बैक्टीरिया को अक्सर बीमारी से जोड़ा जाता है. हालांकि, कुछ गुड बैक्टीरिया (Good Bacteria) भी होते हैं, जो दूसरी बीमारियों से लड़ने में हमारी मदद करते हैं. अब ऐसे ही लेप्रोसी (Leprosy) यानि जिन बैक्टीरिया की वजह से कुष्ठ रोग होता है वे भी आपकी बीमारी खत्म करने के काम आ सकते हैं. जिस बैक्टीरिया की वजह से कुष्ट रोग होता है वे लिवर की सेल को रि-प्रोग्राम करने में मदद कर सकते हैं. बता दें ये सेल बढ़ती उम्र या बुढ़ापे को रोकने और लिवर से जुड़ी बीमारी के ट्रीटमेंट को विकसित करने में मदद कर सकते है.
क्या आया रिसर्च में सामने?
बता दें, कुष्ठ रोग माइकोबैक्टीरियम लेप्री (M. leprae) नामक धीमी गति से बढ़ने वाले बैक्टीरिया के कारण होता है, जो नसों, त्वचा, आंखों और नाक को संक्रमित कर सकता है. इससे व्यक्ति के शरीर में घाव और गांठे हो जाती हैं. यूके में एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी में अनुरा रामबुक्काना और उनके सहयोगियों ने पता लगाया है कि एम. लेप्री होस्ट टिश्यू (Host Tissue) के माध्यम से बढ़ती हैं. इसे साइंस की भाषा में "बायोलॉजिकल अल्केमी” (Biological alchemy) कहते हैं.
साल 2013 में किया गया पहली बार रिपोर्ट
साल 2013 में इसके बारे में पहली बार रिपोर्ट किया गया. इसमें पाया गया कि एम. लेप्रे श्वान सेल के जीन को हाईजैक कर लेता है. ये एक वसायुक्त पदार्थ बनाता है जो नर्व फाइबर को इन्सुलेट करता है. बैक्टीरिया विकासात्मक जीन को फिर से एक्टिवेट करते हैं, जिससे श्वान सेल एक माइग्रेटरी, स्टेम सेल जैसी स्थिति में वापस आ जाती हैं और शरीर के चारों ओर घूमती हैं, जिससे बैक्टीरिया ज्यादा सेल को संक्रमित करने में सक्षम हो जाता है.
लिवर को रि-प्रोग्राम करने में मिल सकती है मदद
लेकिन अब हाल ही में हुई रिसर्च में पाया गया कि एम. लेप्री इसी तरह लिवर सेल को भी रि-प्रोग्राम कर सकता है. रामबुक्काना कहते हैं, "कुष्ठ रोग बैक्टीरिया ऑर्गन लेवल पर लिवर टिश्यू पैदा कर सकता है, जिससे उन उपचारों को विकसित किया जा सकता है जो पूरे लिवर को रि-प्रोग्राम करने में हमारी मदद कर सकते हैं.”
लंदन में रोजर विलियम्स इंस्टीट्यूट ऑफ हेपेटोलॉजी में लुका उरबानी कहते हैं, "इससे हमें यह समझने में मदद मिल सकती है लीवर रि-प्रोग्राम और विकास को सुरक्षित तरीके से कैसे सक्रिय किया जाए.”