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Blue Origin Mission: कभी अंडरगारमेंट्स बनाती थीं नील आर्मस्ट्रांग का स्पेस सूट सिलने वाली महिलाएं... फिर इस तरह औरतों के लिए भी बनने की हुई थी शुरुआत

यह मिशन कई मायनों में खास है. पहली बार एक ऑल-फीमेल क्रू ने अंतरिक्ष की सैर की, और यह दिखाया कि महिलाएं न सिर्फ अंतरिक्ष में जा सकती हैं, बल्कि वहां अपनी शर्तों पर काम भी कर सकती हैं. दूसरा, इन स्पेस सूट्स ने यह साबित किया कि तकनीक और फैशन का मेल कितना शक्तिशाली हो सकता है.

Women in space history (Photo/AFP) Women in space history (Photo/AFP)
हाइलाइट्स
  • सुई-धागे से चांद तक

  • पहले थी स्पेस सूट की कमी

14 अप्रैल, 2025 को अंतरिक्ष यात्रा ने एक नया कीर्तिमान स्थापित किया, जब ब्लू ओरिजिन की न्यू शेपर्ड रॉकेट (NS-31 मिशन) ने छह महिलाओं को अंतरिक्ष की सैर पर ले जाकर इतिहास रच दिया. यह पहला मौका था जब एक पूरी तरह से महिला क्रू ने कार्मन लाइन (100 किलोमीटर ऊंचाई) को पार किया. ये अंतरिक्ष की औपचारिक सीमा मानी जाती है.

लेकिन इस मिशन की असली कहानी सिर्फ अंतरिक्ष की यात्रा तक सीमित नहीं है- यह उन महिलाओं की कहानी है, जिन्होंने सिलाई मशीनों के जरिए अंतरिक्ष सूट बनाए और अंतरिक्ष में महिलाओं के लिए एक नई राह खोली. क्या आप जानते हैं कि एक समय था जब महिलाओं के लिए स्पेस सूट ही नहीं थे? 

स्पेस सूट की कमी
अंतरिक्ष यात्रा का इतिहास शुरू से ही पुरुष-प्रधान रहा है. 1960 के दशक में, जब नासा के अपोलो मिशन ने चांद पर कदम रखने की तैयारी शुरू की, तब स्पेस सूट्स सिर्फ पुरुषों के लिए बनाए जाते थे. उस समय महिलाओं को अंतरिक्ष यात्रा के लिए गंभीरता से नहीं लिया जाता था, और उनके लिए विशेष रूप से डिजाइन किए गए सूट्स का तो सवाल ही नहीं था.

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पुरुषों के सूट्स को ही थोड़ा बदलकर महिलाओं के लिए इस्तेमाल किया जाता था, जो न तो पूरी तरह सुरक्षित थे और न ही आरामदायक. 2019 में यह कमी तब दुनिया के सामने आई, जब नासा को एक ऑल-फीमेल स्पेसवॉक रद्द करना पड़ा, क्योंकि उनके पास दो महिलाओं के लिए फिटिंग स्पेस सूट्स नहीं थे.

लेकिन ब्लू ओरिजिन के इस हालिया मिशन ने इस कमी को एक प्रेरणादायक तरीके से दूर किया. इस मिशन में शामिल छह महिलाओं ने न सिर्फ अंतरिक्ष की सैर की, बल्कि उन्होंने विशेष रूप से महिलाओं के लिए डिजाइन किए गए स्पेस सूट्स पहने. इन सूट्स को बनाने में एक अनोखी कहानी छिपी है. एक ऐसी कहानी जो 1960 के दशक में शुरू हुई, जब कुछ साधारण सिलाई करने वाली महिलाओं ने नासा के लिए अपोलो मिशन के स्पेस सूट्स बनाए और अंतरिक्ष यात्रा को संभव बनाया.

सुई-धागे से चांद तक
1960 के दशक में, जब नासा ने अपोलो मिशन के लिए स्पेस सूट्स बनाने की जिम्मेदारी दी, तो यह काम अमेरिका की ILC डोवर नाम की कंपनी को मिला. यह कंपनी उस समय प्लेटेक्स के नाम से जानी जाती थी, जो महिलाओं के अंडरगारमेंट्स, जैसे ब्रा और गर्डल, बनाने के लिए मशहूर थी. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन के स्पेस सूट्स को सिलने का काम कुछ ऐसी महिलाओं ने किया, जो पहले साधारण कपड़े या सामान सिलती थीं.

जीन विल्सन उनमें से एक थीं. सात साल की उम्र में अपनी मां से सिलाई सीखने वाली जीन ने 19 साल की उम्र में ILC डोवर में नौकरी शुरू की. न्यू यॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, वे कहती हैं “मैं पहले सूटकेस सिलती थी, जहां सब कुछ बहुत तेजी से होता था. लेकिन जब मैंने अपोलो स्पेस सूट्स पर काम शुरू किया, तो हर सिलाई को धीरे-धीरे करना पड़ता था. हर सीम को चेक किया जाता था, क्योंकि हम जानते थे कि हम जो बना रहे हैं, उस पर किसी की जिंदगी टिकी है.”

