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चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने किया Chandrayaan-3 के लैंडर का स्वागत ...बोला - Welcome, Buddy!' जानिए कैसे जोड़ा गया संपर्क

23 अगस्त 2023 की शाम साढ़े पांच बजे के बाद से साढ़े छह बजे के बीच Chandrayaan-3 का लैंडर किसी भी समय चांद की सतह पर सफलतापूर्वक उतर सकता है. अब इसरो ने एक और खुशखबरी शेयर की है. चंद्रयान-2 के ऑर्बिटर ने Chandrayaan-3 के विक्रम लैंडर से संपर्क साध लिया है.

Chandrayaan-3 Chandrayaan-3

ISRO ने एक और खुशखबरी दी है. चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम के चंद्रमा की सतह पर उतरने से कुछ दिन पहले, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने जानकारी दी कि उसने मिशन के पूर्ववर्ती ऑर्बिटर (चंद्रयान-2) के साथ दो-तरफा संचार स्थापित किया है. हालांकि चंद्रयान-2 मिशन का लैंडर खो गया था, ऑर्बिटर PRADAN, वर्तमान में चंद्रमा के चारों ओर 100 किमी x 100 किमी की कक्षा में है. साल 2019 में भेजे गए ऑर्बिटर ने चंद्रयान-3 के लैंडर के स्वागत में कहा- Welcome Buddy.इसरो ने कहा कि अब मिशन कंट्रोल सेंटर कई तरह से विक्रम लैंडर पर नजर रख पाएगा.

23 अगस्त को होगी सॉफ्ट लैंडिंग 
यह भी बताया गया कि लैंडिंग का लाइव टेलीकास्ट 23 अगस्त (बुधवार) शाम 5.20 बजे शुरू होगा. शाम 6 बजकर 04 मिनट पर चंद्रयान-3 चंद्रमा की सतह पर उतर जाएगा. टचडाउन से पहले, विक्रम ने अज्ञात चंद्र दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र पर चंद्रमा के गड्ढों की तस्वीरें क्लिक कीं, जो हमेशा पृथ्वी से दूर होता है. एलएचडीएसी को इसरो के अहमदाबाद स्थित प्रमुख अनुसंधान एवं विकास केंद्र 'स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर' (एसएसी) ने विकसित किया है. यह कैमरा लैंडिंग के लिहाज से सुरक्षित उन क्षेत्र की पहचान करने में मदद करता है, जहां बड़े-बड़े पत्थर गहरी खाइयां नहीं होती हैं. अंतरिक्ष एजेंसी के अनुसार, चंद्रयान-3 मिशन के कई लक्ष्यों को हासिल करने के लिए लैंडर में LHDAC जैसी कई अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी मौजूद हैं.

चंद्रमा धरती से 3.84 लाख किलोमीटर की दूरी पर है. इतनी दूर से संपर्क साधना काफी मुश्किल है लेकिन इसरो ने ऐसा कर दिखाया है. चंद्रयान-3 इस समय चांद की सतह से मात्र 24 किमी की ऊंचाई पर है. कल उसे चांद की सतह पर उतरना है. ऐसे में लैंडर-रोवर से संपर्क बनाए रखना एक बड़ी चुनौती है. 

चौथा देश बन जाएगा भारत
बता दें कि चंद्रयान-3 के लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए इसरो ने दो चीजों का सहारा लिया. इसके लिए चंद्रयान-3 में इस बार ऑर्बिटर नहीं भेजा गया है. उसकी जगह पर प्रोपल्शन मॉड्यूल भेजा गया है. जिसका मकसद चंद्रयान -3 के लैंडर मॉड्यूल को चांद के नजदीक पहुंचाना था. इसके साथ मॉड्यूल का मकसद लैंडर और बेंगलुरु स्थित इंडियन डीप स्पेस नेटवर्क (IDSN) के बीच संपर्क स्थापित करना था.इसरो के पूर्व प्रमुख और पिछले चंद्र मिशन चंद्रयान-2 के प्रभारी के सिवन ने सोमवार को कहा कि मिशन शानदार सफलता होगा. सिवन ने समाचार एजेंसी एएनआई को बताया, "यह एक बहुत ही चिंताजनक क्षण है...मुझे यकीन है कि इस बार यह एक बड़ी सफलता होगी." लैंडिंग को इसरो की वेबसाइट, इसके यूट्यूब चैनल, फेसबुक और पब्लिक ब्रॉडकास्टर दूरदर्शन पर लाइव कवर किया जाएगा. अगर चंद्रयान-3 ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में सफल रहता है तो अमेरिका, चीन और पूर्व सोवियत संघ के बाद भारत इस तकनीक में महारत हासिल करने वाला दुनिया का चौथा देश बन जाएगा.