आज के ऐपिसोड में बात करेंगे देवी मां के उस धाम की है जहां मां अन्नपूर्णा स्वरूप में विराजमान हैं. कहते हैं कि मां की कृपा से ही उस पूरे इलाके में कभी सूखा नहीं पड़ सकता है क्योंकि माता रानी खुद उस इलाके का पोषण करती हैं. माता रानी का वो दरबार साल के केवल 4 दिन ही दर्शन के लिए खुलता है. तब मां के उस दरबार में पैर रखने की भी जगह नहीं होती है. काशी विश्वानाथ के दरबार में विराजीं मां अन्नपूर्णा की कथा कहती है कि मां ने भगवान शिव का भी पोषण किया था. इसीलिए आज काशी का पोषण कर रही हैं. क्योंकि वो भगवान शिव की गृहणी हैं, और काशी भगवान शिव की नगरी. मां अन्नपूर्णा के इस दरबार में मां अपने साक्षात दर्शन केवल चार दिनों के लिए देती हैं. साल के बाकी दिन मां की प्रतीकात्मक पूजा आराधना की जाती है. देखिए प्रार्थना हो स्वीकार.
In today's episode, we will talk about that Dham of Mother Goddess, where the goddess is seated in the form of Annapurna. It is said that due to the grace of the goddess, there can never be a drought in that entire area because she herself nurtures that area. That court of goddess is open for darshan only 4 days of the year. Then there is no place for the mother to even set foot in that court. The story of Mother Annapurna, who was seated in the court of Kashi Vishwanath, says that the mother also nurtured Lord Shiva. That is why today she is nurturing Kashi. Because she is the housewife of Lord Shiva, and Kashi is the city of Lord Shiva. In this court of Mother Annapurna, the mother gives her direct darshan only for four days. For the rest of the year, symbolic worship of the mother is performed. Watch Prarthna ho sweekar