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शरीर से पूरी तरह खत्म किया जा सकता है AIDS! वैज्ञानिकों ने Crispr टेक्निक से हटाई इन्फेक्टेड HIV सेल

HIV शरीर के इम्यून सिस्टम में मौजूद सेल्स को नुकसान पहुंचाता है. इसका नुकसान ये होता है कि शरीर की किसी भी इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता कमजोर होती जाती है. ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले फ्लूइड से फैलता है.

HIV Positive (Credit: Getty Images) HIV Positive (Credit: Getty Images)
हाइलाइट्स
  • Crispr जीनोम-एडिटिंग तकनीक से हुआ मुमकिन 

  • HIV को दूर करने के लिए जेनेटिक कैंची का उपयोग

हर साल HIV और AIDS से हजारों लोग संक्रमित होते हैं. इनमें से कई लोगों की मौत भी हो जाती है. लेकिन जल्द ही इसे पूरी तरह शरीर से खत्म किया जा सकेगा. हाल ही में वैज्ञानिकों ने एक टेक्निक से शरीर से सभी इन्फेक्टेड HIV सेल हटाई है. वैज्ञानिकों ने एडवांस जेनेटिक तकनीक का उपयोग करके इन्फेक्टेड सेल्स से वायरस को सफलतापूर्वक खत्म करके एचआईवी के इलाज की खोज में एक बड़ी सफलता हासिल की है. 

HIV को दूर करने के लिए जेनेटिक कैंची का उपयोग किया गया 

'जेनेटिक कैंची' (Genetic Scissors) का उपयोग करके, एक्सपर्ट्स  ने लेबोरेटरी सेटिंग में ही इन्फेक्टेड टी-सेल्स से एचआईवी वायरस को बाहर निकालने का काम किया है. इससे वायरस के सभी निशान पूरी तरह से खत्म हो गए. इस उपलब्धि को दुनियाभर की मेडिकल इंडस्ट्री में बड़ा विकास माना जा रहा है. अगर ये सफल होता है तो किसी को भी आजीवन एंटीवायरल दवा लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी और इसे पूरी तरह से खत्म किया जा सकेगा.

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क्या है HIV? 

दरअसल, HIV शरीर के इम्यून सिस्टम में मौजूद सेल्स को नुकसान पहुंचाता है. इसका नुकसान ये होता है कि शरीर की किसी भी इन्फेक्शन से लड़ने की क्षमता कमजोर होती जाती है. ये वायरस संक्रमित व्यक्ति के शरीर से निकलने वाले फ्लूइड से फैलता है. जैसे सीमेन, वेजाईनल और एनल फ्लूइड या खून या ब्रेस्ट मिल्क से. हालांकि, यह पसीने, लार या पेशाब के माध्यम से नहीं फैल सकता है. 

एचआईवी का पता लगाने का एकमात्र तरीका टेस्ट ही है. एक निवारक एचआईवी दवा, प्री-एक्सपोजर प्रोफिलैक्सिस (PrEP) है. जिसे हर 16 साल से ज्यादा उम्र के व्यक्ति को दिया जा सकता है. अगर इसे सही तरीके से लिया जाए तो एचआईवी होने का खतरा कम हो जाता है. लेकिन अगर कोई एक बार इससे इन्फेक्टेड हो जाता है, ऐसे में एचआईवी का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. 

Crispr जीनोम-एडिटिंग तकनीक से हुआ मुमकिन 

नीदरलैंड के शोधकर्ताओं ने इसके लिए Crispr जीनोम-एडिटिंग तकनीक का इस्तेमाल किया है. उन्होंने इन्फेक्टेड एरिया को ट्रैक किया और स्पेशल तरह के प्रोटीन पर ध्यान केंद्रित किया. इसके बाद शोध में छिपे हुए एचआईवी सेल्स को खोजकर उनपर रिसर्च की गई. शुरुआती परिणाम काफी आशाजनक आए हैं. इसके लिए इंसानों पर ट्रायल भी शुरू हो गया है. 

हालांकि, इन प्रगतियों के बावजूद, एचआईवी के लिए एक निश्चित इलाज की खोज अभी भी चल रही है. अगर ये ट्रायल सफल हो जाते हैं तो मेडिकल की दुनिया में ये एक बड़ी खोज होगी.