इन स्पेस सूट्स को बनाना कोई आसान काम नहीं था. हर सूट में 21 परतें होती थीं, जिनमें रबर, नियोप्रीन, नायलॉन और टेफ्लॉन जैसे महंगे और नाजुक कपड़े शामिल थे. एक यार्ड कपड़े की कीमत उस समय करीब 3,000 डॉलर थी, और इसे तिजोरी में रखा जाता था. हर सिलाई को इतनी सटीकता से करना पड़ता था कि 1/32 इंच की भी गलती मंजूर नहीं थी. जीन और उनकी साथी सिलाई करने वाली महिलाओं ने न सिर्फ इन सूट्स को बनाया, बल्कि इन्हें इतना मजबूत और लचीला बनाया कि ये अंतरिक्ष के कठिन हालात जैसे माइक्रोमेटियोराइट्स और -280 डिग्री सेल्सियस से +240 डिग्री सेल्सियस तक के तापमान का सामना कर सकें.

महिलाओं ने दिखाई अपनी ताकत
ILC डोवर की इन सिलाई करने वाली महिलाओं ने न सिर्फ तकनीकी कौशल दिखाया, बल्कि उस समय के सामाजिक हालात में भी अपनी जगह बनाई. 1960 के दशक में अमेरिका में नस्लवाद और लिंग भेदभाव आम था. जॉन थॉम्पसन, एक अफ्रीकी-अमेरिकी सिलाई करने वाली, ने बताया, “मैंने एक लीड सिलाई करने वाली के तौर पर काम किया. उस समय मेरे जैसे लोगों के लिए यह बड़ी बात थी.” इन महिलाओं ने इंजीनियर्स के साथ मिलकर काम किया, ब्लूप्रिंट्स पढ़े, और ऐसे सूट्स बनाए जो न सिर्फ सुरक्षित थे, बल्कि अंतरिक्ष यात्रियों को हिलने-डुलने की आजादी भी देते थे. 

इन सूट्स की खासियत थी कि इन्हें बनाने में प्लेटेक्स के अंडरगारमेंट्स की तकनीक का इस्तेमाल हुआ. उदाहरण के लिए, सूट्स के जोड़ों में वही नायलॉन और लेटेक्स इस्तेमाल हुआ, जो ब्रा और गर्डल में होता था. यह एक तरह का क्रांतिकारी विचार था, जिसने नासा के बड़े-बड़े कॉन्ट्रैक्टर्स को पीछे छोड़ दिया.

ब्लू ओरिजिन मिशन
अब बात करते हैं 2025 के उस ऐतिहासिक मिशन की, जिसने दुनिया को दिखाया कि महिलाएं अंतरिक्ष में भी अपनी छाप छोड़ सकती हैं. ब्लू ओरिजिन की इस उड़ान में छह महिलाएं शामिल थीं, और इस मिशन की अगुआ थीं लॉरेन सांचेज- एक पत्रकार, पायलट, और जेफ बेजोस की मंगेतर. लॉरेन ने फैसला किया कि इस बार स्पेस सूट्स को शुरू से ही महिलाओं के लिए डिजाइन किया जाएगा. उन्होंने मशहूर फैशन ब्रांड मोन्से के डिजाइनरों फर्नांडो गार्सिया और लॉरा किम के साथ मिलकर ऐसे सूट्स बनाए, जो न सिर्फ कार्यक्षमता में बेहतर थे, बल्कि स्टाइलिश और आरामदायक भी थे.

लॉरेन ने एक इंटरव्यू में भी बताया था कि “पहले स्पेस सूट्स पुरुषों के लिए बनते थे, और महिलाओं को बस उसी में ढलना पड़ता था. लेकिन हमने सोचा, क्यों न इसे शुरू से ही महिलाओं के लिए बनाया जाए?" इन नए सूट्स को नीले रंग के फ्लेम-रेसिस्टेंट स्ट्रेच नियोप्रीन से बनाया गया, जिसमें डबल जिपर, मिशन पैच, और कस्टमाइज़्ड फ्लेयर्ड लेग्स थे. ये सूट्स इतने लचीले थे कि महिलाएं आसानी से हिल-डुल सकती थीं, और साथ ही ये अंतरिक्ष के कठिन हालातों का सामना करने में सक्षम थे.

यह मिशन कई मायनों में खास है. पहली बार एक ऑल-फीमेल क्रू ने अंतरिक्ष की सैर की, और यह दिखाया कि महिलाएं न सिर्फ अंतरिक्ष में जा सकती हैं, बल्कि वहां अपनी शर्तों पर काम भी कर सकती हैं. दूसरा, इन स्पेस सूट्स ने यह साबित किया कि तकनीक और फैशन का मेल कितना शक्तिशाली हो सकता है. तीसरा, इस मिशन ने उन गुमनाम सिलाई करने वाली महिलाओं को श्रद्धांजलि दी, जिन्होंने 1960 के दशक में अपोलो मिशन के लिए स्पेस सूट्स बनाए और अंतरिक्ष यात्रा को संभव बनाया.

बता दें, ब्लू ओरिजिन का यह मिशन सिर्फ एक शुरुआत है. नासा की आर्टेमिस मिशन योजना के तहत जल्द ही महिलाएं चांद पर कदम रखेंगी, और तब भी ऐसे ही खास स्पेस सूट्स की जरूरत होगी. यह मिशन हमें याद दिलाता है कि हर बड़ा सपना छोटे-छोटे कदमों से शुरू होता है- चाहे वह सुई-धागे से बने स्पेस सूट हों या अंतरिक्ष की उड़ान.