आयुर्वेद के सिद्धांतों और तथ्यों ने पश्चिमी जगत की वैज्ञानिक और लैब रिसर्च में भी सोने के गुणों का लोहा मनवाया. अब तो यूरोप के शोधकर्ताओं ने भी कह दिया है कि सोने के सूक्ष्म कणों से त्वचा की कोशिकाओं को ताकत मिलती है. शोधकर्ताओं ने सौंदर्य प्रसाधनों में शुद्ध सोने के इस्तेमाल की सिफारिश की है.
सोने के सूक्ष्म कण त्वचा की कोशिकाओं को दे सकते हैं ताकत
चिकित्सा अध्ययन के नतीजों के आधार पर दावा किया है कि गोल्ड यानी सोने के सूक्ष्म कण त्वचा की कोशिकाओं को ताकत दे सकते हैं. सोने के नैनो कण यानी स्वर्ण भस्म न सिर्फ त्वचा में सूखापन, संक्रमण और सूजन के जोखिम से बचाते हैं बल्कि बढ़ती उम्र के प्रभावों को रोकने में भी सक्षम हैं.
साइंस जर्नल एल्सेवियर में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया है कि सूर्य की अल्ट्रा वॉयलेट किरणों, वायु प्रदूषण और सिगरेट के धुंए से त्वचा की कोशिकाओं को क्षति पहुंचती है. इससे त्वचा की आंतरिक और बाह्य परतों यानी एपिडर्मल और फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं को नुकसान होने पर कई तरह की समस्याएं पैदा होती हैं. इसकी रोकथाम में स्वर्ण के नैनो कणों से युक्त सौंदर्य उत्पाद बहुत कारगर साबित हुए हैं.
आयुर्वेद में स्वर्ण भस्म की क्षमताओं का है वर्णन
फ्रांस की राजधानी में स्थित पेरिस विश्वविद्यालय के इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने सौंदर्य उत्पादों में सोने के नैनो कणों के इस्तेमाल का चमत्कारिक परिणाम देखे. इसके बाद उन्होंने सिफारिश की है कि सोने के बेहद महीन पाउडर अंश न सिर्फ बाहरी संक्रमण से बचाते हैं बल्कि ये बढ़ती उम्र के प्रभावों को भी रोकने में सक्षम हैं.
भारतीय ऋषि परम्परा के प्राचीन ग्रंथ आयुर्वेद में तो पहले ही स्वर्ण भस्म की क्षमताओं का विशद वर्णन मिलता है. उसके आधार पर भारत में इनसे युक्त उत्पादों की मांग खूब है. लेकिन आधुनिक चिकित्सा पद्धति इन आयुर्वेदिक नुस्खों के क्लिनिकल और लैब ट्रायल पर आधारित न होने का बहाना लेकर अवैज्ञानिक होने की तोहमत लगाते हुए इन्हें खारिज करते रहे. लेकिन अब वही लोग इन आयुर्वेदिक मान्यताओं को वैज्ञानिक आधार देकर मान्यता दे रहे हैं.
प्रभावों को बढ़ाता है
भारत में भी इस बाबत एमिल आयुथवेदा के निदेशक डॉ. संचित शर्मा बताते हैं कि इंसान की कोशिश चेहरे की सुंदरता और शरीर की शक्ति कायम रखने की होती है. स्वर्ण के जरिए एपिडर्मल और फाइब्रोब्लास्ट कोशिकाओं को बचाया जा सकता है. हाल ही में भारतीय शोधकर्ताओं के साथ मिलकर तैयार स्पार्कलिंग गोल्ड फेस वास में 24 कैरेट स्वर्ण के नैनो कण के साथ कश्मीरी केसर भी मिश्रित किया जो इसके प्रभावों को काफी बढ़ाता है.
सोना उम्र का असर करता है कम
शोधकर्ताओं ने बताया कि स्वर्ण के नैनो कण त्वचा का रुखापन खत्म करते हैं, जिससे छिद्रों में नमी बनी रहती है. त्वचा को संपूर्ण पोषण मिलता है और क्षतिग्रस्त कोशिकाएं फिर से स्वस्थ होने लगती हैं. इतना ही नहीं कोलेजन प्रोटीन बनने की प्रक्रिया तेज होने से त्वचा का लचीलापन बढ़ता है और इससे झुर्रियां कम होती हैं. इन उपायों से उम्र का असर कम सोना करता है.
शर्मा के मुताबिक वर्षों चले इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने एक निष्कर्ष यह भी निकाला है कि उम्र बढ़ने के साथ-साथ कोशिकाएं क्षतिग्रस्त होने लगती हैं लेकिन स्वर्ण के नैनो कणों से यह प्रक्रिया बेहद धीमी हो जाती है. नई कोशिकाएं तेज गति से बनने लगती हैं. नतीजा यह होता है कि उम्र बढ़ने के प्रभावों का असर कम नजर आता है. एक बात और, स्वर्ण नैनो कणों का त्वचा पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं दिखा है.