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Chandrayaan-3: चंद्रमा पर 7 दशकों में हुए 111 मिशन, अब तक इंडिया सहित प्रमुख देशों का कैसा रहा सफर, जानें चंद्रयान-3 से क्या-क्या होगा हासिल

चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है. दक्षिणी ध्रुव पर पानी यदि बर्फ के रूप में मिल जाता है तो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा का स्वरूप ही बदल जाएगा. चांद पर ही ईंधन के लिए हाइड्रोजन और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है.

Chandrayaan-3 soft landing on Moon Chandrayaan-3 soft landing on Moon
हाइलाइट्स
  • चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर की सॉफ्ट लैंडिंग

  • 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 को किया गया था लॉन्च 

भारत का तीसरा मून मिशन चंद्रयान-3 ने चांद के साउथ पोल पर 23 अगस्त 2023 को सॉफ्ट लैंडिंग करते ही इतिहास रच दिया. जी हां, ऐसा करने वाला इंडियन दुनिया का पहला देश बन गया. आइए आज जानते हैं इंडिया सहित प्रमुख देशों का चांद पर अबतक कैसा रहा सफर और चंद्रयान-3 से क्या-क्या हासिल होने की उम्मीद है.   

चंद्रयान-3 से क्या-क्या होगा हासिल
1. चंद्रयान-3 मिशन के सफल होने से भारत की अंतरिक्ष इंडस्ट्री को बड़ा उछाल मिला है. यह न केवल अंतरिक्ष शक्ति के रूप में भारत की साख को मजबूत करेगा, बल्कि भविष्य के चंद्र मिशनों पर भी इसका असर पड़ेगा.
2. चंद्रयान-3 मिशन अंतर-ग्रहीय मिशनों के लिए नई तकनीक का भी प्रदर्शन करेगा.
3. चंद्रयान-3 का लैंडर विक्रम अपने साथ 'प्रज्ञान' नामक रोवर ले गया है, जो चंद्रमा की सतह की रासायनिक संरचना का विश्लेषण करेगा और पानी की खोज करेगा.
4. 'प्रज्ञान' अपने लेसर बीम का इस्तेमाल चंद्रमा की सतह के एक टुकड़े को पिघलाने के लिए करेगा, जिसे 'रेगोलिथ' कहा जाता है, और इस प्रक्रिया में उत्सर्जित गैसों का विश्लेषण करेगा.
5. इस मिशन के माध्यम से भारत न केवल चंद्रमा की सतह के बारे में ढेरों जानकारी हासिल करेगा, बल्कि भविष्य में मानव निवास के लिए इसकी क्षमता का भी आकलन करेगा.
6. एक अन्य पेलोड  रेडियो एनैटमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव आयनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर चंद्रमा की सतह के पास आवेशित कणों के घनत्व को मापेगा और यह भी जांचेगा कि ये समय के साथ कैसे बदलते हैं.
7. एक अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर रासायनिक संरचना को मापेगा और चंद्रमा की सतह की खनिज संरचना का अनुमान लगाएगा, जबकि लेसर-प्रेरित ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (LIBS) चंद्रमा की मिट्टी की मौलिक संरचना निर्धारित करेगा.

चंद्रमा पर पानी मिला तो क्या होगा
चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर पानी यदि बर्फ के रूप में मिल जाता है तो भविष्य में अंतरिक्ष यात्रा का स्वरूप ही बदल जाएगा. चांद पर ही ईंधन के लिए हाइड्रोजन और सांस लेने के लिए ऑक्सीजन का उत्पादन किया जा सकता है. इसके अलावा मंगल ग्रह की ओर जाने वाले अंतरिक्ष मिशन के लिए चांद पर ही फ्यूल स्टेशन स्थापित किया जा सकता है.

