देर रात आरे फ्लाईओवर के नीचे एक बाइक दुर्घटना में चार्टर्ड एकाउंटेंट विशाखा इतनी बुरी तरह से घायल हो गई थी कि उनका दाहिना हाथ लगभग कट गया था. लेकिन अब इसे जोड़ दिया गया है. कांदिवली निवासी 31 साल की विशाखा का हाथ डॉक्टरों ने आठ घंटे की सर्जरी के बाद फिर से जोड़ दिया है.
अब, सर्जरी के तीन महीने बाद, 31 साल की विशाखा का अब उंगली का मूवमेंट शुरू हो गया है. उम्मीद है कि वह जल्द ही कंप्यूटर पर काम करने और भविष्य में कार चलाने में सक्षम हो जाएंगी. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बांद्रा के लीलावती अस्पताल की प्लास्टिक सर्जन डॉ. लीना जैन ने कहा, "हालांकि, वह कभी भी अपने दाहिने हाथ से खाना नहीं खा पाएंगी क्योंकि हमें कोहनी के जोड़ को हटाना पड़ा, जो हाथ को मोड़ने और सीधा करने में मदद करता है."
विशाखा और उनके पति दोनों को लगी थी चोट
दरअसल, ये दुर्घटना 3 मार्च को रात करीब 10.40 बजे हुई थी जब विशाखा के पति उन्हें अपने ऑफिस से घर ले जा रहे थे. उन्हें संदेह है कि सड़क पर कुछ तैलीय पदार्थ था जिससे वाहन फिसल गया था. गिरने के बाद दोनों होश खो बैठे, लेकिन उनके पति जल्दी ठीक हो गए थे लेकिन उन्होंने पाया कि विशाखा की बांह लगभग कटी हुई थी और उनकी छाती से लेकर बांह तक की स्किन की बाहरी परतें फटी हुई थीं. इतना ही नहीं बल्कि विशाखा के पैरों और माथे पर चोट के निशान थे. दोपहर 1 बजे के आसपास लीलावती अस्पताल में ट्रांसफर करने से पहले वह शुरू में उसे नजदीकी अस्पताल ले गए थे.
डॉक्टर को था पूरा विश्वास
विशाखा ने टीओआई को बताया, "मैं मुश्किल से होश में थी जब डॉक्टर ने मुझे बताया कि वे या तो मेरी बांह को बचाने की कोशिश कर सकते हैं या प्रोस्थेटिक लगा सकते हैं, और मैंने उससे कहा कि आप अपनी पूरी कोशिश करिए.” जबकि विशाखा ने दुर्घटना में बहुत सारी स्किन और छोटी ब्लड वेसल खो दी थीं. इसको लेकर डॉ. लीला जैन कहती हैं, "हमें पूरी तरह से उम्मीद थी कि हम इसे दोबारा जोड़ सकते हैं क्योंकि सर्कुलेशन पूरी तरह से बंद नहीं हुआ था और हाथ पूरी तरह से नहीं टूटा था." अगले 48 घंटों में, मेडिकल टीम ने क्षतिग्रस्त वेसल की मरम्मत की और फिर मांसपेशियों, नसों और ब्लड वेसल को फिर से जोड़ा.
फिजियोथेरेपी की मदद विशाखा की कलाई की मूवमेंट होने लगी. विशाखा ने खाने के लिए या अपने दांतों को ब्रश करने के लिए अपने बाएं हाथ का उपयोग करके बैलेंस किया. इसके अलावा उन्होंने दृढ़ संकल्प लिया और हौसला रखा कि वे एक दिन ठीक हो जाएंगी और पहले के जैसे काम करने लगेंगी.