व्हेल इस ग्रह की सबसे भव्य प्राणियों में से एक है. व्हेल को दुनिया के सबसे समझदार जीवों में से एक माना जाता है. व्हेल मछली सदियों से मानव सभ्यता के साथ भी जुड़ी हैं. इसी कड़ी में अगर सब कुछ ठीक रहा तो साइंटिस्ट बहुत जल्द व्हेल की भाषा डिकोड करने में सफल हो जाएंगे. वैज्ञानिकों के एक समूह ने डेटा जुटाना शुरू कर दिया है ताकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का उपयोग करके ये जाना जा सके कि व्हेल कैसे संवाद(communicate) करती हैं?
साल 2020 से प्रोजेक्ट पर शुरू हुआ काम
इस प्रोजेक्ट को Cetacean Translation Initiative(CETI) नाम दिया गया है. व्हेल की भाषा को डिकोड करने की संभावना के बारे में पहली बातचीत हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में हुई थी. वैज्ञानिकों के एक अंतरराष्ट्रीय समूह ने 2017 में रैडक्लिफ फैलोशिप में एक साथ एक साल बिताया. इसके बाद डेटा पर रिसर्च और क्लेक्शन का काम 2020 में जोर-शोर से शुरू हुआ. यदि परियोजना सफल होती है तो ऐसा पहली बार होगा जब मनुष्य किसी अन्य प्रजाति की भाषा को समझेंगे. नतीजतन मनुष्य व्हेल के साथ संवाद करने के लिए एक सिस्टम का निर्माण भी कर सकते हैं.
codas' के माध्यम से अनुवाद करने का विचार
कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय, बर्कले में सिमंस इंस्टिट्यूट फॉर द थिअरी ऑफ कंप्यूटिंग की निदेशक शफी गोल्डवासेर ने व्हेल के क्लिकिंग (clicking) साउंड की एक सीरीज को नोट किया, जो मोर्स कोड या फॉल्टी इलेक्ट्रॉनिक सर्किट के शोर के समान थी. शफी ने न्यूयॉर्क के सिटी यूनिवर्सिटी के एक समुद्री जीवविज्ञानी डेविड ग्रुबर को इन क्लिक या "कोडा" के माध्यम से व्हेल भाषा की अनुवाद करने का विचार दिया. इसके बाद इंपीरियल कॉलेज लंदन में पढ़ाने वाले एक इज़राइली कंप्यूटर वैज्ञानिक माइकल ब्रोंस्टीन ने कोडा और नेचुरल लैंग्वेज प्रोसेसिंग (NLP)के बीच एक लिंक पर विचार किया.
जानवरों की भाषा पर अभी भी संशय
बॉयोलाजिस्ट शेन गेरो ने कैरिबियाई द्वीप डोमिनिका के आसपास से शुक्राणु व्हेल codas' की रिकॉर्डिंग की आपूर्ति की. वहीं ब्रोंस्टीन ने इस डेटा पर कुछ मशीन-लर्निंग एल्गोरिदम लागू किए. उन्होंने हकाई पत्रिका को बताया, "ऐसा लग रहा था कि वे बहुत अच्छी तरह से काम कर रहे थे, कम से कम कुछ अपेक्षाकृत सरल कार्यों के साथ." लेकिन यह केवल अवधारणा का प्रमाण था. वैज्ञानिक और भाषाविद अभी भी यह नहीं जानते हैं कि जानवरों की कोई भाषा होती है या नहीं. जानवरों के उच्चारण को केवल तभी भाषा कहा जा सकता है जब उनके पास शब्दार्थ (निश्चित अर्थ वाले स्वर), व्याकरण (ध्वनियों को संरचित करने का एक निश्चित तरीका) और केवल सहज ध्वनियां न हों.
व्हेल आमतौर पर गहरे पानी में गोता लगाती हैं और बड़ी दूरी पर संवाद करती हैं. इसलिए फेसियल एक्सप्रेशन और बॉडी लैंग्वेज उनके संचार को प्रभावित नहीं करती है. ब्रोंस्टीन ने आगे कहा, "यह मानना वास्तविक है कि व्हेल संचार मुख्य रूप से ध्वनिक है."
काफी मुश्किल है व्हेल की भाषा समझना
हालांकि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के लिए भी व्हेल की भाषा को समझना और कम्युनिकेट करना काफी मुश्किल है. सबसे पॉपुलर एआई-भाषा मॉडल जीपीटी -3 में निहित हैं, जिसमें लगभग 175 बिलियन शब्दों का डेटाबेस है. इसकी तुलना में CETI के डेटाबेस में 1,00, 000 से कम स्पर्म व्हेल कोड हैं. वैज्ञानिकों ने डेटाबेस को चार अरब codas तक विस्तारित करने की योजना बनाई है.