प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 अगस्त को घोषणा की कि चंद्रमा के साउथ पोल के पास चंद्रयान-3 के लैंडिंग बिंदु को 'शिव शक्ति पॉइंट' कहा जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि 2019 में चंद्रयान-2 जिस स्थान पर दुर्घटनाग्रस्त होकर चंद्रमा की सतह पर उतरा, उसका नाम 'तिरंगा' पॉइंट रखा जाएगा. पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा, 'यह 'शिवशक्ति' पॉइंट आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देगा कि हमें विज्ञान का उपयोग मानवता के कल्याण के लिए ही करना है. मानवता का कल्याण हमारी सर्वोच्च प्रतिबद्धता है.'
बेंगलुरु में इसरो कमांड सेंटर में घोषणा के दौरान मोदी ने कहा, “यह भारत है, जो नवीन और विशिष्ट तरीके से सोचता है. यह भारत है जो अंधेरे क्षेत्रों में जाता है और प्रकाश फैलाकर दुनिया को रोशन करता है.'' 'शिव शक्ति' बिंदु मानवता और स्पेस एक्सप्लोरेशन के लिए अत्यधिक महत्व रखता है क्योंकि यह पहली बार है जब कोई देश चंद्रमा के सुदूर हिस्से तक पहुंचा है. विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर द्वारा एकत्र किया गया डेटा चंद्रमा की वायुमंडलीय संरचना, इसकी सतह और इसके पर्यावरण के बारे में अन्य विवरणों को समझने में महत्वपूर्ण होगा.
चंद्रमा की सतह पर बिंदुओं का नाम कैसे रखा जाता है?
पीएम मोदी के एलान के साथ ही इन पॉइंट्स के नामकरण को लेकर विवाद शुरू हो गया. कांग्रेस समेत विपक्ष ने शिव शक्ति पॉइंट के नाम को एतराज जताया है. दूसरी तरफ बीजेपी ने चंद्रयान-1 के लैन्डिंग पॉइंट का नाम जवाहर पॉइंट रखे जाने को लेकर पलटवार किया. यहां चंद्रयान-1 दुर्घटनाग्रस्त होकर उतरा था. इसरो चीफ एस सोमनाथ ने कहा है कि नामकरण में कोई दिक्कत नहीं है. यहां यह जानना जरूरी हो जाता है कि आखिर लैन्डिंग पॉइंट्स के नाम कैसे रखे जाते जाते हैं.
बता दें कि 1919 में स्थापित इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल यूनियन (IAU) खगोलीय पिंडों के नामकरण को मानकीकृत करने वाली नोडल संस्था है. इसमें कार्यकारी समिति, प्रभाग, आयोग और कार्य समूह जैसे विभिन्न कार्य बल हैं, जिनमें दुनिया भर के प्रोफेशनल एस्ट्रोनॉमर्स शामिल हैं. ग्रह या उपग्रह सतहों के नामकरण पर यह बताता है, "जब किस प्लानेट या सेटेलाइट की पहली इमेज आती है तो विशेषताओं के आधार पर नामकरण के लिए एक थीम चुनी जाती है और कुछ महत्वपूर्ण नाम सुझाए जाते हैं. इसे IAU (अंतरराष्ट्रीय खगोलीय संघ) के सदस्य करते हैं.”
प्रोटोकॉल का पालन करने के बाद, IAU का वर्किंग ग्रुप फॉर प्लैनेटरी सिस्टम नॉमेनक्लेचर (WGPSN) इन मामलों में प्रस्तावित नामों को मंजूरी देता है. भारत IAU के 92 सदस्यों में से एक है. इसके बाद WGPSN के सदस्यों के वोट द्वारा सफल समीक्षा पर, प्रस्तावित नामों को आधिकारिक IAU नामकरण के रूप में अप्रूव माना जाता है, और फिर मैप्स और प्रकाशनों में उपयोग किया जाता है.
साल 2012 में स्मिथसोनियन मैगजीन में लिखते हुए, अमेरिका में लूनर एंड प्लैनेटरी इंस्टीट्यूट में काम करने वाले दिवंगत वैज्ञानिक पॉल डी. स्पुडिस ने कहा कि कई मिशन साइटों को पहले अनौपचारिक रूप से नाम दिए जाते हैं. उन्होंने बताया कि शुरुआत में चंद्रमा के सुदूर हिस्से जैसे पहलुओं के बारे में जानकारी नहीं थी. पृथ्वी से हम केवल एक ही तरफ का हिस्सा देख सकते थे क्योंकि इसे पृथ्वी के चारों ओर एक चक्कर लगाने में लगभग 14 दिन लगते थे और यह उसी समय अवधि में एक चक्कर पूरा करता थ
कब मनाया जाएगा नेशनल स्पेस डे
इससे पहले 2020 में, चंद्रयान -2 द्वारा स्पॉट किए गए चंद्रमा के क्रेटर का नाम भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के जनक विक्रम साराभाई के नाम पर रखा गया था. चंद्रयान-2 ऑर्बिटर ने 'साराभाई क्रेटर' की तस्वीरें लीं, जिसकी गहराई इसके उभरे हुए किनारे से लगभग 1.7 किलोमीटर है और क्रेटर की दीवारों का ढलान 25 से 35 डिग्री के बीच है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक और महत्वपूर्ण घोषणा की. उन्होंने कहा, '23 अगस्त को जब भारत ने चंद्रमा पर तिरंगा फहराया, उस दिन को अब राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा.'