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19 April in History: साल 1975 में लॉन्च हुआ था देश का पहला Satellite Aryabhata, 30 साइंटिस्टों की टीम ने किया था कमाल

On This Day in 1975: 19 अप्रैल 1975 को भारत ने अपना पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया था. वोल्ग्रोग्रैड रशिया के पास कपुस्तिन यार कॉस्मोड्रोम से सैटेलाइट को लॉन्च किया गया था. इस पूरे मिशन में रूस ने भारत की मदद की थी. भारत की इस बड़ी कामयाबी के समय 30 भारतीय वैज्ञानिक मौके पर मौजूद थे.

19 अप्रैल 1975 को भारत ने पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया था 19 अप्रैल 1975 को भारत ने पहला सैटेलाइट आर्यभट्ट लॉन्च किया था

आज के दिन यानी 19 अप्रैल को साल 1975 में भारत ने अपना पहला सैटेलाइट लॉन्च किया और स्पेस की दुनिया में कदम रखा. सैटेलाइट 17 साल तक स्पेस में रहा. उसके बाद 10 फरवरी 1992 को धरती पर लौट आया. भारत का पहला स्पेस मिशन इतना भी आसान नहीं था. इस मिशन को पूरा करने के लिए वैज्ञानिकों को दिन-रात एक करना पड़ा था. 30 वैज्ञानिकों की टीम ने काम किया. तब जाकर इस ऐतिहासिक क्षण को देखने का मौका मिला. चलिए आपको देश के पहले सैटेलाइट की लॉन्चिंग की पूरी कहानी बताते हैं.

मिशन स्पेस के लिए लगी दुनिया में होड़-
स में सैटेलाइट लॉन्च करने को लेकर दुनिया के देशों में होड़ मची हुई थी. सबसे पहले अक्टूबर 1957 में रूस ने सैटेलाइट स्पुतनिक लॉन्च किया. इसके बाद नासा भी स्पेस मिशन पर जुट गया. जब दुनिया के दो बड़े देश स्पेस में काम कर रहे थे तो बाकी देश भी इस दिशा में कदम बढ़ाने लगे. भारत के वैज्ञानिकों ने भी इसपर काम करना शुरू किया. साल 1962 में स्पेस में काम करने के लिए द इंडियन नेशनल कमेटी फॉर स्पेस रिसर्च की शुरुआत की गई. 21 नवंबर 1963 को त्रिवेंद्रम से देश का पहला रॉकेट लॉन्च किया गया. साल 1968 में स्पेस में काम करने वाली एजेंसी का नाम बदलकर ISRO कर दिया गया. उधर, 24 अप्रैल 1970 को चीन ने भी 173 किलोग्राम का पहला सैटेलाइट लॉन्च कर दिया. हालांकि इससे पहले से ही भारत में सैटेलाइट लान्चिंग को लेकर वैज्ञानिक एक्टिव हो गए थे.

भारत ने सैटेलाइट मिशन पर काम शुरू किया-
भारत ने साल 1968 में सैटेलाइट मिशन पर काम करना शुरू कर दिया था. विक्रम साराभाई ने यूआर राव को इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी सौंपी थी. राव ने 20 इंजीनियर्स की टीम बनाई और सैटेलाइट का डिजाइन तैयार करने का काम शुरू किया. टीम ने 100 किलोग्राम का सैटेलाइट बनाने का प्लान बनाया.

इंदिरा गांधी की बैठक और प्लान में बदलाव-
जून 1971 में तात्कालिक प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, विक्रम साराभाई और यूआर राव की एक बैठक होती है. इस बैठक में रूस के राजदूत निकोलाई पेगोव भी शामिल होते हैं. इस बैठक में यूआर राव एक सैटेलाइट का प्लान रखते हैं. इसके लिए एक लॉन्च व्हीकल की जरूरत थी.
इस बैठक में रूसी राजदूत यूआर राव से सवाल पूछते हैं कि चीन ने जो सैटेलाइट लॉन्च किया है, उसका वजह कितना है? राव जवाब देते हैं कि 190 किलोग्राम. इसके बाद रूसी राजदूत ने कहा कि भारत का सैटेलाइट चीन से बड़ा होना चाहिए. भारतीय वैज्ञानिकों ने हामी भर दी और फिर चीन से बड़े सैटेलाइट की लॉन्चिंग पर काम शुरू हुआ.

