धरती से 400 किलोमीटर ऊपर इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन के बाहर दो रूसी अंतरिक्ष यात्रियों ने स्पेस वॉक किया. 3 मई को सर्गेई प्रोकोप्येव और दिमित्री पेटेलिन ने 7 घंटे से ज्यादा का वक्त स्पेस स्टेशन के बाहर बिताया. इस दौरान दोनों एस्ट्रोनॉट ने इंटरनेशल स्पेस स्टेशन के पृथ्वी की ओर फोकस्ड एरिया में स्पेसवॉक किया.
क्या था इस स्पेसवॉक का मकसद
इस स्पेसवॉक का मकसद एक रेडिएटर और एक एक्सपेरिमेंट मॉड्यूल को स्थानान्तरित करना था. दोनों इंजीनियरों ने कड़ी मेहनत से रासवेट मिनी-रिसर्च मॉड्यूल 1 से एयर लॉक को स्थानांतरित कर दिया और मॉड्यूल कूलिंग के लिए एक रेडिएटर को लगा दिया. नासा के मुताबिक. रैसवेट से जुड़े एयरलॉक और रेडिएटर को मई 2010 में अंतरिक्ष यान अटलांटिस एसटीएस-132 पर लॉन्च किया गया था.
इस बार की गई तीसरी स्पेसवॉक
सर्गेई प्रोकोप्येव और दिमित्री पेटेलिन ने पिछले साल दो बार स्पेसवॉक की कोशिश की थी. लेकिन दोनों बार तकनीकी दिक्कत की वजह से स्पेसवॉक टालना पड़ा. इस साल 18 अप्रैल को पहली, 25 अप्रैल को दूसरी और अब तीसरी स्पेसवॉक की गई. अब 25 मई को चौथे स्पेसवॉक के दौरान बचे हुए काम को पूरा किया जाना है. तब नाउका पर रेडिएटर को डिप्लॉय किया जाएगा और मैकेनिकल, इलेक्ट्रिकल और हाइड्रोलिक लाइन्स को आपस में कनेक्ट किया जाएगा.
क्या होती है स्पेसवॉक
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर गए अंतरिक्ष यात्री काम के सिलसिले में स्पेसवॉक पर जाते रहते हैं. नासा के मुताबिक अंतरिक्ष में जब भी कोई अंतरिक्ष यात्री अपने स्पेस स्टेशन से बाहर निकलता है तो उसे स्पेसवॉक कहते हैं. स्पेस वॉक आमतौर पर काम के आधार पर पांच से आठ घंटे के बीच होता है. सबसे अधिक स्पेसवॉक करने का विश्व रिकॉर्ड रूसी अंतरिक्ष यात्री अनातोली सोलोविएव के नाम है. वो 16 स्पेस वॉक कर चुके हैं. ये स्पेसवॉक 82 घंटे से अधिक के बराबर है.
साइस एक्सपेरिमेंट्स करते हैं अंतरिक्ष यात्री
स्पेसवॉक के जरिए अंतरिक्ष यात्री, अंतरिक्ष में रहते हुए अपने स्पेस स्टेशन के बाहर काम कर सकते हैं. इस दौरान एस्ट्रोनॉट्स कई साइंस एक्सपेरिमेंट करते है, जिसके जरिए वैज्ञानिकों को पता चलता है कि अंतरिक्ष में होने से अलग-अलग चीजें कैसे प्रभावित होती हैं. वे अतंरिक्ष में रहते हुए अपने स्पेस स्टेशन की मरम्मत भी कर सकते हैं. एस्ट्रोनॉट्स जब स्पेसवॉक पर जाते हैं तो वे खुद को सुरक्षित रखने के लिए स्पेससूट पहनते हैं. ये स्पेस सूट भारी से भारी तापमान को झेलने में सक्षम होता है. इस स्पेससूट के अंदर सांस लेने तक के लिए ऑक्सीजन होता है. साथ ही पीने का पानी भी शामिल होता है.