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Scalp Tattoo: दिमाग की एक्टिविटी पर टैटू से रखी जाएगी नजर, यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के वैज्ञानिक का कमाल

e-tattoos: ई-टैटू कंडक्टिव पॉलिमर्स से बनाए जाते हैं, जिन्हें एक कस्टम इंकजेट प्रिंटर का उपयोग करके व्यक्ति की स्कैल्प पर छिड़का जाता है. ट्रेडिशनल तरीकों से एकदम उलट, इसमें चिपचिपे जेल या उससे पहले की जाने वाली तैयारी की जरूरत नहीं होती.

Brain e-tattoo (Representational Image) Brain e-tattoo (Representational Image)
हाइलाइट्स
  • पारंपरिक EEG पर ई-टैटू के कई फायदे 

  • इसे टेम्पररी इलेक्ट्रॉनिक टैटू कहा जा रहा है

अगर आपसे कोई कहे कि एक टैटू आपके दिमाग की एक्टिविटी पर नजर रख सकता है तो? दरअसल, ऐसा अब मुमकिन है. यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास के वैज्ञानिक ने ये कमाल कर दिखाया है. दरअसल, ट्रेडिशनल ब्रेन इमेजिंग तकनीक, जैसे इलेक्ट्रोएन्सेफेलोग्राफी (EEG), अक्सर इलेक्ट्रोड, चिपचिपे जेल और तारों के जाल के साथ काम करती हैं. यह तकनीक प्रभावी तो है, लेकिन भारी-भरकम, असुविधाजनक और काफी समय लेने वाली होती है. लेकिन वैज्ञानिकों ने अब इसका एक एडवांस मेथड खोज निकाला है. इसे टेम्पररी इलेक्ट्रॉनिक टैटू (e-tattoos) कहा जा रहा है.

ये इनोवेटिव ई-टैटू एक विशेष लिक्विड इंक से बनाए गए हैं, जिन्हें सीधे खोपड़ी पर प्रिंट किया जा सकता है. हाल ही में एक स्टडी में, यह ट्रेडिशनल EEG तरीकों जितनी ही सटीक साबित हुई, लेकिन इसे लगाना बहुत आसान और तेज है. और खास बात यह है कि ये ई-टैटू छोटे बालों वाली खोपड़ी पर भी काम कर सकते हैं, जिससे सिर के बाल हटाने की जरूरत खत्म हो सकती है. ट्रेडिशनल EEG में बाल हटाने जरूरी होते हैं. 

ई-टैटू कैसे काम करते हैं?
ई-टैटू कंडक्टिव पॉलिमर्स से बनाए जाते हैं, जिन्हें एक कस्टम इंकजेट प्रिंटर का उपयोग करके व्यक्ति की स्कैल्प पर छिड़का जाता है. ट्रेडिशनल तरीकों से एकदम उलट, इसमें चिपचिपे जेल या उससे पहले की जाने वाली तैयारी की जरूरत नहीं होती. इन्हें लगाना आसान और आरामदायक होता है. साथ ही ये लंबे समय तक सिग्नल की गुणवत्ता बनाए रखते हैं, और सटीक डेटा देते हैं.

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यह नई खोज यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन और यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया, लॉस एंजेलेस (UCLA) के शोधकर्ताओं ने की है. उनके डिजाइन में बायो कम्पेटिबल इंक और एडवांस सेंसर टेक्नोलॉजी को जोड़ा गया है, जिससे क्लीनिकल और गैर-क्लीनिकल दोनों क्षेत्रों में इसका उपयोग हो सके.

पारंपरिक EEG पर ई-टैटू के फायदे 

-पारंपरिक EEG सेटअप की तुलना में ई-टैटू बिना दर्द के और लगाने में ज्यादा सुविधाजनक हैं.

-ये लंबे समय तक सिग्नल की गुणवत्ता बनाए रखते हैं और बार-बार कनेक्ट करने की जरूरत नहीं होती है. 

-एल्गोरिदम यह निर्धारित करते हैं कि खोपड़ी पर डेटा स्टोर के लिए सबसे अच्छी जगह कहां है, यहां तक कि छोटे बालों वाले क्षेत्रों में भी.

-छोटे तार प्रिंटेड ई-इंक कंपोनेंट्स के साथ उपयोग किए जाते हैं, जिससे सिग्नल ट्रांसमिशन के दौरान हस्तक्षेप कम हो जाता है.

मरीजों के लिए है बेस्ट 
ई-टैटू का उद्देश्य मरीजों की निगरानी करना है और बीमारी का डाइग्नोस जल्द से जल्द करना है:

-ब्रेन-कंप्यूटर इंटरफेस (BCIs): ये डिवाइस ब्रेन की एक्टिविटी को बताता है और बाहरी सिस्टम जैसे आर्टिफिशियल ऑर्गन या कंप्यूटर को कंट्रोल कर सकते हैं. वर्तमान BCI सेटअप भारी और उपयोग में काफी मुश्किल हैं, लेकिन ई-टैटू इन्हें ज्यादा सुलभ बना सकते हैं.

-स्वास्थ्य निगरानी: पहले से ही मांसपेशियों की थकान और हार्टबीट की निगरानी के लिए उपयोग किए जाने वाले ये ई-टैटू अब ब्रेन एक्टिविटी के लिए भी काम आ सकते हैं.

ई-टैटू का भविष्य
हालांकि ई-टैटू में काफी संभावनाएं हैं, लेकिन इसमें और सुधार की जरूरत है. शोधकर्ता अब वायरलेस डेटा ट्रांसमिशन को एक्टिव करने और अलग-अलग प्रकार के बालों और बनावट पर इसके काम करने के तरीके को देख रहे हैं. साइंस अलर्ट की रिपोर्ट के मुताबिक, इसे लेकर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सास एट ऑस्टिन के न्यूरोइंजीनियर जोस मिलन कहते हैं, "हमारी रिसर्च ब्रेन एक्टिविटी को समझने में क्रांति ला सकती है. ई-टैटू सिर्फ एक तकनीकी चमत्कार से कहीं ज्यादा है.”