सॉफ्ट लैंडिंग की हुई है 38 बार कोशिश
गत सात दशकों में चंद्रमा पर 111 मिशन हुए. इसमें से 66 पास और 41 फेल हो गए. आठ को आंशिक सफलता मिली. चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग के लिए 38 बार कोशिश की गई है. इसमें से 52 प्रतिशत ही सफलता मिली है. अमेरिका, रूस (USSR) और चीन ही अभी तक चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग कराने में कामयाब हुए हैं.

चांद पर अब तक इंडिया का सफर
1. भारत ने 22 अक्टूबर 2008 को अपना पहला चंद्रयान मिशन लॉन्च किया था.
2. चंद्रयान-1 ने चंद्रमा की सतह पर पानी खोजा और इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज करा लिया.  
3. 2019 में चंद्रयान-2 लॉन्च हुआ. सॉफ्टवेयर में गड़बड़ी के चलते चंद्रयान-2 की क्रैश-लैंडिंग हो गई थी.
4. इसरो ने 14 जुलाई 2023 को चंद्रयान-3 लॉन्च किया. इसने 23 अगस्त को चांद पर सॉफ्ट लैंडिंग कर ली है. 

रूस का सफर
1. रूस ने लूना-2 मून मिशन को सबसे पहले 12 सितंबर 1959 को लॉन्च किया था. 
2. 3 फरवरी 1966 में लूना-9 चांद पर उतरने वाला पहला मिशन था. 
3. लूना के दो मिशन चंद्रमा की सतह से नमूने लेकर भी वापस आए. 
4. रूस ने 1976 में लूना-24 मिशन भेजा था. लूना-24 चांद की करीब 170 ग्राम धूल लेकर सुरक्षित रूप से पृथ्वी पर वापस पहुंचा था.
5. रूस ने इसी महीने लूना-25 को चांद के सफर पर भेजा था. लूना को 21 अगस्त 2023 को चंद्रमा के साउथ पोल पर लैंड होना था. इससे पहले ही ये क्रैश हो गया.
6. चांद को छूने के लिए रूस ने 33 मिशन भेजे. इनमें से 26 फेल हुए.

अमेरिका का सफर
1. अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा के अपोलो-11 के जरिए पहली बार किसी इंसान ने चांद पर कदम रखा. 
2. 20 जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन चांद पर उतरने वाले क्रमश: पहले और दूसरे अंतरिक्ष यात्री बने थे.
3. अपोलो-17 नासा के अपोलो प्रोग्राम का दूसरा मिशन था. इसे 7 दिसंबर 1972 को लॉन्च किया गया था. 
4. अमेरिका ने चांद पर 31 मिशन भेजे, जिनमे से 17 फेल हुए.

चांद पर चीन का सफर
1. चीन ने चांद से जुड़ा अपना सबसे पहला मिशन 2007 में लॉन्च किया था. चीन ने अब तक पांच मिशन लॉन्च किए हैं.
2. चीन ने इस प्रोग्राम में चांद का चक्कर लगाने वाले ऑर्बिटर, उस पर उतरने वाले लैंडर और रोवर लॉन्च किए.
3. चीन ने 2007 में पहला ऑर्बिटर लॉन्च किया था. दूसरा ऑर्बिटर चीन ने 2010 में लॉन्च किया था.
4. 1 दिसंबर 2013 को चीन के अंतरिक्ष यान चांग ई-3 ने चांद की सतह पर पहली बार सॉफ्ट लैंडिंग की.
5. चांग ई-4 के जरिए चीन 7 दिसंबर 2018 को दूसरी बार चांद पर उतरा.
6. चांग ई-4 के साथ चीन ने एक बॉक्स भेजा था, जिसे लूनर माइक्रो इकोसिस्टम कहते हैं. इसमें कपास और आलू समेत कई बीज थे. चीन के भेजे यह बीज चांद पर अंकुरित हुए.
7. चांग ई-5 मिशन को 2020 में लॉन्च किया गया था, जो चांद के चट्टान का 1731 ग्राम अपने साथ वापस लाया.