इंसान लगातार स्पेस में अपनी उपस्थिति बढ़ता जा रहा है. साल-दर-साल स्पेस को समझने की कोशिश कर रहा है. दुनिया के वैज्ञानिकों ने साल 2023 के लिए भी स्पेस में कई अहम काम का टारगेट सेट किया है. नए साल में भी कई अंतरिक्ष मिशनों पर दुनिया की नजर होगी. इसमें ISRO, NASA से लेकर यूरोपियन स्पेस एजेंसी तक के स्पेस मिशन शामिल हैं. चलिए आपको बताते हैं कि साल 2023 में दुनिया का स्पेस में क्या टारगेट है.
चंद्रयान-3 (Chandrayaan 3)-
साल 2023 में इसरो मिशन चंद्रयान-3 को लॉन्च करेगा, जो चंद्रयान-2 के मकसद को पूरा करेगा. दरअसल चंद्रयान-2 चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग करने में असफल रहा था. चंद्रयान-2 की तरफ चंद्रयान-3 भी एक चंद्र लैंडर और एक चंद्र रोवर को चंद्रमा पर ले जाएगा. चंद्रयान-3 को इसरो साल 2023 के जून महीने में लॉन्च कर सकता है. इसरो ने चंद्रयान-3 में काफी बदलाव किए हैं. उसके मुताबिक अगर चंद्रयान का कोई उपकरण खराब होता है तो उसकी भरपाई दूसरे उपकरण करेंगे. चंद्रयान-3 के रोवर को ऐसे तैयार किया गया है, जो खुद को खतरनाक जगहों से बचा सकता है.
मिशन गगनयान (Gaganyaan mission)-
इसरो स्पेस में इंसानों को भेजने की तैयारी कर रहा है. इसरो ने इसको मिशन गगनयान नाम दिया है. साल 2023 के फरवरी महीने में इसरो गगनयान मिशन के लिए टेस्ट फ्लाइट की शुरुआत करेगा. स्पेस एजेंसी का कहना है कि मिशन के क्रू मॉड्यूल के परीक्षण के लिए चिनूक हेलिकॉप्टर और सी-17 ग्लोबमास्टर के इस्तेमाल की योजना बनाई जा रही है. गगनयान मिशन के तहत मॉड्यूल को अंतरिक्ष यात्रियों को आर्बिट में भेजने के लिए डिजाइन किया गया है.
साल 2018 में गगनयान मिशन का ऐलान किया गया था. जिसके तहत साल 2022 में इसको लॉन्च करना था. लेकिन कोरोना के चलते इसमें देरी हुई. अब इंसानों को स्पेस में भेजने का इसरो का मिशन साल 2024 के अंत या 2025 की शुरुआत में लॉन्च होगा. इस मिशन के जरिए तीन अंतरिक्ष यात्रियों को बोर्ड पर ले जाना है. इसरो ने 4 उम्मीदवारों को स्पेस में भेजने के लिए चुना है. जिनकी ट्रेनिंग रूस में हुई है.
जूस मिशन (Juice Mission)-
यूरोपीय स्पेस एजेंसी सा 2023 में जूस मिशन लॉन्च करने वाली है. इसे अप्रैल में लॉन्च किया जा सकता है. ESA इस मिशन के जरिए बृहस्पति के चंद्रमाओं की जानकारी जुटाएगा. जूस मिशन 35 फ्लाई-बाई पूरा करेगा. इसके जरिए जुपिटर के चंद्रमाओं यूरोपा, गैनीमेडे और कैलिस्टो की स्टडी करेगा. जूस मिशन जुपिटर के जटिल वातावरण की गहराई से निगरानी करेगा. अगर जूस मिशन 35 फ्लाई-बाई पूरे करता है तो ये इस तरह का दुनिया का पहला अंतरिक्ष यान होगा. जुपिटर का गैनीमेडे चंद्रमा सौर मंडल का सबसे बड़ा चंद्रमा है. ये प्लूटो और बुध से बड़ा है.
ओसिरिस-रेक्स मिशन (OSIRIS-Rex mission)-
नासा ने सिंतबर 2016 में ओसिरिस-रेक्स मिशन को लॉन्च किया था. साल 2021 में इसने एस्टरॉयड बेन्नू से उड़ान भरा था. ये अतंरिक्ष यान एस्टरॉयड से नमूने ले रहा है. ये अंतरिक्ष यान सितंबर 2023 में धरती पर उतरेगा. नासा के मुताबिक बेन्नू जैसे एस्टरॉयड हमारे सोलर सिस्टम के शुरुआती इतिहास के लिए टाइम कैप्सूल का काम कर सकते हैं. उनका कहना है कि एस्टरॉयड पर जीवन के निर्माण के सैंपल भी हो सकते हैं. बेन्नू एस्टरॉयड का इतिहास 4.5 बिलियन से ज्यादा वर्षों का है.
ये मिशन 7 साल के लिए है. ये मिशन अमेरिका का पहला एस्टरॉयड सैंपल रिटर्न मिशन है, जिसका मकसद वैज्ञानिक अध्ययन के लिए क्षुद्रग्रह से प्राचीन अनछुए नमूनों को इक्ट्ठा कर उनको धरती पर वापस लाना है.
साइके मिशन (Psyche Mission)-
नासा एक और स्पेस मिशन प्लान कर रहा है, जिसको ओसिरिस-रेक्स मिशन के बाद अंजाम दिया जाने वाला है. इस मिशन के तहत साइके नाम के मेटालिक एस्टरॉयड की खोजबीन की जाएगी. साइके एस्टरॉयड मंगल और बृहस्पति के बीच स्थित है, जो सूर्य की परिक्रमा करता है. साइके को साल 1852 में 16वें एस्टरॉयड के रूप में खोजा गया था. इसे खलोलशास्त्री एनीबेल डी गैस्पारिस ने खोजा था. ये एस्टरॉयड पृथ्वी के कोर के समान ज्यादातर धातु के लोहे और निकल से बना है.
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