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मौत के समय क्‍या सोचता है इंसान? पहली बार हुई मरते वक्त इंसान के दिमाग की रिकॉर्डिंग

मौत के समय दिमाग की रिकॉर्डिंग से मानसिक गतिवि‍धियों की समझ बढ़ी है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रयोग में सामने आए नतीजों से कई बातें स्‍पष्‍ट हो पाएंगी.

मौत के समय क्‍या सोचता है इंसान? (सांकेतिक तस्वीर) मौत के समय क्‍या सोचता है इंसान? (सांकेतिक तस्वीर)
हाइलाइट्स
  • 87 साल के मरीज के दिमाग की हुई रिकॉर्डिंग.

  • मौत के समय शख्‍स के दिमाग की सारी हरकतें रिकॉर्ड हो गईं.

इंसान कई बार मौत के रहस्य को लेकर उलझ जाता है. आम इंसान हो या बड़े-बड़े वैज्ञानिक, मृत्यु के रहस्य को कोई सुलझा नहीं पाया है. किसी अपने के अचानक दुनिया से चले जाने पर अक्सर लोगों के मन में सवाल उठता है कि आखिर अपने अंतिम समय में उसने क्या सोचा होगा? कैसा महसूस किया होगा? वैज्ञानिक भी इस मौत के रहस्य को सैकड़ों सालों से सुलझाने में लगे हुए हैं. ऐसे में इस विषय में वैज्ञानिकों के हाथ एक सफलता लगी है. हाल ही में हुए एक नए अध्ययन के अनुसार मौत के दौरान इंसानी दिमाग सक्रिय रह सकता है.

87 साल के मरीज के दिमाग की हुई रिकॉर्डिंग

मरते वक्‍त इंसान के दिमाग में क्‍या कुछ चलता है, वैज्ञानिकों ने इसका पता लगाया है. एस्‍टोनिया की यूनिवर्सिटी ऑफ तारतू के वैज्ञानिक डॉ. रॉल विसेंट ने 87 साल के एक बुजुर्ग पर ये प्रयोग किया है. यह प्रयोग एक दुर्घटना के बाद किया गया. मिर्गी (Epilepsy) से पीड़ित बुजुर्ग के दिमाग की रिकॉर्डिंग करने के लिए EEG मशीन का इस्तेमाल किया गया. इस मशीन के जरिए ही पहली बार किसी मरते हुए शख्स के दिमाग की एक्टिविटी को रिकॉर्ड किया गया है. फ्रंटियर्स इन एजिंग न्यूरोसाइंस नामक जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार मृत्यु से पहले जीवन वास्तव में हमारी आंखों के सामने घूमने लगता है. .

शोधकर्ताओं का कहना है, जिस बुजुर्ग के ब्रेन की रिकॉर्डिंग की गई है उसे दिल का दौरा पड़ा था, लेकिन इस दौरान EEG मशीन से मरीज जुड़ा हआ था. जिस वजह से मौत के समय उस शख्‍स के दिमाग की सारी हरकतें रिकॉर्ड हो गईं. जब इन रिकॉर्ड‍िंग को देखा गया तो हैरान करने वाली कई बातें सामने सामने आईं. हालांकि इसकी कोई उम्मीद नहीं थी और ना ही ये किसी तरह का प्रयोग था.

दिमाग की 900 सेकेंड की रिकॉर्डिंग

शोधकर्ताओं का कहना है कि मरते समय इंसान के दिमाग की गतिविधियां ठीक वैसी थीं जैसा इंसान सपना देखते हुए महसूस करता है. इंसान मरने समय कुछ पल के लिए अपने पूरे जीवन को याद करता है. विसेंट और उनके शोधार्थियों के दल ने रोगी के इलाज के दौरान इलेक्ट्रोएन्सिफेलोग्राफी का लगातार इस्तेमाल किया. इसी रिकॉर्डिंग के दौरान मरीज को दिल का दौरा आया और उसकी मौत हो गई.  रिसर्च में शामिल युनिवर्सिटी ऑफ लुइसविले के न्यूरोसर्जन डॉ. अजमल जेमार के मुताबिक मौत के करीब 900 सेकेंड तक दिमाग की सक्रियता को रिकॉर्ड किया. ऐसा करते हुए वैज्ञानिकों का विशेष ध्यान इस बात पर था कि दिल की धड़कन बंद होने के 30 सेकेंड पहले और बाद इंसान के दिमाग की क्या स्थिति रहती है. 

मौत के समय दिमाग की रिकॉर्डिंग से मानसिक गतिवि‍धियों की समझ बढ़ी

वैज्ञानिकों का कहना था कि दिल के काम करना बंद होने के तुरंत बाद और पहले मस्तिष्क में कंपन और विशेष बैंड में बदलाव देखने को मिला. रिकॉर्डिंग में सामने आया कि जब तक बुजुर्ग का दिल का चल रहा था तब तक उसके दिमाग में तरंगे चल रही थीं. इसमें कुछ ऐसी तरंगें भी देखी गईं जो तब देखी जाती हैं जब इंसान सपना देखता है और पुरानी यादों को याद करता है. शोधकर्ताओं का कहना है, मौत के समय तरंगों की तीव्रता सारी हदों को पार कर गई थीं. जैसे-जैसे मौत करीब आती है ये तरंगे धीमी पड़ने लगती है.

मौत के समय दिमाग की रिकॉर्डिंग से मानसिक गतिवि‍धियों की समझ बढ़ी है. मस्तिष्क का यह हिस्सा जिंदा इंसान के दिमाग में एक सक्रिय तरंग की आकृति बनाता है. यह अलग-अलग तरंगें ध्यान लगाना, सपने देखना, यादों को सहेजना, सूचना का आदान-प्रदान करना जैसे कामों में शामिल होती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस प्रयोग में सामने आए नतीजों से कई बातें स्‍पष्‍ट हो पाएंगी. जैसे, इंसान की मौत से पहले और बाद में शरीर का कौन सा हिस्‍सा कितनी देर तक दान करने लायक बचता है.