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AI Treatment and Atherosclerosis: बिना सर्जरी के हार्ट ब्लॉकेज होगा ठीक… इस AI नैनोटेक्नोलॉजी से साफ होंगी आर्टरी

एथेरोस्क्लेरोसिस का सबसे बड़ा खतरा इसका बढ़ना होता है. यह अक्सर समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. इसमें तब तक कोई लक्षण नहीं दिखता है जब तक आर्टरी ब्लॉक नहीं हो जाती हैं. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इसका पता लगाया जा सके.

AI Treatment and Atherosclerosis (Representative Image/Unsplash) AI Treatment and Atherosclerosis (Representative Image/Unsplash)
हाइलाइट्स
  • समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है बीमारी 

  • एथेरोस्क्लेरोसिस के ट्रीटमेंट में नैनोपार्टिकल्स की भूमिका होती ह

दिल की बीमारियां दुनिया में होने वाली मौतों का प्रमुख कारण बनी हुई हैं. इसमें एथेरोस्क्लेरोसिस की बड़ी भूमिका होती है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, दिल की बीमारी, जिनमें एथेरोस्क्लेरोसिस (Atherosclerosis) भी शामिल है, के कारण हर साल लगभग 18 मिलियन लोगों की मौत होती है. 

एथेरोस्क्लेरोसिस की विशेषता यह है कि इसमें आर्टरी में प्लाक जमा हो जाता है, जो फैट, कोलेस्ट्रॉल और दूसरी चीजों से बना होता है. जैसे-जैसे प्लाक जमा होता है, यह आर्टरी को सिकोड़ देता है टाइट कर देता है, जिससे खून के बहने में रुकावट आ जाती है. ब्लड सर्कुलेशन में जब रुकावट होती है, तो इससे हार्ट अटैक, स्ट्रोक peripheral आर्टरी डिजीज का खतरा बढ़ जाता है. 

समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ती है बीमारी 
एथेरोस्क्लेरोसिस का सबसे बड़ा खतरा इसका बढ़ना होता है. यह अक्सर समय के साथ धीरे-धीरे बढ़ता जाता है. इसमें तब तक कोई लक्षण नहीं दिखता है जब तक आर्टरी ब्लॉक नहीं हो जाती हैं. ऐसे में जरूरी है कि समय रहते इसका पता लगाया जा सके. लेकिन मौजूद समय में भी जो भी मेथड मेडिकल इंडस्ट्री में मौजूद हैं- जैसे एंजियोग्राफी और स्ट्रेस टेस्ट आमतौर पर एथेरोस्क्लेरोसिस का पता तब ही लगा पाती हैं जब प्लाक का जमाव काफी हो चुका होता है. 

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अब इसी को लेकर एक नया मेथड सामने आया है. इसे AI नैनोटेक्नोलॉजी कहा जाता है. इसकी मदद से बिना सर्जरी के हार्ट ब्लॉकेज खत्म किया जा सकेगा.  

सिंगापुर के नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के योंग लू लिन स्कूल ऑफ मेडिसिन के शोधकर्ताओं ने ये नई तकनीक खोजी है. नैनोपार्टिकल टेक्नोलॉजी एथेरोस्क्लेरोसिस के डायग्नोस और ट्रीटमेंट में गेम चेंजर साबित हो सकती है. यह तकनीक न केवल बीमारी का सही समय पर पता लगाएगी, बल्कि इससे ट्रीटमेंट में भी काफी मदद मिलेगी.

एथेरोस्क्लेरोसिस के ट्रीटमेंट में नैनोपार्टिकल्स की भूमिका
नैनोपार्टिकल्स, आमतौर पर एक मीटर का एक अरबवां भाग होता है. एथेरोस्क्लेरोसिस के मामले में, वैज्ञानिकों ने ऐसे नैनोपार्टिकल्स डिजाइन किए हैं जो एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक्स की पहचान, टारगेट  और ट्रीटमेंट कर सकते हैं. 

टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, नैनोपार्टिकल्स को आर्टरी में एथेरोस्क्लेरोटिक प्लाक्स का पता लगाने के लिए डिजाइन किया गया है. वे उन एसिड के प्रति संवेदनशील होते हैं जो आमतौर पर इन प्लाक्स में पाए जाते हैं. एक बार जब नैनोपार्टिकल्स को ऐसे एसिड मिलते हैं, तो वे टूटना शुरू कर देते हैं. ये एक मेडिकल एजेंटों की तरह काम करते हैं. 

जब नैनोपार्टिकल्स उस एसिडिक एनवायरनमेंट में टूटते हैं, तो वे गैडोलिनियम जारी करते हैं, जो मैग्नेटिक रेजोनेंस इमेजिंग (MRI) में एक कंट्रास्ट एजेंट के रूप में उपयोग होता है. यह प्लाक्स की गंभीरता और आर्टरी के हालातों की एक सटीक तस्वीर देते हैं. कंप्यूटेड टोमोग्राफी एंजियोग्राफी या अल्ट्रासाउंड की तुलना में ये वाला मेथड ज्यादा सटीक माना जाता है. 

अभी की टेक्नोलॉजी से बेहतर है ये 
अभी जो टेक्नोलॉजी इस्तेमाल की जाती है जैसे कि कोरोनरी एंजियोग्राफी, एमआरआई, और इंट्रावैस्कुलर अल्ट्रासाउंड की अपनी सीमाएं होती हैं. ये एथेरोस्क्लेरोसिस की उपस्थिति का पता तो लगा सकते हैं, लेकिन वे शुरुआती चरण की बीमारी का प्रभावी रूप से पता नहीं लगा सकते हैं या प्लाक की स्थिरता के बारे में जानकारी नहीं दे सकते.

नैनोपार्टिकल वाला मेथड हाई रिज़ॉल्यूशन के साथ इमेजिंग की अनुमति देता है, जिससे उन छोटे या कमजोर प्लाक्स का भी पता लगाया जा सकता है जो अभी तक लक्षण नहीं दिखा रहे हैं.