दुनिया में अभी भी न जाने कितने ऐसे वायरस (Virus) हैं जिनकी खोज अब तक नहीं हुई है. अब हाल ही में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का उपयोग करते हुए एक स्टडी में 70,500 नए RNA वायरस खोजे गए हैं. यह खोज सेल मैगजीन में पब्लिश हुई है. शोधकर्ताओं ने ऐसा करने के लिए मेटाजीनोमिक्स नाम की तकनीक का उपयोग किया है. AI इक्विपमेंट जैसे ESMFold और LucaProt के उपयोग से, वैज्ञानिकों ने कई नए RNA वायरसों की पहचान की है.
वायरस लगभग हर तरह के जीव को इन्फेक्टेड (Virus Infection) कर सकते हैं. फिर चाहे जानवर हो, पौधे हों, फंगी हो, यहां तक कि बैक्टीरिया हो. पिछले कुछ दशकों में वैज्ञानिकों ने नए-नए वायरस की खोज की है, लेकिन अभी भी अनुमान है कि वायरस की एक "अथाह खाई" बाकी है जिसे अभी भी खोजा जाना बाकी है. विशेष रूप से RNA वायरस. ये अपनी तेजी से बढ़ने की दर के लिए जाने जाते हैं.
इतने सारे अज्ञात वायरस की खोज बड़ा सवाल उठाती है: क्यों कुछ वायरस इंसानों में गंभीर बीमारी या मौत का कारण बनते हैं जबकि दूसरे हमें बिल्कुल प्रभावित नहीं करते? और अलग-अलग प्रकार के वायरस के इंसानों का शरीर कैसे रिएक्ट करता है. इन सवालों को समझने के लिए वायरस की प्रकृति और उनके प्रति इम्यून सिस्टम का रिस्पांस समझना जरूरी है.
कुछ वायरस हमें नुकसान क्यों पहुंचाते हैं?
दरअसल, वायरस एक इंट्रासेल्यूलर पैरासाइट (Intracellular Parasite) होते हैं. इसका मतलब है कि उन्हें बढ़ने के लिए किसी होस्ट सेल (Host Cell) को इन्फेक्ट करने की जरूरत होती है. जब कोई वायरस होस्ट को इन्फेक्ट करता है, तो यह सेल्स के काम को रोक देता है और खुद की कई कॉपी बनाना शुरू कर देता है. इसका मतलब है कि आपके शरीर में सेल्स जिस स्पीड से बढ़ रही थीं, अब उसमें वायरस भी आ गया है. और अब वायरस तेजी से खुद को बढ़ा रहा है.
कुछ वायरस, जैसे इन्फ्लूएंजा, HIV, या SARS-CoV-2 (COVID-19 के लिए जिम्मेदार वायरस), सेल्स को काफी बड़े स्तर पर डैमेज कर सकते हैं क्योंकि ये उन सेल्स को इन्फेक्टेड कर देते हैं, जो हमारे शरीर की जरूरी सेल्स होती हैं जैसे इम्यून सेल्स या फेफड़ों के टिश्यू.
जबकि, दूसरे वायरस कम नुकसान करते हैं. ये नुकसान न पहुंचाने वाले वायरस ऐसी सेल्स को इन्फेक्ट करते हैं जो शरीर के लिए ज्यादा जरूरी नहीं होती है.
हमारा शरीर वायरसों के प्रति कैसी रेस्पॉन्ड करता है
इंसानों के शरीर में इम्यून सिस्टम (Immune System) वायरल इन्फेक्शन का पता लगाने और रिस्पॉन्स (Response) देने के लिए कई लेवल पर काम करता है. जब कोई वायरस एंट्री करता है, तो इम्यून सिस्टम की पहली लेयर शरीर को सेफ्टी देती है, इसे फर्स्ट लाइन ऑफ डिफेंस (First line of defense) कहा जाता है. इस प्रतिक्रिया में इंटरफेरॉन्स और दूसरे सिग्नलिंग मॉलिक्यूल्स का रिलीज होना शामिल होता है. ये वायरस के बढ़ने को कंट्रोल करने और दूसरी इम्यून सेल्स को एक्टिव करने में मदद करते हैं.
इसके बाद अडाप्टिव इम्यून सिस्टम (Adaptive Immune System) काम करता है, जिसमें टी-सेल्स और बी-सेल्स जैसी स्पेशल सेल्स वायरल प्रोटीनों (एंटीजन) को पहचानने और रिस्पांस देने का काम करती हैं. बी-सेल्स एंटीबॉडी पैदा करती हैं जो वायरस को इनएक्टिव कर सकती हैं, जबकि टी-सेल्स उन सेल्स को खत्म करती हैं जो इन्फेक्टेड हैं. जब इन्फेक्शन खत्म हो जाता है, तो इन इम्यून सेल्स में से कुछ “मेमोरी सेल्स” (Memory Cells) बन जाती हैं, जो भविष्य में वायरस के दोबारा मिलने पर तेजी से प्रतिक्रिया करने का काम करती हैं.
हालांकि, ऐसा नहीं है कि हमारा इम्यून सिस्टम हमें सभी वायरस से बचा ले. कुछ, जैसे हेपेटाइटिस सी वायरस, इम्यून सिस्टम से बच सकते हैं, जिससे क्रोनिक इन्फेक्शन हो सकते हैं. दूसरे, जैसे HIV, लगभग हर समय इम्यून सेल्स को टारगेट करते हैं, जिससे हमारी बॉडी का डिफेन्स सिस्टम, जो हमें बचाता है वो कमजोर हो जाता है. इसलिए ही कहा जाता है कि HIV का इलाज अभी भी नहीं मिल पाया है.
क्यों कुछ वायरस हमारे साथ रहते हैं और नुकसान नहीं पहुंचाते हैं?
सभी वायरस हमें नुकसान पहुंचाने वाले नहीं होते हैं, कुछ फ्रेंडली भी होते हैं. हमारे शरीर में ऐसे अनगिनत फ्रेंडली वायरस रहते हैं जो कोई नुकसान नहीं पहुंचाते. इन्हें हम साइंस की भाषा में ह्यूमन वायरोम कहते हैं. ये हमारे इम्यून सिस्टम के साथ बैलेंस बनाकर रहते हैं. उदाहरण के लिए, कुछ बैक्टीरियोफेज (बैक्टीरिया को संक्रमित करने वाले वायरस) हमारी आंतों में पाए जाते हैं, जहां वे बैक्टीरियल इन्फेक्शन्स को कंट्रोल करने में भूमिका निभाते हैं और यहां तक कि हमारी हेल्थ को भी अच्छा रखने में मदद करते हैं.
कुछ ऐसे भी होते हैं, जो न तो नुकसान पहुंचाते हैं और न ही कोई फायदा. उदाहरण के लिए, कुछ रेट्रोवायरस (ERVs), जो न जाने लाखों सालों से इंसानों के शरीर में रह रहे हैं. एक समय में ये सभी एक्टिव हुआ करते थे, लेकिन अब ये इनएक्टिव हो चुके हैं और नुकसान नहीं पहुंचाते हैं.