हमारा चंद्रयान-3 चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने जा रहा है. इस पर सिर्फ भारत की ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया की नजर टिकी हुई है. चांद के साउथ पोल पर उतरते ही चंद्रयान-3 इतिहास रच देगा. भारत ऐसा करने वाला पहला देश बन जाएगा. आज आइए जानते हैं चांद की उत्पत्ति कैसे हुई और यह पृथ्वी के लिए क्यों खास है?
ऐसे हुई थी चंद्रमा की उत्पत्ति
हमारे सौरमंडल में जब हमारी पृथ्वी का जन्म हुआ, तब यह आज की तरह हरी-भरी नहीं थी, बल्कि एक धधकता हुआ आग का गोला थी. धरती की गति, घूर्णन व दिन-रात की अवधि भी पूरी तरह अलग थी. वैज्ञानिकों ने चंद्रमा के जन्म को लेकर कई सिद्धांत दिए हैं, लेकिन उनमें से 'बिग इंपैक्ट थ्योरी' सर्वाधिक मान्य है. इसके अनुसार, कई अरब वर्ष पहले मंगल ग्रह के आकार का एक पिंड हमारी पृथ्वी से टकराया. इस टकराव के परिणामस्वरूप पृथ्वी की ऊपरी सतह भी टूट कर अंतरिक्ष में बिखर गई.
पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण प्रभाव की वजह से सारा बिखरा मलबा पृथ्वी के चारों ओर चक्कर लगाने लगा और धीरे-धीरे एक पिंड के रूप में बदल गया. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि इस प्रकार पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह चंद्रमा का जन्म हुआ. आमतौर पर माना जाता है कि चंद्रमा का जन्म 4.51 बिलियन, यानी 4.51 अरब सालों पहले हुई थी. हालांकि एक नए शोध में बताया गया कि दोनों गृहों के बीच वास्तविक टक्कर करीब 4.425 अरब साल पहले हुई थी.
धरती के लिए क्यों महत्वपूर्ण है चंद्रमा
बिग इंपैक्ट थ्योरी के अनुसार, इस टक्कर के परिणामस्वरूप ही हमारी पृथ्वी अपने अक्ष से 23.5 डिग्री झुक गई और हमारी पृथ्वी पर विभिन्न ऋतुओं का जन्म हुआ. इसके साथ ही पृथ्वी के घूर्णन में स्थिरता आई. इसी वजह से हमारी पृथ्वी पर जीवन के उद्भव के लिए अनुकूल पर्यावरण का जन्म हुआ. अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का मानना है कि यदि हमें पृथ्वी को समझना है, तो उसके लिए चंद्रमा को समझना अनिर्वाय है. बिना, चंद्रमा को समझे हम अपने सौरमंडल को भी अच्छी तरह नहीं समझ सकते हैं.
पृथ्वी से कितना है दूर
चांद पृथ्वी का इकलौता प्राकृतिक उपग्रह है. इसकी पृथ्वी से औसत दूरी लगभग 384,400 किलोमीटर है. चंद्रमा का वातावरण बहुत पतला है जिसे बाह्यमंडल कहा जाता है. यह सांस लेने योग्य नहीं है. चंद्रमा के पास अपना कोई चंद्रमा नहीं है और न ही इसके चारों ओर कोई रिंग है. यह पृथ्वी का एक पूरा चक्कर 27.3 दिनों (27 दिन 7 घंटे 43 मिनट्स 11.5 सेकेंड) में लगाता है. प्रत्यके वर्ष चंद्रमा धरती से 3.78 सेमी दूर होता जा रहा है. इस तरह 50 अरब वर्ष तक ऐसा ही होता रहा तो धरती की परिक्रमा करने में चंद्रमा 47 दिन लगाएगा.
चांद पर इतना कम हो जाता है वजन
चांद पर आपका वजन धरती पर आपके वजन की तुलना में 1/6वां भाग हो जाता है यानी यदि धरती पर किसी का वजन 84 किलोग्राम है तो चन्द्रमा पर उसका वजन सिर्फ उसका 6वां हिस्सा यानी 14 किलोग्राम हो जाएगा. इसके पीछे एक वैज्ञानिक कारण है. दरअसल, यह सब गुरुत्वाकर्षण का खेल है. चांद के गुरुत्वीय त्वरण का मान धरती के मान का 1/6वां हिस्सा होता है. इसी वजह से वहां पर किसी व्यक्ति का वजन उसके धरती पर कुल वजन का 1/6 वां हिस्सा होता है.
यानी चंद्रमा पर आपको पृथ्वी की तुलना में 6 गुना भारहीनता महसूस होगी. ऐसा नहीं है कि चांद पर पहुंचने के बाद आपके शरीर से कुछ कम हो जाता है, इसलिए वजन भी कम हो जाता है. असल में भार और द्रव्यमान दो चीजें होती हैं. भार एक तरह का बल होता है. चांद पर पहुंचने के बाद आपका द्रव्यमान तो उतना ही रहेगा, लेकिन आपको अपने वजन में कमी महसूस होगी.
सौरमंडल में कुल 290 चंद्रमा
पृथ्वी की तरह ही सौरमंडल में मौजूद बाकी के ग्रहों के पास भी उनके चांद यानी उपग्रह हैं. सौरमडंल के सभी ग्रहों के चंद्रमाओं को मिलाकर कुल 290 चंद्रमा हैं. नासा/जेपीएल की सोलर सिस्टम डायनेमिक्स टीम के अनुसार, खगोलविदों ने 460 से अधिक प्राकृतिक उपग्रहों का दस्तावेजीकरण किया है, जो नेपच्यून की कक्षा से परे छोटी वस्तुओं, जैसे क्षुद्रग्रह, अन्य बौने ग्रह, या कुइपर बेल्ट ऑब्जेक्ट (केबीओ) की परिक्रमा कर रहे हैं.
किस ग्रह के पास कितने उपग्रह (चंद्रमा)
1. बुध (Mercury) के पास कोई उपग्रह नहीं.
2. शुक्र (Venus) के पास भी कोई उपग्रह नहीं है.
3. पृथ्वी (Earth) के पास 1 चंद्रमा है.
4. मंगल (Mars) ग्रह के पास 2 उपग्रह हैं.
5. बृहस्पति (Jupiter) के पास 95 उपग्रह हैं.
6. शनि (Saturn) के पास सबसे अधिक 146 उपग्रह हैं.
7. अरुण (Uranus) के पास 27 उपग्रह हैं.
8. वरुण (Neptune) के पास 14 उपग्रह हैं.
9. प्लूटो (Pluto) के पास 5 उपग्रह हैं.