ब्रेन ट्यूमर से होने वाले कैंसर को लेकर हर कही रिसर्च चल रही है. अब इसी पर वैज्ञानिकों ने एक ऐसा स्क्रीनिंग सिस्टम बनाया है जिसकी मदद से ब्रेन ट्यूमर के बढ़ने की स्पीड को आसानी से पहले ही मापा जा सकता है. दरअसल, डीपग्लिओमा (DeepGlioma) आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम है, जिससे ब्रेन ट्यूमर और कैंसर के लिंक को रोका जा सकता है.
कैसे करता है ये काम?
आपको बताते चलें कि डीपग्लियोमा नाम का ये एआई-बेस्ड डायग्नोस्टिक स्क्रीनिंग सिस्टम ऑपरेशन के दौरान लिए गए ट्यूमर के सैंपल को चेक करता है और इसके लिए वो तेजी से इमेजिंग का उपयोग करता है और जो भी परिवर्तन ब्रेन ट्यूमर में हो रहे होते हैं उसके बारे में पता करता है. इससे पहले ही मरीज या डॉक्टर को पता चल जाता है कि बाद में जाकर ये ट्यूमर कितना खतरनाक हो सकता है.
कैसे की गई रिसर्च
दरअसल, इस सिस्टम को बनाने के लिए डिफ्यूज ग्लियोमा वाले 150 से ज्यादा रोगियों पर रिसर्च की गई. जिसमें सबसे आम और घातक प्राइमरी ब्रेन ट्यूमर वाले लोग शामिल थे. आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस बेस्ड डायग्नोस्टिक सिस्टम ने 90 प्रतिशत से ज्यादा सटीकता से रिजल्ट दिया. बता दें, ये स्टडी 'नेचर मेडिसिन' नाम के जर्नल में पब्लिश हुई थी.
गौरतलब है कि डीपग्लियोमा से पहले, सर्जनों के पास सर्जरी के दौरान डिफ्यूज़ ग्लिओमास को अलग करने की कोई तकनीक नहीं थी. लेकिन 2019 में इसपर विचार किया गया और काम शुरू किया गया.
क्या हैं ब्रेन ट्यूमर के शुरुआती लक्षण?
आपको बता दें, ब्रेन ट्यूमर के लक्षण समान होते हैं, भले ही वे कैंसरयुक्त (घातक) या गैर-कैंसर वाले हों. हालांकि, ब्रेन के किसी हिस्से में दर्द होना और ट्यूमर के चरण के आधार पर अलग-अलग लक्षण हो सकती है. इसके सबसे आम लक्षण:
1. सिरदर्द
2. व्यक्तित्व में परिवर्तन
3. नजरों की समस्या
4. कुछ याद रखने में परेशानी होना
5. मनोदशा में बदलाव
6. दिमागी संतुलन में कमी
7. जी मिचलाना
8. थकान
9. चिंता या डिप्रेशन
10. मुश्किल से किसी चीज पर फोकस कर पाना
11. मांसपेशियों में कमजोरी
12. शरीर के एक तरफ झुनझुनी या अकड़न होना.