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Russia Luna 25 Mission: रूस ने 47 साल बाद लॉन्च किया अपना पहला मून मिशन...कहां होगी लैंडिंग और क्या करेगा काम, जानिए

Russia ने करीब 47 साल बाद चांद पर अपना मून मिशन भेजा है. यह रॉकेट करीब 46.3 मीटर लंबा है. इसका व्यास 10.3 मीटर है. यह मिशन भारत के Chandrayaan-3 से करीब एक महीना बाद लॉन्च किया गया है.

Lunar-25 Mission Lunar-25 Mission

यूक्रेन के साथ अपने संघर्ष के बीच, रूस नए सिरे से चंद्र मिशन शुरू कर रहा है. करीब 47 साल बाद रुस मे चांद पर अपना मून मिशन भेजा है. 11 अगस्त को सुबह 4 बजकर 40 मिनट पर अमूर ओब्लास्ट के वोस्तोनी कॉस्मोड्रोम से Luna-25 Lander मिशन लॉन्च किया गया. बता दें कि लॉन्चिंग सोयुज 2.1बी (Soyuz 2.1b) रॉकेट से की गई. इसे लूना ग्लोब मिशन भी कहते हैं. यह रॉकेट करीब 46.3 मीटर लंबा है. इसका व्यास 10.3 मीटर है. इसका वजन 313 टन है.

यह सब ठीक उसी समय हो रहा है जब भारत का तीसरा मानवरहित चंद्र प्रयास, चंद्रयान-3 अंतरिक्ष यान, चंद्रमा पर उतरा है. चंद्रयान-3 ने अपनी यात्रा के दौरान चंद्रमा और पृथ्वी दोनों के लुभावने दृश्यों को कैद किया. सुदूर पूर्व में रूस के वोस्तोचन अंतरिक्षयान से चंद्रमा के लिए लूना-25 यान का प्रक्षेपण 1976 के बाद किया गया जब यह सोवियत संघ का हिस्सा था. 

अभी तक कौन-कौन कर पाया है ऐसा
रूसी चंद्र लैंडर के 23 अगस्त को चंद्रमा पर पहुंचने की उम्मीद है. यह लगभग वही दिन होगा जब भारत ने 14 जुलाई को चंद्रयान-3 लॉन्च किया था. रूसी अंतरिक्ष यान को चंद्रमा के आसपास की यात्रा करने में लगभग 5.5 दिन लगेंगे, फिर तीन से सात दिन इसे सतह पर जाने में लगेंगे.  इसका मतलब ये हुआ कि रूसी लैंडर 21 या 22 अगस्त को लूना-25 चांद की सतह पर उतरेगा. इससे पहले ये लगभग 100 किलोमीटर (62 मील) की परिक्रमा करेगा. अब तक केवल तीन सरकारें ही सफल चंद्रमा लैंडिंग में कामयाब रही हैं जिसमें सोवियत संघ, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन शामिल है. भारत और रूस चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सबसे पहले उतरने का लक्ष्य बना रहे हैं. यूक्रेन पर हमला करने के बाद पहली बार रूस किसी दूसरे ग्रह या उपग्रह के लिए अपना मिशन भेजने को तैयार हुआ है.

क्या है रूस का मिशन
रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि हम किसी देश या स्पेश एजेंसी के साथ प्रतियोगिता नहीं कर रहे हैं. हमारे लैंडिंग इलाके भी अलग हैं. बता दें कि लूना-25 चांद के दक्षिणी ध्रुव के पास मौजूद बोगुस्लावस्की क्रेटर के पास उतरेगा. इसके पास लैंडिंग के लिए 30×15 किलोमीटर की रेंज मौजूद है. लूना-25 एक रोबोटिक लूनर स्टेशन है. इस दौरान इसके पेलोड्स चांद की सतह से मिट्टी लेकर उनका परीक्षण करेंगे. ड्रिलिंग करने की क्षमता दिखाई जाएगी.

क्या काम करेगा लूना-25
लूना-25 चंद्रमा की सतह पर साल भर रहकर जानकारी निकालेगा. इसका वजन 1.8 टन है और इसमें 31 KG के वैज्ञानिक यंत्र हैं. इसमें एक खास यंत्र लगा है जो सतह की 6 इंच खुदाई करके, पत्थर और मिट्टी के सैंपल जमा करेगा ताकि जमे हुए पानी की खोज की जा सके. इसका मतलब ये हुआ कि अगर भविष्य में इंसान चांद पर बेस बनाने के बारे में सोचता है तो उसे पानी की दिक्कत न हो. रूस का इस लैंडिंग से मुख्य मकसद ये है कि वो दिखाना चाहता है कि चांद पर वह सॉफ्ट लैंडिंग करा सकता है. 

Luna-25 मिशन की शुरुआत 1990 में हुई थी जोकि अब जाकर पूरा होने वाला है. रूस ने इस मिशन के लिए जापानी स्पेस एजेंसी JAXA को साथ लाने की कोशिश की थी हालांकि जापान ने इसके लिए मना कर दिया. रूस ने Luna-25 की लॉन्चिंग के समय पास का एक पूरा गांव खाली करा लिया क्योंकि रॉकेट के निचला हिस्सा उस स्थान पर गिर सकता है.