350 किलो के सैटेलाइट का प्लान-
जब रूस ने लॉन्चिंग व्हीकल के लिए हामी भर दी तो भारतीय वैज्ञानिकों ने 350 किलोग्राम के सैटेलाइट पर काम करना शुरू किया. सैटेलाइट का डिजाइन तैयार हो गया. लेकिन इससे पहले कहानी में एक ट्विस्ट आ गया. आरयू राव ने अपनी किताब में इसका जिक्र किया है. उन्होंने लिखा है कि जब वो डिजाइन को लेकर मॉस्को गए तो रूसी वैज्ञानिकों को भरोसा नहीं था कि भारत ये प्रोजेक्ट पूरा कर लेगा. लेकिन काफी कोशिशों के बाद रूस के वैज्ञानिक सहमत हुए. लेकिन इससे पहले वो भारत में फैसिलिटीज देखना चाहते थे.

मिशन के बीच भारत को लगा बड़ा झटका-
अभी सैटेलाइट मिशन को लेकर काम चल रही रहा था. इसी बीच दिसंबर 1971 में भारत के मशहूर वैज्ञानिक विक्रम साराभाई की हार्ट अटैक से मौत हो गई. साराभाई सिर्फ 52 साल के थे. वो एटॉमिक एनर्जी कमीशन के चेयरमैन थे. साराभाई की मौत के बाद एमजीके मेनन को इसरो का चीफ बनाया गया. इसके बाद साल 1972 में सतीश धवन से इसरो की जिम्मेदारी संभाली. वैज्ञानिकें की तमाम कोशिशों के बाद रूस और भारत के बीच समझौता साइन हुआ. साल 1974 में लॉन्चिंग की तारीख तय की गई.
उधर, सैटेलाइट निर्माण का काम शुरू हो गया था. हर 6 महीने में रूसी वैज्ञानिक रिव्यू मीटिंग करते थे. हालांकि रूस की तरफ से कोई खास मदद नहीं मिल रही थी. उधर, लॉन्चिंग की तारीख भी नजदीक आ गई थी. आखिरकार लॉन्चिंग की तारीख बदलनी पड़ी. अब नई तारीख अप्रैल 1975 तय की गई.

तय तारीख पर हुई लॉन्चिंग-
भारतीय वैज्ञानिकों ने दिन-रात मेहनत करके मार्च 1975 में सैटेलाइट तैयार कर लिया. लेकिन अब तक सैटेलाइट का नाम नहीं रखा गया था. आननफानन में नाम रखने की प्रक्रिया शुरू की गई. तात्कालिक पीएम इंदिरा गांधी ने सैटेलाइट मिशन के नाम आर्यभट्ट चुना. लॉन्चिंग की तारीख 19 अप्रैल आ गई. सैटेलाइट को वोल्ग्रोग्रैड रशिया के पास कपुस्तिन यार कॉस्मोड्रोम से आर्यभट्ट सैटेलाइट लाॉन्च किया जाना था. इस मौके पर 30 भारतीय वैज्ञानिक मौजूद थे. दोपहर 12 बजे काउंटडाउन शुरू हुआ और मिशन पूरा हुआ.
भारत अपना पहला सैटेलाइट लॉन्च कर चुका था. वैज्ञानिक गले मिलकर एक-दूसरे को बधाई देने लगे. आरयू राव की आंखों में आंसू आ गए. भारत का पहला सैटेलाइट मिशन सफल रहा. हालांकि आर्टभट्ट सिर्फ 4 दिनों तक ही सिग्नल भेज पाया. उसके बाद उससे संपर्क टूट गया. लेकिन जल्द ही फिर से सिग्नल मिलने लगा और सैटेलाइट काम करने लगा. इसके बाद करीब 17 सालों तक आर्यभट्ट स्पेस में रहा.

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