बढ़ते प्रदूषण में सबसे ज्यादा अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (COPD) के मामले देखे जा रहे हैं. ये दोनों बीमारियां दुनियाभर में लाखों लोगों को प्रभावित करती हैं. कई बार ये जानलेवा भी साबित होती हैं. लेकिन अब अस्थमा और COPD के इलाज के लिए एक नया ट्रीटमेंट खोजा गया है. इसका नाम है बेनरालिज़ुमैब (Benralizumab), शोधकर्ता इसे “गेम-चेंजर” कह रहे हैं. यह दवा गंभीर ईसिनोफिलिक अस्थमा के इलाज के लिए डिजाइन की गई है. 50 साल में ऐसा पहली बार हुआ है जब अस्थमा के दौरे का ट्रीटमेंट मुमकिन हुआ है.
अस्थमा और इसके लक्षण क्या हैं?
अस्थमा एक सांस से जुड़ी बीमारी है, जिसमें सांस की नलियों में सूजन हो जाती है, जिससे सांस लेना मुश्किल हो जाता है. इसके सामान्य लक्षण हैं:
-सांस फूलना.
-घरघराहट (सांस लेते समय सीटी जैसी आवाज).
-लगातार खांसी, खासतौर पर रात में या सुबह के समय.
-सीने में जकड़न या दर्द.
-सांस लेने में परेशानी के कारण नींद में रुकावट.
-लंबे समय तक सांस की कठिनाई के कारण थकान हो सकती है.
हालांकि लक्षण कितने गंभीर हैं ये व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है. अस्थमा का अटैक अचानक आ सकता है. और इसमें तत्काल ट्रीटमेंट चाहिए होता है.
बेनरालिज़ुमैब को क्यों माना जा रहा है गेम चेंजर?
बेनरालिजुमैब एक मोनोक्लोनल एंटीबॉडी थेरेपी है, जिसे 2017 में अमेरिका और यूरोपीय रेगुलेटर्स ने अप्रूव किया था. यह दवा विशेष रूप से गंभीर ईसिनोफिलिक अस्थमा के लिए डिजाइन की गई है. यह ईसिनोफिल्स (eosinophils) नाम की सफेद ब्लड सेल्स को टारगेट करती है, जो फेफड़ों की सूजन और डैमेज के लिए जिम्मेदार होती हैं. ईसिनोफिल्स का बढ़ा हुआ लेवल अस्थमा के लगभग 50% मामलों और COPD के 33% मामलों में देखा जाता है.
ट्रेडिशनल स्टेरॉयड जैसे प्रेडनिसोलोन फेफड़ों की सूजन को कम करते हैं, लेकिन इनके गंभीर साइड इफेक्ट्स (जैसे वजन बढ़ना, डायबिटीज और हड्डियों की कमजोरी) हो सकते हैं. बेनरालिज़ुमैब सीधे ईसिनोफिल्स को खून से खत्म कर देता है.
अस्थमा या COPD अटैक के दौरान इंजेक्शन लगाने पर यह स्टेरॉयड की तुलना में तेजी से राहत देता है. इसके प्रभाव 28 दिनों के भीतर दिखाई देने लगते हैं.
किंग्स कॉलेज लंदन की रिसर्च से मिली नई जानकारियां
किंग्स कॉलेज लंदन ने 158 अस्थमा और COPD वाले रोगियों पर ये स्टडी की है. और इसमें बेनरालिज़ुमैब ने काफी अच्छे परिणाम दिखाए हैं. यह दवा दूसरे ट्रीटमेंट्स की तुलना में ज्यादा प्रभावी साबित हुई है. स्टडी करने वाले लीड प्रोफेसर मोना बाफाधेल ने इसे एक “गेम-चेंजर” कहा है. उनके अनुसार, ये दवा काफी इफेक्टिव है.
हालांकि बेनरालिजुमैब काफी उम्मीदें जगा चुकी है, लेकिन यह अभी बड़े लेवल पर उपलब्ध नहीं है. 2025 में एक और बड़ा ट्रायल शुरू होने वाला है. जिसमें इसकी सुरक्षा को लेकर जांच होगी.