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Aditya L1 Mission: ISRO ने फिर रचा इतिहास! भारत के पहले सूर्य मिशन को बड़ी कामयाबी, अपनी मंजिल एल-1 प्वाइंट पर पहुंचा आदित्य यान

Aditya L1 Sun Mission: इसरो ने एक बार फिर शनिवार को इतिहास रच दिया है. मिशन सूरज पर निकला सैटेलाइट आदित्य एल-1 अपनी मंजिल तक पहुंच चुका है. आदित्य एल-1 को लग्रेंज प्वाइंट के हेलो ऑर्बिट में इंसर्ट कर दिया गया है.

Aditya L1 Mission Aditya L1 Mission
हाइलाइट्स
  • लग्रेंज-1 प्वाइंट में आदित्य L1 ने रखा कदम

  • 2 सितंबर को शुरू हुई थी आदित्य एल1 की यात्रा 

ISRO Successful Mission Aditya l1: मंगलयान और चंद्रयान की सफलता के बाद भारत ने फिर इतिहास रच दिया है. सूर्य मिशन पर निकला भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का आदित्य एल-1 सूर्य मिशन अपनी मंजिल लग्रेंज प्वाइंट-1 (एल1) पर पहुंच कर एक कीर्तिमान हासिल किया है. इसके साथ ही भारत ने नए साल में अंतरिक्ष की दुनिया में एक और नई कामयाबी हासिल कर ली है. इस अहम कामयाबी पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट करके बधाई दी है. 

पीएम मोदी ने किया ट्वीट
पीएम मोदी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा है कि भारत ने एक और उपलब्धि हासिल की. भारत की पहली सौर वेधशाला आदित्य-एल 1 अपने गंतव्य तक पहुंची. पीएम मोदी ने आगे लिखा है कि यह सबसे जटिल और पेचीदा अंतरिक्ष अभियानों को साकार करने में हमारे वैज्ञानिकों के अथक समर्पण का प्रमाण है. हम मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को आगे बढ़ाना जारी रखेंगे.

L1 प्वाइंट पर डालना था बेहद रिस्की और चुनौतीपूर्ण 
2 सितंबर को शुरू हुई आदित्य एल1 की यात्रा 37 लाख किलोमीटर का सफर पूरा करके हेलो ऑर्बिट में पहुंच गई है. इसके साथ ही भारत की पहली सोलर ऑब्जरवेटरी धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर की दूरी पर स्थापित हो गई. इसरो के वैज्ञानिकों के लिए आदित्य L1 को लग्रेंज1 प्वाइंट पर डालना एक चुनौतीपूर्ण काम था. इसमें गति और दिशा का सही तालमेल जरूरी था. इसके लिए इसरो को यह जानना जरूरी था कि उनका स्पेसक्राफ्ट कहां था. कहां है. और कहां जाएगा. उसे इस तरह ट्रैक करने के प्रोसेस को ऑर्बिट डिटरमिनेशन (Orbit Determination) कहते हैं.

किसे कहा जाता है हेलो ऑर्बिट 
एल-1 प्वाइंट के आसपास के क्षेत्र को हेलो ऑर्बिट के रूप में जाना जाता है, जो सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के बीच मौजूद पांच स्थानों में से एक है, जहां दोनों पिंडों का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के बीच साम्यता है. मोटे तौर पर ये वे स्थान हैं, जहां दोनों पिंडों की गुरुत्व शक्ति एक दूसरे के प्रति संतुलन बनाती है. पृथ्वी और सूर्य के बीच इन पांच स्थानों पर स्थिरता मिलती है, जिससे यहां मौजूद वस्तु सूर्य या पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में नहीं फंसती है. इसरो के एक वैज्ञानिक के अनुसार हेलो ऑर्बिट सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के घूमने के साथ-साथ घूमेगा.

इतनी सैटेलाइट्स की सुरक्षा करेगा आदित्य L1
अब आदित्य L 1 उपग्रह लग्रेंज1 प्वाइंट के चारों ओर घूमते हुए सूरज की स्टडी करेगा. हेलो ऑर्बिट में पहुंचने के बाद 400 करोड़ रुपए की लागत वाला आदित्य L1 मिशन अगले 5 साल तक भारत के 50 से ज्यादा सैटेलाइट्स की सुरक्षा करेगा. इसके साथ ही यह कोरोना से निकलने वाली गर्मी और गर्म हवाओं की स्टडी करेगा. इस मिशन में यह भी जानने की कोशिश होगी कि सौर तूफानों के आने की वजह और उनका धरती के वायुमंडल पर क्या असर होता है. इसके अलावा आदित्य L1 सौर हवाओं के विभाजन और तापमान की स्टडी करेगा एवं सौर वायुमंडल को समझने का प्रयास करेगा.

क्या है आदित्य-L1
Aditya-L1 भारत की पहली अंतरिक्ष आधारित ऑब्जरवेटरी (Space Based Observatory) है. यह सूरज से इतनी दूर तैनात होगा कि उसे गर्मी तो लगे लेकिन खराब न हो. क्योंकि सूरज की सतह से थोड़ा ऊपर यानी फोटोस्फेयर का तापमान करीब 5500 डिग्री सेल्सियस रहता है. केंद्र का तापमान 1.50 करोड़ डिग्री सेल्सियस रहता है. ऐसे में किसी यान या स्पेसक्राफ्ट का वहां जाना संभव नहीं है.

इसरो के इस अभियान पर पूरी दुनिया की थी नजर
आदित्य एल1 अगले 5 सालों तक सौरमंडल की स्टडी करेगा. यह भारत की पहली अंतरिक्ष ऑब्जर्वेटरी है और इसको सफलतापूर्वक ऑर्बिट में पहुंचाने के लिए इसरो के वैज्ञानिक लगातार मॉनिटरिंग  कर रहे थे. इसरो के इस अभियान को पूरी दुनिया की नजर थी. क्योंकि इसके सात पेलोड सौर घटनाओं का व्यापक अध्ययन किए जाएंगे और वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय को डाटा मुहैया कराए जाएंगे, जिससे सभी सूर्य के विकिरण, कणों और चुंबकीय क्षेत्रों का अध्ययन कर पाएंगे. 

आदित्य L1 का कौन सा पेलोड क्या करेगा काम 
1. VELC यानी विजिबल लाइन एमिसन कोरोनाग्राफ : सूरज की हाई डेफिनेशन फोटो खींचेगा.
2. SUIT यानी सोलर अल्ट्रावायलेट इमेजिंग टेलिस्कोप : सूरज की अल्ट्रावायलेट वेवलेंथ की फोटो लेगा.
3. ASPEX यानी आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट : अल्फा पार्टिकल्स की स्टडी करेगा.
4. PAPA यानी प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य : सूरज की गर्म हवाओं की स्टडी करेगा.
5. SoLEXS यानी सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर : सूरज से निकलने वाले एक्स-रे और उसमें आने वाले बदलावों की स्टडी करेगा.
6. HEL10S यानी हाई एनर्जी L1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर: हाई-एनर्जी एक्स-रे की स्टडी करेगा.
7. MAG यानी एडवांस्ड ट्राई-एक्सियल हाई रेजोल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर्स: मैग्नेटिक फील्ड की स्टडी करेगा.