम एकात्मता की प्रतिमा रखा गया है.
This statue of Adi Shankaracharya is very grand and huge. His childhood form is visible in the statue. The story of preparation of this statue is also very interesting in itself. Many sages and monks discussed deeply about how the statue should look. Then the form of the idol was prepared.